-इस वेकेशंस चाचा चौधरी, बिल्लू और नागराज नहीं अब बच्चों को मॉरल वैल्यूज वाली कॉमिक्स पंसद आ रही हैं

-नंबर वन पसंद है मुंशी प्रेमचंद की कहानियों वाली कॉमिक्स

-रास्किन बॉन्ड की बुक्स का कॉमिक संस्करण भी स्टूडेंट्स को खूब भा रहा है

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KANPUR : एक जमाना था जब समर वेकेशंस शुरू होते ही कॉमिक्स की शॉप पर स्टूडेंट्स पहुंचते ही चाचा चौधरी, बिल्लू और नागराज की कॉमिक्स के नाम लेना शुरू कर देते थे। लेकिन समय बदला और मांग भी बदल गई। बच्चों के साथ-साथ अब पैरेंट्स भी यही चाहते हैं कि बच्चे कॉमिक्स तो पढ़ें लेकिन ऐसी जिनसे उन्हेंमॉरल वैल्यूज मिलें। बच्चे नैतिकता का पाठ पढ़ें तभी तो सीबीएसई बोर्ड ने एग्जाम में मॉरल वैल्यूज से रिलेटेड क्वेश्चंस पूछना शुरू कर दिया है। मॉरल वैल्यूज वाली कहानियों की किताबों और कॉमिक्स की डिमांड इस समय मार्केट में खूब बढ़ गई है। साइकियाट्रिस्ट भी मानते हैं कि अगर बच्चे मोरल वैल्यूज वाली कॉमिक्स पढ़ेंगे तो उनके माइंड पर इसका पॉजिटिव असर पढ़ेगा। फिर कुछ समय में सोसाइटी पर भी इसका असर रिफलेक्ट होगा।

'स्पेशल कॉमिक्स' आई मार्केट में

इस बार मार्केट में कई स्पेशल तरीके की कॉमिक्स अवेलेबल हैं। क्योंकि समर वेकेशंस में कॉमिक्स की मांग दोगुना से ज्यादा हो जाती है। इस वजह से पब्लिकेशंस इस समय ही नई-नई कॉमिक्स लॉन्च करते हैं। इस बार मुंशी प्रेमचंद की कहानियों पर आधारित कई कॉमिक्स लॉन्च की गई हैं। स्टूडेंट्स को मुंशी प्रेमचंद की बूढ़ी काकी, दो बैल, महाभारत, ईदगाह आदि कहानियों की कॉमिक्स सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं। महात्मा बुद्ध का बचपन और सिद्धार्थ-हंस की कहानियों की कॉमिक्स बच्चों को खूब भा रही हैं।

गिर गई इनकी मांग

बुक सेलर राजीव मल्होत्रा बताते हैं कि पिछले साल तक चाचा चौधरी और साबू, बिल्लू, नागराज की कॉमिक्स की जबरदस्त मांग थी पर इस साल इनकी सेल बिल्कुल गिर गई है। हालत ये है कि ये कॉमिक्स पूरे हफ्ते में कभी-कभी एक भी नहीं बिकती हैं। कर्नाटक की मशहूर नृत्यांगना एमएस सुब्बालक्ष्मी पर आधारित कॉमिक्स भी जल्द ही मार्केट में अवेलेबल हो जाएगी। रास्किन ब्रांड की ब्लू अंब्रैला पर आधारित कॉमिक्स भी मार्केट में आ चुकी है। ये बच्चों को ही नहीं बड़ों की भी पसंद बनी हुई है।

इंग्लिश में भी हैं अवेलेबल

सिर्फ हिंदी में ही नहीं अंग्रेजी में बच्चों के लिए मोरल वैल्यूज की ये कॉमिक्स अवेलेबल हैं। इंग्लिश में महाभारत पर आधारित कॉमिक्स मार्केट में आ गई है। द ग्रेट इंडियन फाइटर्स नाम की इंग्लिश की कॉमिक्स में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनियां हैं। इसके अलावा लार्ड कृष्णा और रामा की कहानियों की कॉमिक्स भी मार्केट में अवेलेबल हैं। इन कॉमिक्स की कीमत भ्0 रुपए से ख्00 रुपए तक है।

---बॉक्स में लगाएं--

गांगुली की मोटीवेशनल कॉमिक्स

आने वाले समय में बच्चों को इंडियन क्रिकेट टीम के फॉर्मर कैप्टन सौरव गांगुली की बॉयोग्राफी भी कॉमिक्स के जरिए पढ़ने को मिलेगी। इसमें उनके जीवन की शुरुआत से लेकर अब तक के सफर का वर्णन किया गया। क्रिकेट की दुनिया में किस तरह से उन्होंने उतार-चढ़ाव का मुकाबला किया। हर पहलू को कॉमिक्स के रूप में बच्चे पढ़ सकेंगे। स्टार बुक डिपो के ओनर राकेश कुमार ने बताया कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता सत्यजीत रे, गुलजार, राजकपूर, अमिताभ बच्चन और गुरुदत्त की बॉयोग्राफी की कॉमिक्स भी मार्केट में आने वाली है।

