-काउंसलिंग के दौरान बच्चों ने किए अजब-गजब खुलासे

-धर्मान्तरण की पुष्टि, कई बच्चों ने कहा कि पहले वे मंदिर जाते थे

 

Meerut : नहींनहीं, ऐसे थोड़े ही बनते हैं 'ईसाई'। पहले नहलाते हैं, फिर प्रार्थना सभा में शामिल कराते हैं, फिर पूजा कराते हैं, 27 दिन तक पाठ करना होता है। चर्च में जाना होता है। शनिवार को काउंसलर के सवालों पर बच्चों ने एनजीओ के मंसूबों का भांडा फोड़ दिया। बाल संरक्षण गृह और नारी निकेतन में मौजूद 21 बच्चों की कई चरण में काउंसलिंग की जानी है। काउंसलर के सवाल पर बच्चों ने धर्मान्तरण की प्रक्रिया को विस्तार से बताया है।

 

एनजीओ में थे 23 बच्चे

शास्त्रीनगर के एफ ब्लाक में इमैनुएल चैरिटी सेवा ग्रुप के नाम से एक फर्जी संस्था संचालित हो रही है। दिल्ली बेसड् इस संस्था ने यहां चाइल्ड होम खोल रखा था जिसमें 23 बच्चे रह रहे थे। दिल्ली की पीडि़ता नूतन की शिकायत पर 30 दिसंबर को चाइल्ड लाइन मेरठ ईकाई की अनिता राणा ने जिला प्रोवेशन अधिकारी के साथ छापा मारा और सभी बच्चों को बरामद कर लिया। इस संस्था की रसोइया वीना के दो बच्चों को उसे तत्काल सौंप दिया गया तो वहीं 21 बच्चों में से लड़कियों को नारी निकेतन और लड़कों को बाल संरक्षण गृह में रखा गया।

 

बदलते रहते हैं ठिकाना

काउंसलिंग के दौरान एक लड़के ने बताया कि जब तो चार साल का था तब मां-बाप से उसे संस्था को सौंप दिया था। वो अब 14 साल का है और कक्षा दसवीं का छात्र है। हिंदू से ईसाई बने इस लड़के ने खुलासा किया कि इन दस सालों में उसे नोएडा, मेरठ, देहरादूर और दिल्ली समेत कई आश्रमों (चाइल्ड होम) में रखा गया। हर बार आश्रम बदलने के साथ उसका स्कूल भी बदल जाता था।

 

सभी का हो गया धर्मान्तरण

विभिन्न धर्मो से आए इन बच्चों का संस्था के संचालक देवराज गोडा ने धर्मान्तरण करा दिया है। काउंसलिंग में खुलासा हुआ कि आश्रम में आने से पहले ये अपने-अपने धर्मो को मानते थे, बाद में इन्हें ईसाई बना दिया गया। ताज्जुब की बात तो यह है बच्चों के परिजन भी ईसाई धर्म को स्वीकार चुके हैं। ज्यादातर परिवार संस्था से जुड़ने से पहले हिंदू थे। मजदूरी करके पेट पाल रहे ये परिवार दिल्ली की मलिन बस्तियों और निचले इलाकों में रहने वाले हैं। काउंसलर का कहना है कि ज्यादातर बच्चों ने स्वीकारा कि वे प्रार्थना सभा में शामिल होते हैं, बाइबिल पढ़ते हैं। हालांकि किसी तरह के उत्पीड़न की बात अभी बच्चों ने नहीं स्वीकारी है।

 

प्रशासन दे रही 'क्षमादान'

फर्जी एनजीओ संचालक मेरठ में अवैध चाइल्ड होम का संचालन कर रहा था। इस होम में बच्चों को ईसाईयत का पाठ पठाया जा रहा था। पुष्टि के बाद भी प्रशासन स्तर पर कोई कार्यवाही अभी एनजीओ संचालक के खिलाफ नहीं की। जिला प्रोवेशन अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह के कार्यालय में पहुंचे एनजीओ संचालक ने अपनी प्रमाणिकता साबित करने के बजाय बच्चों की सुपुर्दगी के लिए परिजनों को ले जाकर खड़ा कर दिया। बता दें कि अभी तक एनजीओ ने प्रोवेशन अधिकारी को दस्तावेज के नाम पर कुछ प्रमाणित-अप्रमाणित शपथपत्र दिए हैं।

 

आईबी ने लगाई दौड़

चाइल्ड होम में धर्मान्तरण की चर्चा पर चौकन्ने इंटेलीजेंस ब्यूरो ने शनिवार को जिला प्रोवेशन अधिकारी कार्यालय पहुंचकर विस्तृत जानकारी हासिल की है। आईबी ने सभी बच्चों के पते प्रोवेशन अधिकारी से हासिल किए हैं। आईबी सूत्रों ने बताया कि यदि चाइल्ड होम में धर्मान्तरण हो रहा था तो यह गंभीर मुद्दा है। उच्चाधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दे दी गई है।

 

शासन ने लिया संज्ञान

मेरठ में एक अवैध शेल्टर होम में बड़ी संख्या में बच्चों की मौजूदगी से शासन चौकन्ना हो गया है। शासन इस संबंध में लगातार जिला प्रोवेशन विभाग के संपर्क में है। बिना अनुमति के चाइल्ड होम के संचालन में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के अलावा धर्मान्तरण का आरोप संस्था पर लगाया गया है। शिकायतकर्ता महिला नूतन ने संस्था के नोएडा और देहरादून स्थित आश्रमों में बच्चों का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करने के गंभीर आरोप संचालक और आश्रम स्टाफ पर लगाए हैं।

 

संस्था के पास चाइल्ड होम संचालन की न तो अनुमति है और न ही दस्तावेज। दस्तावेज मांगे हैं, दस्तावेज मुहैया न कराने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में विभाग संस्था के संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएगा।

पुष्पेंद्र सिंह, जिला प्रोवेशन अधिकारी।

Posted By: Inextlive