आई एक्सक्लूसिव

- चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) के साथ ही मिलेगी मैटरनिटी लीव

- यूजीसी ने एमफिल और पीएचडी रेगुलेशन में किया बदलाव

- पीएचडी के लिए दो और एमफिल के लिए मिलेगा एक साल अतिरिक्त

ravi.priya@inext.co.in

DEHRADUN: रिसर्च के क्षेत्र में काम करने की इच्छुक महिलाओं को अब पीएचडी और एमफिल में विशेष सुविधाएं मिलेंगी। अब फीमेल रिसर्च स्कॉलर्स को पीएचडी और एमफिल के लिए मैटरनिटी और चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) भी मिलेगी। यूजीसी ने दोनों कोर्सेज के लिए रेगुलशन में बदलाव किया है। नए बदलाव के तहत महिलाओं को ख्ब्0 दिनों का अवकाश मिलेगा। इसके अलावा आयोग ने प्रोग्राम के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और प्रोग्राम ड्यूरेशन में बदलाव किए हैं।

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने मिनिमम स्टैंडर्ड एंड प्रोसीजर ऑफ अवॉर्ड ऑफ एमफिल-पीएचडी डिग्रीज रेगुलेशन-ख्0क्म् लागू किया है। बदलाव के पीछे दोनों प्रोग्राम की क्वॉलिटी बढ़ाना मकसद है। नए बदलावों के चलते फीमेल रिसर्च स्कॉलर्स को एमफिल और पीएचडी में अतिरिक्त समय के साथ ही पूरी डिग्री के दौरान एक बार ख्ब्0 दिन की मैटरनिटी और चाइल्ड केयर लीव भी मिलेगी। अभी तक प्रोग्राम में यह व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में फीमेल स्कॉलर्स को जहां एमफिल के लिए एक साल और पीएचडी प्रोग्राम के लिए दो साल एक्स्ट्रा समय मिलेगा। वहीं, ख्ब्0 दिन की इन छुट्टियों का लाभ महिलाएं ले पाएंगी।

तीन साल में पीएचडी होगी पूरी

यूजीसी रेगुलेशन-ख्0क्म् में एमफिल और पीएचडी की डिग्री करने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया भी बदला दिया है। नए नियमों के मुताबिक पीएचडी में भ्0 परसेंट मा‌र्क्स और एमफिल के लिए भ्भ् परसेंट मा‌र्क्स वाले कैंडिडेट्स भी अप्लाई कर सकेंगे। इसके साथ ही प्रोग्राम्स में यूनिफॉर्मिटी लाने के लिए कोर्स ड्यूरेशन को भी बढ़ाया है। रेगुलेशन ख्0क्म् के अनुसार अब तीन साल में पीएचडी पूरी की जा सकेगी।

रेगूलेशन में बदले नियम

- एमफिल में एडमिशन के लिए रिजर्व और क्99क् से पहले के पीजी कैंडिडेट्स को भ्0 परसेंट में मिलेगा एडमिशन। बाकी के लिए भ्भ् परसेंट किए निर्धारित।

- एमफिल और पीएचडी में फीमेल कैंडिडेट्स के लिए ख्ब्0 दिन की सीसीएल और मैटरनिटी लीव का प्रावधान।

- फीमेल रिसर्च स्कॉलर्स और दिव्यांगों को प्रोग्राम पूरा करने के लिए मिलेगा दो साल का एक्स्ट्रा टाइम।

- रिजर्व व भ्भ् परसेंट मा‌र्क्स के साथ एमफिल करने वाले कैंडिडेट्स को पीएचडी में भ्0 परसेंट पर मिलेगा एडमिशन।

- पीएचडी प्रोग्राम कम से कम तीन साल और ज्यादा से ज्यादा म् साल में करना होगा पूरा।

वर्जन---

कैंडिडेट्स के साथ ही रिसर्च गाइड के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं। इनमें पीएचडी के साथ ही एमफिल करने वालों की संख्या भी तय कर दी गई है। अभी तक यह आंकड़ा निर्धारित नहीं था। बदलाव के पीछे आयोग का मकसद शोध का लाभ समाज और अन्य छात्रों को देना है। नए नियमों से रिसर्च की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

------ प्रो। वीके जैन, वाइस चांसलर, दून यूनिवर्सिटी

Posted By: Inextlive