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मोटीवेशनल कॉमिक्स होंगी कारगर

साइकियाट्रिस्ट डॉ। रवि कुमार बताते हैं किच्बच्चों का मन काफी कोमल होता है। ऐसे में वो जो पढ़ते हैं उनका मन उसको बहुत जल्दी आत्मसात कर लेता है। और दस साल तक उम्र केच्बच्चों को कार्टून के माध्यम से बहुत कुछ आसानी से सिखाया जाता है। ऐसे में अगरच्बच्चे कॉमिक्स के माध्यम से मोटीवेशनल कहानियां पढ़ते हैं तो ये उनके लिए काफीच्अच्छा होगा। इससे उनके मन में पॉजिटिव असर पड़ेगा। और जो चीजें पैरेंट्सच्बच्चों को बार-बार कहकर भी नहीं सिखा पाते हैं उनको वो अपने आप आसानी से सीख जाते हैं। आजकल मार्केट में तीन से पांच साल तकच्बच्चों को गुड हैबिट्स की कॉर्टून वाली बुक्स से भी बहुत कुछ आसानी से सिखाया जाता है। मुंशी प्रेमचन्द की कहानियां प्रेरणादायी हैं। अगर कॉमिक्स मेंच्बच्चे ये कहानियां पढ़ेंगे तोच्अच्छे संस्कार उनमें आएंगे। फालतू की बुक्स पढ़ने सेच्बच्चों को कोई फायदा नहीं होता बल्कि उनके अंदर वैसे ही कल्पनाएं पनपने लगती हैं। इसलिए पैरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए किच्बच्चे क्या पढ़ रहे हैं।

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ये बात बिल्कुल सही है किच्बच्चे अगरच्अच्छी कॉमिक्स पढ़ेंगे तो उनके मस्तिष्क पर पॉजिटिव असर पड़ता है। मुंशी प्रेमचंद की कहानियों पर आधारित कॉमिक्सच्बच्चों के काफीच्अच्छी हैं।

-मो। नदीम

मुंशी प्रेमचंद की हर कहानी कुछ न कुछ सिखाती है। और अगर बचपन से हीच्बच्चेच्अच्छी बुक्स पढ़ेंगे तो उनके मोरल वैल्यूज में भी इजाफा होगा। ये बहुत जरूरी है किच्बच्चेच्अच्छी बुक्स पढ़ें। इसीलिए हर क्लास की बुक्स में मोरल वैल्यूज के चैप्टर जरूर होते हैं।

-उत्सव बनर्जी

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बच्चों काच् अच्छी बुक्स ही पढ़ने देनी चाहिए। फिर चाहें वो कॉमिक्स हो या फिर कोई दूसरी बुक्स। गर्मियों मेच् बच्चे कॉमिक्स ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में अगर कॉमिक्स भच् अच्छी हैं तो फिर कहना ही क्या है।

-डॉ। त्रिप्ता

मुझको लगता है कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियां और रस्किन बॉन्ड की कहानियों की कॉमिक्च् बच्चे पढ़ेंगे तो उनके संस्कार में जरूर इजाफा होगा। ये उनके लिए काफच् अच्छी चीज है।

-चांदनी सिंह

पुरानी कॉमिक्स सच् अच्छा है किच् बच्चों को प्रेरणादायी कहानियों वाली कॉमिक्स ही पढ़ने को दें। ये पैरेंट्स की जिम्मेदारी होनी चाहिए। क्योंकिच् बच्चों मेच् अच्छे संस्कार किताबों से ही आते हैं।

-प्रदीप कुमार

--वर्जन--

मुंशी प्रेमचंद, रस्किन बॉन्ड की कॉमिक्च् बच्चों को खूब पसंद आ रही हैं। कभी-कभी तो ये होता है कि शॉप पर आच् बच्चे चाच-चौधरी या दूसरी कॉमिक्स का नाम लेते हैं लेकिन जब पैरेंट्स के सामने ये बताओ की मुंशी प्रेमचंद की प्रेरणादायी कहानियों की कॉमिक्स है तो फिर वो ही ले जाते हैं। चाचा चौधरी और बिल्लू को लोग भूल जाते हैं। इन तरह की कॉमिक्स इस बार गर्मियों में खूब बिक रही हैं।

-आलोक दुबे 'अप्पू', ओनर, आधुनिक बुक स्टॉल

Posted By: Inextlive