UP की इस यूनिवर्सिटी में डेढ़ लाख में MBBS और 65 हजार में बना देते थे ग्रेजुएट, तैयार करते थे फर्जी वकील
रिटायर्ड ऑफिस सुपरीटेंडेंट की तलाश एसटीएफ मेरठ यूनिट के सीओ बृजेश कुमार ने बताया कि शनिवार को दबोचे गए मेरठ के जागृति विहार निवासी कविराज, गौतमबुद्धनगर निवासी कपिल कुमार, यूनिवर्सिटी कैंपस निवासी पवन कुमार और गढ़ रोड मेरठ निवासी संदीप कुमार को रविवार को जेल भेज दिया गया। इस मामले में गोपनीय शाखा के आफिस सुपरीटेंडेंट के पद से रिटायर हुए चंद्रप्रकाश, यूनिवर्सिटी के बाबू सलेकचंद, हरियाणा के हिसार निवासी संदीप अभी फरार हैं। यह सभी आरोपी रुपये लेकर आंसरशीट बदलने का फर्जीवाड़ा करते थे। यह खेल बीते चार से धड़ल्ले से चल रहा था।एमबीबीएस छात्रा ढूंढती थी शिकार
फरार चल रहे हरियाणा के हिसार निवासी फरार संदीप की बेटी मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही है। यही छात्रा अन्य छात्रों को अपने पिता के पास उत्तीर्ण कराने के लिए लेकर जाती थी। बताया जा रहा है कि यही छात्रा पैसे का कलेक्शन भी करती थी। इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। एसटीएफ के एसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि छात्रा के बारे में जानकारी करने के लिए एसटीएफ की टीम सोमवार को मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में जाएगी। कई अफसर भी राडार पर
रविवार को एसटीएफ फरार आरोपियों की तलाश में कई जगह दबिश देती रही लेकिन, सुराग न मिल सका। छानबीन में यह भी सामने आया है कि जो डॉक्टर बने हैं, उनमें से कुछ ने अपने क्लीनिक खोल लिये हैं तो कुछ सरकारी अस्पतालों में नौकरी पा चुके हैं। वहीं एसटीएफ के राडार पर यूनिवर्सिटी के कई अफसर भी हैं, जिनसे सोमवार को पूछताछ हो सकती है।यह है मामलाएसटीएफ मेरठ यूनिट ने शुक्रवार को सीसीएस यूनिवर्सिटी में छापा मारा। जिसमें कविराज, पवन, संदीप और कपिल को कस्टडी में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में चारों ने बताया कि वह एमबीबीएस, एलएलबी, ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट की आंसरशीट को बदलकर दूसरी आंसरशीट पर नंबर बढ़ाकर रख देते हैं। इस एवज में वे छात्रों से एक से डेढ़ लाख रुपये लेते थे। ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट के छात्रों से 35 से 65 हजार रुपये तक लिए जाते थे। इस खुलासे के बाद शनिवार को चारों आरोपियों को एसटीएफ ने अरेस्ट कर लिया था।
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