1949 में नये चीन की स्थापना के अगले वर्ष भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुये। भारत चीन लोक गणराज्य को मान्यता देने वाला पहला गैर समाजवादी देश है। चीन व भारत के बीच राजनयिक संबंध पिछले 55 वर्षों में कई स्‍तरों से गुजरे। हम आपको उन मामलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें भारत चीन के सामने अकेले डट कर खड़ा रहा।


1967 से है भारत-चीन के बीच विवादसितंबर 1967 में भारत और चीन के बीच सीमा पर आखिरी बार जिस इलाके में जोरदार फायरिंग हुई थी, सिक्किम के बॉर्डर का वही इलाका इस वक्त दोनों देशो के की सेनाओं के बीच जोर आजमाइश का केंद्र बन गया है। सिक्किम के बॉर्डर पर ताजा विवाद में दोनों सेनाओं के बीच हुआ विवाद इतना गंभीर है। दोनों देशों के करीब 1000-1000 सैनिकों ने इस इलाके में डेरा डाल दिया था। भारत इस मामले में चीन के खिलाफ पिछले 40 सालों से अकेले डटा हुआ है।मैकमोहन रेखा विवाद


भारत और चीन के बीच 4 हजार कि.मी की सीमा है जो कि निर्धारित नहीं है। इसे एलएसी भी कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।अक्साई चिन रोड विवाद

लद्दाख में इसे बनाकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया। चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हजारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था। 1950  के दशक से यह क्षेत्र चीन कब्जे में है। भारत इस पर अपना दावा जताता है। भारत इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है।

Posted By: Prabha Punj Mishra