- चाचा नेहरू के चहेते बच्चों को नहीं मिलता चाइल्ड वार्ड में इलाज

- चिल्ड्रंस डे पर आई नेक्स्ट ने जानी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के चाइल्ड वार्ड की हकीकत

GORAKHPUR : आज चाचा नेहरू का जन्मदिन है। देश के पहले पीएम बच्चों से बहुत प्यार करते थे, उन्हें देश का भविष्य बताते थे। पं। जवाहर लाल नेहरू की क्ख्भ्वीं बर्थ?एनिवर्सरी के मौके पर आई नेक्स्ट ने जायजा लिया डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बच्चों के लिए बने चाइल्ड वार्ड का। ये बस नाम का ही वार्ड है, हालत इतनी खस्ता है कि यहां पेशेंट इलाज के लिए आते तो हैं, लेकिन एडमिट नहीं होते। अफसरान भी मानते हैं कि पूरे वार्ड में अव्यवस्था का आलम है, लेकिन फंड न होने की मजबूरी बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

नाम है चाइल्ड वार्ड, पेशेंट्स गायब

गोरखपुर के बच्चों को अच्छा इलाज मुहैया कराने के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में चाइल्ड वार्ड तो मौजूद है, लेकिन वहां से बच्चे गायब हैं। क्म् बेड वाला चाइल्ड वार्ड पूरा खाली पड़ा है। वार्ड की हालत इतनी खराब है कि मरीजों को नए बने इंसेफेलाइटिस वार्ड में एडमिट किया जाता है। जबकि इंसेफेलाइटिस वार्ड में सिर्फ इंसेफेलाइटिस पीडि़त बच्चों को एडमिट किया जाना चाहिए। चाइल्ड वार्ड से इंसेफेलाइटिस वार्ड में शिफ्ट किए गए बच्चों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।

फटे हुए गद्दे, गंदगी से पटा पड़ा है चाइल्ड वार्ड

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के चाइल्ड वार्ड में बीमार बच्चों के लिए बेड है, लेकिन उसके गद्दे फटे हैं। केबिन भी है, लेकिन हालत जर्जर है। दीवारें गंदगी से पटी पड़ी हैं। डॉक्टर्स भी मानते हैं कि ऐसी स्थिति में बीमार बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन फिर भी वार्ड की हालत नहीं सुधारी जाती। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की मानें तो वार्ड की दुश्वारियां बजट के अभाव के चलते दूर नहीं हो पा रही हैं। इसी के चलते इंसेफेलाइटिस वार्ड को अघोषित 'चाइल्ड वार्ड' बना दिया गया है। डॉक्टर की मानें तो इंसेफेलाइटिस वार्ड में इंसेफेलाइटिस से पीडि़त बहुत कम मरीज भर्ती होते हैं। हालत सीरियस होने पर इंसेफेलाइटिस पेशेंट्स को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है।

न कोई व्यवस्था, न स्टाफ का अता-पता

अव्यवस्था का आलम तो एक तरफ, पेशेंट की देखभाल करने वाला ड्यूटी स्टाफ तक चाइल्ड वार्ड से नदारद रहता है। बच्चों को तो इंसेफेलाइटिस वार्ड?में शिफ्ट कर दिया जाता है, लेकिन स्टाफ शिफ्ट नहीं होता। गौरतलब है कि इंसेफेलाइटिस वार्ड में अलग से स्टाफ तैनात है। एसआईसी और मैट्रन की मानें तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मैनपावर की कमी के चलते खाली होने पर चाइल्ड वार्ड के स्टाफ की ड्यूटी दूसरे वार्ड में लगा दी जाती है।

चाइल्ड वार्ड की हालत खराब है। मरम्मत के छोटे-छोटे काम डिपार्टमेंट करा रहा है, लेकिन वार्ड की हालत सुधारने के लिए बड़े बजट की जरूरत है जिसके लिए शासन को लिखा जाएगा।

डॉ। एचआर यादव, एसआईसी, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive