चीन ने अपना पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक युद्धपोत परीक्षण के लिए समुद्र में उतारा है। इस युद्धपोत का वजन पचास हजार टन है और यह चीन के जहाजी बेड़े का दूसरा युद्धपोत है। आइये इसकी खासियतों के बारे में जानें।


चीन का नया युद्धपोत बीजिंग (प्रेट्र)। चीन ने अपनी सेना को मजबूत करने और विवादित समुद्री इलाकों पर पैठ बनाने के लिए रविवार को अपना पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक युद्धपोत परीक्षण के लिए समुद्र में उतार दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस युद्धपोत का वजन पचास हजार टन है और यह चीन के जहाजी बेड़े का दूसरा युद्धपोत है। इसके चीनी सेना में 2020 तक शामिल होने की उम्मीद है। नौसेना ने एक बयान में कहा कि इस परीक्षण का उद्देश्य जहाज के प्रणोदन प्रणाली की विश्वसनीयता और क्षमता का जांच करना है।युद्धपोत का नाम और खासियत


फिलहाल इस युद्धपोत का कोई नाम नहीं रखा गया है। अगर इसकी खासियत पर बात करें तो इस पोत में 12,000 उपकरण मौजूद हैं और इन्हें चीन की 532 कंपनियों ने तैयार किया है। इस पोत में 3,200 केबिन हैं और रोजाना इसमें 3,000 मजदूर काम कर सकते हैं। नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि इस नए वाहक के कई पहलू लिओनिंग के कुछ फीचर से बहुत अलग हैं।2030 तक चार विमान वाहक बनाने की योजना

गौरतलब है कि इससे पहले चीन ने 2012 में पहले पोत लिओनिंग को अपनी नौसेना में शामिल किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लिओनिंग भले ही नौसेना में शामिल कर लिया गया है, लेकिन इसका इस्तेमाल ज्यादातर सिर्फ चीन में बने नए वाहक के अनुसंधान और उनके सुधार के लिए किया जाता है। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अब शंघाई में अपना तीसरा विमान वाहक भी बनाने पर काम शुरू कर चुका है। कहा जा रहा है कि चीन ने 2030 तक चार विमान वाहक बनाने की योजना बनाई है ताकि वह अपने नौसेना को ज्यादा आधुनिक और अधिक मजबूत कर सके।भारत को बड़ी चुनौतीचीन जिस गति से अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है, यह भारत के लिए चिंता की बात है। हमारे पास सिर्फ 44,400 टन वजनी आइएनएस विक्रमादित्य विमानवाहक युद्धपोत सेवा में है। इसे देश ने रूस से 2013 में 2.33 अरब डॉलर में खरीदा था। 40 हजार टन वजनी स्वदेशी निर्मित आइएसएन विक्रांत कोचीन शिपयार्ड में बन रहा है। इसका परीक्षण अक्टूबर, 2020 में शुरू होगा और यह पूरी तरह से संचालित 2023 तक हो पाएगा। 65 हजार टन वजनी तीसरे विमानवाहक युद्धपोत की परियोजना अधर में है। भारत को नौसैन्य क्षमता में तेजी से इजाफा करना होगा वरना दक्षिण चीन सागर और भारत की पूर्वी समुद्र सीमा पर चीन अपनी गतिविधियां बढ़ाकर भारत के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।

Posted By: Mukul Kumar