- शासन ने एक बार फिर रजिस्ट्रार के पक्ष में दिया निर्णय

- राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप कर निर्णय की मांग

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी में वीसी और रजिस्ट्रार की लड़ाई को लेकर चल रही कयासों में एक नया सीन क्रिएट हो गया। एक बार फिर शासन ने रजिस्ट्रार के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया। साथ ही इस मामले में वीसी के निर्णय को गलत करार देते हुए राजभवन को हस्तक्षेप कर निर्णय के लिए लिखा गया। रजिस्ट्रार के पक्ष में शासन का यह निर्णय वीसी के लिए एक बड़ा झटका है। ऐसे में वीसी क्या करते हैं, यह देखना बाकी है।

वीसी और रजिस्ट्रार

यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव की डेट को लेकर अक्टूबर में ईसी की मीटिंग के दौरान वीसी और रजिस्ट्रार के बीच झगड़ा शुरू हुआ था। जिसमें वीसी ने रजिस्ट्रार पर कामों को लटकाए रखने का आरोप लगाते हुए उनको कार्यमुक्त कर दिया। साथ ही यूनिवर्सिटी से उनको रिलीव भी कर दिया। रजिस्ट्रार के कार्यमुक्त और रिलीविंग के बाद डीआर प्रभाष द्विवेदी को रजिस्ट्रार बना गया गया। इसके बाद भी रजिस्ट्रार मनोज कुमार लगातार यूनिवर्सिटी में अपनी सीट पर मौजूद रहे। मामला बढ़ता गया और शासन व राजभवन तक पहुंच गया।

रजिस्ट्रार की कुर्सी

शासन ने कमिश्नर को इस मामले में जांच करने के साथ ही रजिस्ट्रार मनोज कुमार को दुबारा ज्वाइनिंग के लिए वीसी को निर्देशित किया था। इसके बाद भी इनको ज्वाइन नहीं कराया गया। लगातार कई रजिस्ट्रार बदले गए। जिसमें प्रभाष द्विवेदी के बाद डीआर डॉ। देवराज को रजिस्ट्रार बनाया गया, कन्वोकेशन के लिए प्रोफेसर लोहनी को रजिस्ट्रार बनाकर पेश किया गया। इन रजिस्ट्रार से मामला नहीं संभला तो फिर प्रभाष द्विवेदी को सीट दे दी गई। लेकिन रजिस्ट्रार मनोज कुमार अपनी कुर्सी पर लगातार बैठे नजर आते रहे। जिसको लेकर वीसी ने ऑफिस सील करने का स्टेप उठा लिया।

नहीं संभला था मामला

इस पूरे मसले पर शासन और राजभवन से पूरा जोर लगाया गया कि दोनों अपने-अपने काम करें, लेकिन यह लड़ाई दोनों के लिए ईगो बन गई। दोनों को राज्यपाल ने अपने पास बुलाया था। जहां लिखित में जवाब मांगे गए थे। लेकिन इसके बाद भी कुछ हल नहीं निकला। वीसी अपनी जगह अड़े रहे और रजिस्ट्रार मनोज कुमार को यूनिवर्सिटी का अधिकारी मानने से इनकार कर दिया। इसके चलते कुलाधिपति राज्यपाल राम नाईक ने ऐसा दूसरी यूनिवर्सिटी में ना हो इसके लिए राजभवन सभी यूनिवर्सिटीज के वीसी व रजिस्ट्रार को बुलाया था। जिसमें कोई हल नहीं निकल पाया था।

मनोज कुमार का ऑफिस सील

यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार मनोज कुमार को वीसी ने कार्यमुक्त कर रखा है। इनकी जगह प्रभारी रजिस्ट्रार डीआर प्रभाष द्विवेदी काम कर रहे हैं। ख्8 जनवरी की रात वीसी रजिस्ट्रार के ऑफिस में पहुंचे और वहां मौजूद मनोज कुमार के सामने ही ऑफिस का फर्नीचर उठवाकर बाहर निकलवा दिया। इसके बाद रजिस्ट्रार ऑफिस सील कर दिया गया। यह सब इसलिए हुआ था क्योंकि रजिस्ट्रार मनोज कुमार ने भर्ती प्रक्रिया में पंगा लिया था। इस मामले के बाद से रजिस्ट्रार मनोज कुमार लखनऊ में अपना पैर जमाए हुए थे।

फिर आया निर्णय

इस मामले में जहां पहले ही कयास रजिस्ट्रार के पक्ष में निर्णय आने की थीं। हुआ भी ऐसा ही। एक बार फिर वीसी को झटका देते हुए रजिस्ट्रार के पक्ष में शासन से आदेश हो गए। जिसमें अनु सचिव वीरेंद्र नाथ द्वारा कहा गया है कि परीक्षोपरांत वीसी का निर्णय विधि रूप से गलत पाया गया। रजिस्ट्रार की नियुक्ति का अधिकार जिसको होता है उसी को हटाने का भी अधिकार है। इस पूरे मामले से कुलाधिपति को अवगत करा दिया गया है। इसलिए कुलपति के आदेश को शून्य मानते हुए रजिस्ट्रार मनोज कुमार को दुबारा ज्वाइन कराया जाए।

अटक सकती हैं भर्तियां

यूनिवर्सिटी में चल रही भर्तियों पर पहले ही अटकलें लगाई जा रही थीं। इन भर्तियों को पारदर्शी प्रक्रिया के अनुसार नहीं किए जाने के आरोप लग रहे थे। मामला कोर्ट में भी पहुंच गया। जिस पर रोक की संभावनाएं तो थीं लेकिन रुक नहीं रही थीं। अब शासन के आदेश के बाद कुछ भी हो सकता है। जहां पहले ही रजिस्ट्रार इन भर्तियों को लेकर अपना व्यू भेज चुके थे। अगर राजभवन से भी वीसी के लिए रजिस्ट्रार को ज्वाईनिंग का आदेश आ जाते हैं तो वे इस्तीफा देना मंजूर करेंगे। इसी के साथ भर्तियां अधर में ही रुक सकती हैं।

वीसी बोले

शासन के आदेश को मैं नहीं मानूंगा। राजभवन से कुछ आदेश आते हैं तो उसके बारे में सोचा जाएगा, लेकिन ज्वाइन तब भी नहीं कराऊंगा। भले ही इसके लिए कुछ भी करना पड़े।

- वीसी गोयल, वाइस चांसलर, सीसीएसयू मेरठ

Posted By: Inextlive