दाउद के राज बताने वाला छोटा राजन गिरफ्तार होने ही बाली आया था!
मुंबई पुलिस में दाऊद से मिले अधिकारियों का नाम बतायाभारत आने के बाद छोटा राजन ने मुंबई पुलिस के उन अधिकारियों के बारे में बता दिया है, जो दाऊद इब्राहिम से मिले हुए हैं। सीबीआइ को उसने ऐसे लगभग दो दर्जन अधिकारियों का नाम बताया है। आगे और भी राज सामने आने की संभवना है। कहा जा रहा है कि राजन जल्दी ही ऐसे फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का नाम भी बता सकता है जिनका दाउद से संपर्क है। राजन को शुक्रवार सुबह पांच बजे इंडोनेशिया से नई दिल्ली लाया गया। उसे कड़ी सुरक्षा में सीबीआइ मुख्यालय में रखा गया है। अपनी पहचान का खुद दिया मौका
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बाली में जब आव्रजन अधिकारी सभी यात्रियों से नाम-पता पूछ रहे थे, तो छोटा राजन ने अपना नाम राजेंद्र निखलजे बताया था। ध्यान देने की बात है कि राजेंद्र निखलजे के नाम से रेड कार्नर नोटिस है। इसके बाद अपनी पहचान साबित करने के लिए उनसे आसानी से अपना फिंगरप्रिंट भी दे दिया। इंटरपोल के पास मौजूद उसके पुराने फिंगरप्रिंट और नए फिंगरप्रिंट में 11 निशान मिल गए, जिससे उसकी पहचान सुनिश्चित हो गई। संदेह है कि राजन ने खुद ही आस्टे्रलिया पुलिस को अपने बाली जाने की खबर लीक थी। उसने अपना नाम मोहन कुमार भी नहीं बताया जो यात्रा करने के लिए उसके पासपोर्ट पर दर्ज था। डायलिसिस की जरूरत नहींसीबीआइ ने इस आशंका को भी खारिज कर दिया है कि किडनी की बीमारी से ग्र्रस्त छोटा राजन इलाज के लिए भारत आया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मेडिकल जांच से पता चला है कि वह स्वस्थ है और उसे डायलिसिस की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, दाऊद गिरोह से खतरे की बात भारतीय एजेंसियां भी स्वीकार करती हैं। यही कारण है कि महाराष्ट्र पुलिस के पास राजन के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को सीबीआइ स्थानांतरित किया जा रहा है। जल्दी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा
महाराष्ट्र सरकार की ओर से राजन के खिलाफ मामलों के स्थानांतरण में विलंब होने के कारण सीबीआइ उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का फैसला नहीं कर पा रही है। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीबीआइ की इंटरपोल शाखा ने सुबह पांच बजे दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरते ही छोटा राजन को हिरासत में ले लिया था। सीबीआइ को 24 घंटे के भीतर उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सीबीआइ को अभी तक महाराष्ट्र से केस स्थानांतरण की अधिसूचना की प्रति नहीं मिली है। इसके लिए पहले महाराष्ट्र सरकार को और उसके बाद केंद्र सरकार को जरूरी अधिसूचना जारी करनी होगी। इसके बिना सीबीआइ राजन को हिरासत में नहीं ले सकती है।हिरासत में रखने का बैकअप प्लान भी तैयार है माना जा रहा है कि देर रात तक दोनों अधिसूचनाएं जारी कर दी जाएंगी। उसके बाद सीबीआइ मजिस्ट्रेट के सामने राजन को पेश कर उसका हिरासत मांगेगी। यदि इस प्रक्रिया में किसी कारण देरी होती है, तो फिर सीबीआइ राजन के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट बनवाने का केस दर्ज कर अपने हिरासत में लेने का प्रयास करेगी। एक तीसरा रास्ता राजन को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की हिरासत में भेजने का भी है। इसके लिए 2005 में स्पेशल सेल में दर्ज एक जबरन वसूली के केस का सहारा लिया जा सकता है।
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