एटीएम के ड्रॉप बाक्स से चेक उड़ा रहे जालसाज जिस नाम का चेक उसी नाम का एकाउंट खुलवाकर निकाल रहे पैसे


Lucknow: नाम किसी का और एकाउंट किसी और का। चेक बुक भी फर्जी बन रही हैं और बैंक में एकाउंट भी जाली खोले जा रहे हैं। दिल्ली और नोएडा की तर्ज पर अब जालसाजों ने बैंकों को निशाना बनाया है। बैंकों के बाहर स्थित एटीएम केबिन में लगे ड्रॉप बॉक्स में चेक डालना भी अब सेफ नहीं है। ड्रॉप बॉक्स से चेक चुराने वाले गैंग सक्रिय हैं। यह गैंग चेक चुराने के बाद फर्जी तरीके से विभिन्न बैंकों में फर्जी एकाउंट खुलवाकर उन्हें क्रेडिट करा लेता है।
लाखों रुपए की जालसाजी
एक प्रतिष्ठित आटो मोबाइल कंपनी के नाम पर फर्जी खाता खुलवाकर विभिन्न बैंकों से फर्जी नाम-पते पर फाइनेंस कराए गए लाखों रुपए हड़पने वाले गिरोह का पर्दा पुलिस ने पर्दाफाश फाश किया था। इसके अलावा पिछले महीने भी पुलिस ने फर्जी चेक के जरिए लाखों रुपए हड़पने वाले गैंग का खुलासा किया। इस मामले में पुलिस बैंक कर्मचारियों की मिली भगत से भी इंकार नहीं कर रही है।
नहीं आया फोन
मसाज पार्लर का धंधा चलाने वाले भी यही तरीका अपना रहे हैं। केवल यही नहीं बल्कि कई कंपनियां नामी-गिरामी कंपनियों के नाम पर जालसाजी का धंधा फैलाए हैं। कुछ दिनों पहले राजाजीपुरम के यंगस्टर ने मसाज पार्लर में मोटी कमाई के चक्कर में एक निजी बैंक में तीन हजार रुपए जमा किए। इसके बाद इंतजार करते रहे। न तो उनके पास कोई कॉल आई न ही एकाउंट होल्डर का पता ही चल सका.
मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर भी फर्जी खातों का खेल छिपा नहीं है। टावर संचालक टावर लगवाने के नाम पर लोगों से रजिस्ट्रेशन के तौर पर करीब 5 हजार रुपए वसूल रहे हैं और फर्जीवाड़ा का शिकार हो रहे हैं।
ऐसे भुनाते हैं चोरी के चेक
चोरी का चेक चाहे जिस नाम पर इश्यू किया गया हो, गैंग के लिए कोई मायने नहीं रखता। क्योंकि यह गैंग जिस नाम पर चेक इश्यू होता है उसी नाम का फर्जी एकाउंट ओपन करा लेता है। एकाउंट ओपन कराने के लिए गैंग के शातिर मेंबर इस फर्जीवाड़े में बैंक कर्मचारियों की भी मदद लेते हैं। मसलन, अगर ड्रॉप बॉक्स में डाला गया कोई चेक अनुराग कुमार के नाम पर एकाउंट पेई है तो गैंग मेंबर इसी नाम पर एकाउंट खुलवा देते हैं। इसके बाद उस चेक को उसके एकाउंट में डालकर क्लीयर करा लेते हैं।
ड्रॉप बॉक्स के चेक की नहीं होती डिटेल
एटीएम केबिन में लगे ड्रॉप बॉक्स में डाले गए चेक का न बैंक के पास और न ही कस्टमर के पास कोई खास प्रूफ होता है। जिसके आधार पर कस्टमर यह दावा कर सके कि इस ड्रॉप बॉक्स में इतने एमाउंट का चेक उसने डाला है। क्योंकि ड्रॉप बॉक्स में चेक डालने के दौरान कोई रिकार्ड मेनटेन नहीं किया जाता है।
क्या होना चाहिए
एडीएम सिटी ओपी पाठक कहते हैं कि  एटीएम की सिक्युरिटी में तैनात होने वाले गार्ड को ड्रॉप बॉक्स में चेक डालने वालों की डिटेल को मेंटेन करने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इस तरह सिक्युरिटी गार्ड ही चेक ड्रॉप करने वाले की डिटेल के साथ उनके टेलीफोन नंबर भी नोट करेगा। अगर ऐसी स्थिति में जब कभी ड्रॉप बॉक्स से संबंधित कोई घटना होती है तो आसानी से चेक डालने वाले शख्स को सूचना दी जा सकती है।
क्या करें -
शहर में जगह -जगह लगे एटीएम केबिन में ड्रॉप बॉक्स में चेक डालने से बचें, क्योंकि इनका कोई रिकॉर्ड मेंटेन नहीं होता।
इसके बजाय आप बैंक के भीतर लगे ड्रॉप बॉक्स में चेक डालें और उसकी रिसीविंग भी जरूर लें।
अगर चेक के गायब होने की जानकारी मिलें तब तुरंत ही उसे ब्लॉक करा दें। ताकि उसे कोई क्रेडिट न करा सके।
बैंकों के पारदर्शी बॉक्स भी असुरक्षित
बैंकों में लगे पारदर्शी ड्रॉप बॉक्स भी असुरक्षित हैं। क्योंकि इनमें डाले गए चेक की डिटेल आसानी से कोई भी देख लेता है। ऐसे में उसमें चेक डालने के बहाने कई बार लोगों बेहद चालाकी से कोई चेक निकाल लेते हैं। फिर उसी नाम का फर्जी अकाउंट खुलवाकर उसे क्लियर करा लेते हैं।

Posted By: Inextlive