हाल ही में रिलीज हुई है डेविड धवन के डायरेक्‍शन में बनी फिल्‍म चश्‍मेंबद्दूर. ये फिल्‍म 1981 में बनी इसी नाम की फिल्‍म का रीमेक है. फिर भी दोनों फिल्‍मों में बेहद डिफरेंस है. आइए आपको बताते हैं दोनों फिल्‍मों के पांच मेन अंतर.

ये तो सब जानते हैं कि ओरिजनल चश्मेबद्दूर को सई परांजपे ने डायरेक्ट किया था जबकि नयी फिल्म को डेविड धवन ने डायेरक्ट किया है. आरिजनल फिल्म का सिड फारुख शेख थे जबकि इस फिल्म में ये रोल अली जफर ने किया है. उस सिड के दो दोस्त राकेश बेदी और रवि वासवानी थे जबकि इस सिड के फ्रेंडस बने हैं सिद्धार्थ और दिव्येंदू. पुरानी फिल्म की हिरोइन थीं दीप्ती नवल जबकि इस फिल्म में उनका करेक्टर साउथ की एक्ट्रेस तापसी पुन्नू ने प्ले किया है. ये तो वो डिफरेंस हैं जो मोटे तौर पर दिखाई देते हैं पर हम आपको कुछ और चेंजेस से रूबरू करायेंगे.

पहला सबसे बड़ा फर्क तो यही है कि इस फिल्म के सारे करेक्टर दिल्ली से गोवा पहुंच गए हैं. ओरिजनल फिल्म की लोकेशन दिल्ली रखी गयी थी जबकि इस फिल्म के सारे करेक्टर गोवा में रहते हैं.दूसरा फर्क ये है कि 1981 की चश्मेबद्दूर के तीनों फ्रेंडस स्टूडेंस हैं और समर वेकेशन में घर ना जा कर दिल्ली में ही रुके रहते हैं पर इस फिल्म के तीनों मेल करेक्टर एक्च्युली क्या करते हैं और गोवा में क्यूं हैं ये समझ नहीं आता.

थर्ड मेजर डिफरेंस लेंग्वेज और डायलॉग्स का है ओरिजनल चश्मेबद्दूर के करेक्टर्स की लेंग्वेज बेहद कंट्रोल थी और कॉमेडी सिचुएशनल पर इस फिल्म में डबल मीनिंग डायलॉग की भरमार है और फिल्म की लेंग्वेज को मार्डन टच के नाम पर ऐसा खिचड़ी कर दिया है कि पता ही लगता कि आप मुंबई में हैं, दिल्ली में हैं या फिर गोवा में. जैसा कि पहले ही कहा है कि सई परांजपे की फिल्म में कॉमेडी सिचुएशनल थी जबकि नयी फिल्म में कभी कभी लगता है कि कॉमेडी के लिए सिचुएशन क्रिएट की जा रही है. पांचवा फर्क ये है कि 1981 की चश्मेबद्दूर के तीनों दोस्तों के बीच स्मोकिंग एक कॉमन  फैक्टर था पर 2013 तक आते आते उनके बीच कोई कॉमन कनेक्शन बचा ही नहीं और बस हर फ्रेंड कमीना हो कर रह गया.

यह तो वो डिफरेंसेज हैं जो पहली ही नजर में दिखाई पड़ते हैं ऐसे ही कई और भी फैक्टस हैं जो 1981 और 2013 के बीच चेंज हो गए. मिडिल क्लास फेमिली की सीधी और सोबर नेहा सीमा बन कर कुछ ज्यादा मार्डन हो गयी. शॉप कीपर लल्लन मियां का रेस्त्रा मालिक मि. जोजफ  में ऐसा ट्रांसफरमेशन हुआ कि उनके करेक्टर की एक पैरेलल स्टोरी स्टार्ट हो गयी. कुल मिला कर दोनों ही फिल्में बेशक देखने लॉयक और कॉमेडी से भरपूर हैं लेकिन नयी फिल्म पूरी तरह रीमेक नहीं कही जा सकती और कंपेरिजन के बावजूद ये सच है कि वो फिल्म सई पराजंपे, फारुख शेख और दीप्ती नवल की फिल्म थी जबकि ये सिर्फ और सिर्फ डेविड धवन की फिल्म है.

Posted By: Kushal Mishra