तीन साल पहले तमिलनाडु के कोयंबटूर के एक स्कूल में पढ़ने वाली प्रियंका ने शायद ही शतरंज की मोहरें छुईं थी और वह चेन्नई के एक आलीशान होटल में विश्वनाथन आनंद को विश्व चैम्पियनशिप में खेलते देखने का सिर्फ़ सपना ही देख सकती थी.


अब प्रियंका अपनी पढ़ाई के अलावा हर दिन छह घंटे शतरंज का अभ्यास करती हैं.पिछले हफ्ते वह भी उन सैकड़ों बच्चों में से एक रहीं जो विश्व चैम्पियनशिप के साथ साथ बच्चों में शतरंज को बढ़ावा देने के लिए हुए मैचों को खेलने के लिए आए थे.ज़ुनूनविश्व चैम्पियनशिप के दौरान  आनंद और नॉर्वे के 22 वर्षीय खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के बीच 12 बाजियां खेली जानी हैं.साल 1987 में आनंद विश्व जूनियर शतरंज चैम्पियनशिप जीत कर देश भर में मशहूर हो गए थे तब उनकी वजह से ही भारत में शतरंज के लिए जुनून पैदा हुआ. केवल चेन्नई में ही शतरंज के 25 क्लब हैं.आनंद के पास 2,775 रेटिंग है जबकि  कार्लसन ने अब तक की सर्वश्रेष्ठ 2,870 रेटिंग हासिल की है.


आनंद को अपना आदर्श मानने वाले कार्तिकेयन 150 से अधिक टूर्नामेंट खेल चुके हैं और दिन में सात घंटे अभ्यास करते हैं.प्रेरणावह कहते हैं, "मेरे माता और पिता दोनों शतरंज खेलते थे. उन्हें देखकर मुझे प्रेरणा मिली. मैं पिता मुझसे कहते थे कि अगर मैं लगातार अच्छा खेलता रहा तो मैं आनंद से मिल पाऊंगा."

कार्तिकेयन ने कहा, "आनंद की सादगी मुझे पसंद है और यही वजह है कि मैं उनकी तरह बनना चाहता हूं. मैंने 2011 में लंदन में विश्व चैम्पियनशिप जीती थी तब आनंद ने मुझे बधाई दी थी और मेरा हालचाल पूछा था."गणेशन कहते हैं, "नई पीढ़ी के लिए  शतरंज स्कूल से ज़्यादा ज़रूरी है. जो लोग शतरंज खेलते हैं उनका आई क्यू इतना तेज़ हो जाता है कि वो आसानी से अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं."कई विशेषज्ञों का मानना है कि आनंद के युवा प्रतिद्वंद्वी कार्लसन इस बार विश्व शतरंज चैम्पियन बनेंगे लेकिन भारत के युवा खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद के जीतने की दुआएं कर रहे हैं.कार्तिकेयन कहते हैं, "आनंद के ग्रैंडमास्टर बनने से पहले लोग शतरंज के बारे में ज़्यादा नहीं जानते थे लेकिन उनके दुनिया में सबको हराने और 2,800 रेटिंग हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी बनने के बाद युवाओं में शतरंज बहुत लोकप्रिय हो गया."

Posted By: Subhesh Sharma