- कोरोना पेशेंट की देखभाल करने वाले डॉक्टर्स अपनों के लिए बन गए अजनबी

- घर पहुंचने के बाद भी फोन पर लगातार पेशेंट का लेते रहते हालचाल

कोरोना पेशेंट की देखभाल करने वाले डॉक्टर्स अपनों के लिए बन गए अजनबी

- घर पहुंचने के बाद भी फोन पर लगातार पेशेंट का लेते रहते हालचाल

LUCKNOW: lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: कोरोना का नाम सुनते ही हर शख्स खौफ में आ जाता है। अगर किसी को खांसी या छींक आ जाए तो तत्काल उससे दूरी बना लेते हैं, लेकिन हमारे बीच में मौजूद धरती के भगवान माने जाने वाले डॉक्टर्स वायरस के खौफ से दूर दिन रात कोरोना पेशेंट का न सिर्फ इलाज कर रहे हैं बल्कि उनके साथ अपने परिवार से ज्यादा समय गुजार रहे हैं। उनकी लाइफ स्टाइल बिल्कुल बदल चुकी है। पहले जहां वे लोग घर पहुंचते ही बच्चों, पत्नी और पैरेंट्स के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करते थे, वहीं अब आलम यह है कि डॉक्टर्स ने कोरोना से बचाव के लिए अपनी पत्नी और बच्चों तक से दूरी बना ली है। वहीं घर जाने के बाद भी लगातार फोन पर पेशेंट का हालचाल लेते रहते हैं। ऐसे ही डॉक्टर्स, उनकी वाइफ और पैरामेडिकल स्टॉफ की बदली लाइफ स्टाइल की तस्वीर को बयां करती अनुज टंडन की रिपोर्ट

वहीं केजीएमयू में भर्ती होने वाले कोरोना संदिग्ध का सैंपल लेने वाले पैरामेडिकल स्टॉफ के बालकिशुन प्रजापति बताते हैं कि पहले से ही ऐसी ही बीमारियों को लेकर काम करता आ रहा हूं इसलिए ज्यादा डर नहीं है। फिर भी सावधानी पूरी बरतते हैं। हेड टू टो किट है, जिसे पहनकर ही अंदर जाते हैं। कोई जांच के लिए आता है तो हर बार चादर को बदलते हैं। उस चादर को दोबारा यूज नहीं करते हैं। टेस्ट करने जाते हैं तो डर बिलकुल नहीं रहता है। मन में बस यही रहता है कि यह हमारा काम है। यह हम लोग नहीं करेंगे तो और कौन करेगा। यहां सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। ऐसे में डर वाली कोई बात नहीं है। घर पर वाइफ और दो बच्चे हैं। उनको भी अच्छे से समझा दिया है। ऐसे में उनको भी डर नहीं है। वाइफ कंचन घर आने पर सकेटाइजेशन का पूरा ध्यान रखती है। बच्चों से थोड़ी दूरी बनाकर रखी हुई है। पब्लिक प्लेस पर जाना कम कर दिया है। वाइफ को भी बिना वजह हॉस्पिटल आने से मना कर दिया है।

भ्। बिना वजह बाहर जाना बंद कर दिया

केजीएमयू के आइसोलेशन वार्ड में बतौर नर्स तैनात कुसुम वर्मा बताती हैं कि अभी तक हम लोगों को अंदर जाने की जरूरत नहीं पड़ी है, जो पेशेंट आते हैं उनकी एंट्री ही कर रहे हैं, लेकिन इसकी वजह से सावधानी काफी रखनी पड़ती है। मास्क, ग्लब्स के साथ बार-बार हैंड सेनेटाइजर का यूज करती हूं। लोगों से ज्यादा मिलना-जुलना कम कर दिया है। घर पर पति राजीव कुमार और दो बच्चे हैं। हॉस्पिटल वालों ने उनको समझा दिया है। ऐसे में उनको ज्यादा डर नहीं लग रहा है।

