स्लग: 10 लाख के ईनामी माओवादी जोनल कमांडर प्रकाश उरांव ने पुलिस के समक्ष किया खुलासा

-इनपुट देने पर दो माह बाद किया सरेंडर, पुलिस को उपलब्ध कराया हथियार

- सुधाकरण के साथ रह चुका है प्रकाश उरांव

-एक करोड़ के ईनामी नक्सली अरविंद की मौत की पुष्टि की थी

RANCHI(31 March): झारखंड के जिन बच्चों को अगवा किया गया था, अब वे भाकपा माओवादी के कैडर बन गए हैं। ये दस्ते के साथ चलते हैं और माओवादी विचारधारा के तहत पुलिस पर हमले कर रहे हैं। इसका खुलासा पुलिस के पास सरेंडर करनेवाले नक्सली दीपक उरांव उर्फ प्रकाश उरांव ने की है। पोलित ब्यूरो व सैक मेंबर एक करोड़ का ईनामी नक्सली अरविंदजी के राइटहैंड प्रकाश उरांव ने बताया कि अबतक इलाके से 60 बच्चे ऐसे हैं, जो माओवादी कैडर में शामिल हो चुके हैं। प्रकाश ने बताया कि उस पर नौ उग्रवादी कांड दर्ज किए गए हैं, लेकिन वह किसी भी कांड में संलिप्त नहीं है।

एक साल पूर्व 6 बच्चों को किया था अगवा

नक्सलियों ने एक साल पूर्व 24 अप्रैल को छह बच्चों को अगवा किया था। इसकी सूचना पुलिस को मिली थी। पुलिस ने माओवादियों पर दबाव बनाना शुरू किया तो वे लोग बच्चों को छोड़कर भागने लगे। इसी दौरान बच्चे भी भाग गए और पुलिस को जंगल में भटकते मिले। इन बच्चों को बाल दस्ते में शामिल किया गया था। बरामद बच्चों में पांच लड़के व एक लड़की शामिल थीे। उस वक्त भी उन बच्चों के परिजनों ने पुलिस को बताया था कि भाकपा माओवादियों ने डरा-धमका कर उनके बच्चों को संगठन में शामिल कराया था। इनसे जबरन संगठन में काम लिया जाता था।

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सीआरपीएफ में नौकरी नहीं मिली तो बना उग्रवादी

10 लाख के ईनामी हार्डकोर नक्सली प्रकाश उरांव ने डीआईजी ऑफिस में आत्मसमर्पण करने के बाद मीडिया से रू-ब-रू हुआ और कहा कि उसके पिता लालू उरांव सीआरपीएफ में पोस्टेड थे। लोहरदगा जिले के भंडरा थाना एरिया के टोटो गांव निवासी प्रकाश उरांव ने बताया कि रिटायर होने के बाद लालू उरांव लकवाग्रस्त हो गए। बड़े भाई बाहर में रहकर पढ़ाई करते थे, जिससे प्रकाश उरांव के ऊपर घर की जिम्मेवारी आ गई। इसी बीच उनकी मां का निधन हो गया। किसी तरह मैट्रिक पास किया। सीआरपीएफ में भर्ती होने के लिए काफी कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। 1997-98 में प्रतिबंधित संगठन एमसीसी के सदस्य मुरारी, टोहन एवं अन्य लोगों का गांव में आना-जाना था। जब नक्सली गांव आते थे तो प्रकाश भी उनकी मीटिंग में शामिल होने लगा। प्रकाश उरांव से प्रेरित होकर 1998 में उदय उरांव, बृजमोहन उरांव दस्ते में शामिल हो गए। प्रकाश को एरिया कमांडर बना दिया गया। फिर, चंदवा जंगल में उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद वर्ष 2000 में नकुल के प्लाटून के साथ रहे। डिप्युटी कमांडर का जिम्मा मिलने के बाद पूरे प्लाटून का जिम्मा देकर कार्यक्षेत्र लोहरदगा पश्चिम दिया गया।

नक्सलियों ने ही कराया विवाह

प्रकाश उरांव ने बताया कि टीम में रहने के दौरान ही नक्सलियों ने उसकी शादी करवा दी। वर्ष 2002 में इनका विवाद जोनल कमांडर धीरज व्यास के साथ हो गया। दो प्लाटून लेकर कमिटी से अलग रहे। वर्ष 2005 में पार्टी विलय के समय दिनेश उर्फ चश्मा द्वारा बुलाए जाने पर 2005 से मई 2006 तक रहे।

खलारी से गिरफ्तार हुआ था प्रकाश उरांव

वर्ष 2006 में प्रकाश उरांव नक्सली कांडों को अंजाम देने के मामले में खलारी पुलिस द्वारा अरेस्ट कर जेल भेजा गया था। वर्ष 2012 में जेल से छूटा और फिर वर्ष 2013 में वापस दस्ता में आ गया। नकुल के दस्ते के साथ चलने लगा। 2015 से अप्रैल 2016 तक बूढ़ा पहाड़ में अरविंदजी उर्फ देवकुमार सिंह के साथ रहा। अगस्त 2016 में इन्हें गुमला सब जोन का सचिव बनाया गया। इस दौरान बूढ़ापहाड़ व उसके आसपास के क्षेत्रों में रहा। संगठन व सिद्धांत की धारा से भटकने के कारण पार्टी का जनाधार धीरे-धीरे काफी कम हो गया एवं पार्टी के कई सीनियर लीडर सरेंडर करने लगे। फिर प्रकाश उरांव ने भी सरकार की आत्मसमर्पण की नीति से प्रभावित होकर सरेंडर कर दिया।

पुलिस को इनपुट देने के बाद किया सरेंडर

प्रकाश उरांव ने पुलिस को इनपुट देने के बाद सरेंडर किया। प्रकाश ने पुलिस को एक इंसास राइफल, 100 जिंदा कारतूस, 1 एमिनेशन पाउच, 4 इंसास मैगजीन और एक कलर प्रिंटर भी बरामद करवाया है। इसके अतिरिक्त उसने अरविंदजी उर्फ देवकुमार सिंह की मौत की पुष्टि भी अपने स्तर से की। तब पुलिस जान पाई कि अरविंदजी की मौत हो गई है। वह सुधाकरण का राइटहैंड बना था और सुधाकरण से वर्ष 2018 के जनवरी-फरवरी माह में मिला था।

कोट

झारखंड सरकार की उग्रवादी आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति नई दिशा के तहत भाकपा माओवादी के हार्डकोर 10 लाख के इनामी नक्सली प्रकाश उरांव ने सरेंडर किया है। अब तक लोहरदगा, गुमला, खूंटी इलाके से 22 नक्सलियों ने सरेंडर किया है।

-एवी होमकर, डीआईजी, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, रांची

Posted By: Inextlive