-सीबीआइ के एएसपी के खिलाफ भी कोर्ट ने मांगी स्वीकृति

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रांची : दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला के मामले में सीबीआइ कोर्ट ने बिहार के मुख्य सचिव व दुमका के तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह के साथ सीबीआइ के एएसपी सह अनुसंधान पदाधिकारी एके झा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी है। इस मामले में दोनों को आरोपित किया गया है। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने सीबीआइ के डीजी को निर्देश दिया है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का आदेश एक माह के भीतर प्राप्त कर अदालत में दाखिल करें।

अदालत ने कहा है कि सीबीआइ एएसपी एके झा ने बिहार के पूर्व डीजीपी व निगरानी के तत्कालीन एडीजी डीपी ओझा को मदद पहुंचाया। डीपी ओझा को चारा घोटाला मामले में हो रही वित्तीय अनियमितता की जानकारी होते हुए भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। दुमका के तत्कालीन डिप्टी कलक्टर बृज किशोर पाठक ने दुमका कोषागार में जांच की थी और पाया था कि वित्तीय वर्ष 1995-96 में गैर योजना मद में 1.5 लाख पशुपालन विभाग को आवंटित था, लेकिन दो माह में ही 3.76 करोड़ की निकासी कर ली गई। जितना बिल भुगतान कोषागार से किया गया उसकी जानकारी दुमका के तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह को थी, क्योंकि वे उस दौरान वहां पदस्थापित थे। इसके अलावा विजय शंकर दुबे के बारे में अदालत ने कहा है कि उन्होंने अगस्त 1995 में वित्त सचिव का पदभार ग्रहण किया और निकासी दिसंबर 1995 में हुई, जो इनकी जानकारी में थी। इस तरह अंजनी कुमार व विजय शंकर दुबे ने पद व गरिमा का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया जो उन्हें संविधान के तहत प्राप्त था। अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि सीबीआइ ने आरोपित दीपेश चांडक को क्यों सुरक्षित किया जो पूरी तरह से चारा घोटाले में संलिप्त थे।

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आलू-प्याज का था बिजनेस, पशु चारा की ढुलाई कर निकाल ली राशि

सीबीआइ कोर्ट ने आरोपित आपूर्तिकर्ता शिवकुमार पटवारी के संबंध में कहा कि पटवारी का आलू-प्याज का व्यवसाय था। उसने सुअर, मुर्गी व पशुओं का चारा ढोया। इसके एवज में दो लाख रुपये का बिल दिया। 25 फीसद कमीशन देने पर बिल का भुगतान भी हो गया। शिव कुमार पटवारी तत्कालीन सीबीआइ इंस्पेक्टर एके झा के गुड बुक में थे।

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Posted By: Inextlive