क्। बच्चों से बनाई दूरी

केजीएमयू के एडिशनल प्रो। डॉ। डी हिमांशु बताते हैं कि कोरोना के चलते हमारी लाइफ स्टाइल पूरी तरह से चेंज हो गई है। एक तरफ जहां अस्पताल में खुद को कोरोना से सेव रखने की चुनौती है, वहीं घर पहुंचने के बाद फैमिली मेंबर्स को इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आने से बचाने के लिए एक्सरसाइज करनी पड़ती है। हॉस्पिटल में वार्ड में जाने से पहले हैंडवॉश, मास्क, ग्लब्स के साथ पूरी किट को पहनना पड़ता है। बाद में इनको डिस्पोज के लिए स्पेशल येलो बिन में फेंक देते हैं। दिन में तीन बार फ्यूमिगेशन किया जाता है। घर पहुंचते ही जूते बाहर उतारने के बाद सबसे पहले हैंड सेनेटाइज करता हूं और बाथ लेता हूं। इसके बाद भी बच्चों, पत्नी और पिता से दूरी बनाकर रखता हूं। यह भी तय कर रखा है कि अगर तबियत जरा भी खराब होगी तो तुरंत खुद को अलग कर लूंगा। लोगों से बाहर मिलना और रिलेटिव्स के यहां जाना भी कम कर दिया है। उनकी वाइफ डॉ। रूपाली बताती हैं कि एक डॉक्टर होने के नाते सभी खतरों को समझती हूं। घर पर हाईजीन का पूरा ध्यान रखा है। इनके आते ही सभी जरूरी प्रोसिजर करती हूं। खासकर बच्चों को लेकर एक्स्ट्रा केयर रहती है। बच्चों को इनके पास ज्यादा नहीं जाने देती। बिना वजह के बाहर जाना कम कर दिया है। डॉक्टर साहब के कपड़े वॉश करने के लिए अलग से स्पेशल व्यवस्था तक कर रखी है।

ख्। जब रिश्तेदारों को समझाना पड़ा

केजीएमयू के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ। सुधीर कुमार बताते हैं कि कोरोना के डर की वजह से ओपीडी में डेली क्भ्-ख्0 लोग आ रहे हैं। उनकी काउंसलिंग करने के साथ अगर जरूरत लगती है तभी जांच करवाते हैं। हर तरह के लोग यहां आते हैं। ऐसे में डर रहता है कि कहीं हम लोगों को भी इंफेक्शन न हो जाये। ऐसे में हम लोग पूरी तरह से खुद को ढककर रखते हैं। ओपीडी के बाद एक बार फिर से खुद को पूरी तरह सेनेटाइज करते हैं। जब रिश्तेदारों और फ्रेंड्स को पता चला कि वह कोरोना पेशेंट को हैंडल कर रहे हैं तो उन्होंने दूरी बना ली। इसके बाद उन सभी की काउंसिलिंग कर स्थिति को नॉर्मल किया गया। कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइंस को हॉस्पिटल और घर दोनों जगहों पर फॉलो करता हूं। बाहर और घर पर दूसरों से कांटेक्ट कम कर दिया है। उनकी वाइफ डॉ। रेनू बाला बताती हैं कि थोड़ा साइकोलॉजिकल असर होता है, लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते इनके आने पर स्पेशल डेली रूटीन जैसे बाहर जूता निकालना, हाथ साफ करना, तुरंत नहाने के लिए चले जाना आदि बना रखा है। घर पर बेटी और पैरेंट्स हैं, उनको ज्यादा पास नहीं जाने देते। इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड आइटम बढ़ा दिये हैं।

फ्। लोगों की काउंसिलिंग करनी पड़ती है

केजीएमयू के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ। बी अंसारी बताते हैं कि जब से हम लोगों की ड्यूटी लगी है, खास सर्तकता बरत रहे हैं। इसके लिए गाइडलाइन के अनुसार पूरा शरीर ढंकने वाली किट का यूज कर रहे हैं। पेशेंट की जांच करने के बाद किट को वहीं डिस्पोज करते हैं। घर पर पैरेंट्स ज्यादा चिंतित रहते हैं। ऐसे में रोजाना उनकी काउंसलिंग करनी पड़ती है। घर पर आकर पहले खुद को पूरी तरह से सेनेटाइज करते हैं ताकि संक्रमण का कोई चांस ना रहे। उनकी वाइफ डॉ। फिरदौस हुसैन ने बताया कि मेंटल प्रेशर तो रहता ही है कि कहीं कोरोना इनको न हो जाये। ऐसे में सेनेटाइज प्रोसेस बार-बार करती रहती हूं। बाहर जाना कम कर दिया है ताकि ज्यादा लोगों से संपर्क न हो।

ब्। हॉस्पिटल से लेकर घर तक बदल गई लाइफ

Posted By: Inextlive