पूर्वी लद्दाख के तीन स्थानों से भारत और चीन ने अपनी सेनाएं पीछे हटा ली हैं इसके बावजूद भारत चाहता है कि चीन की पिपुल्स लिबरेशन आर्मी तोपखाना और टैंक रेजीमेंट के साथ अपने 10 हजार सैनिकों को एलएसी में भारतीय क्षेत्र के नजदीक से हटाए। भारत का मानना है कि इसके बाद ही सीमा पर तनाव खत्म होगा। इधर चीन ने बुधवार को कहा है कि भारतीय और चीनी सेनाएं सीमा पर तनाव खत्म करने के लिए सकारात्मक हैं। वे 6 जून को सैन्य कमांडरों के बीच हुए समझौतों के मुताबिक कदम उठा रही हैं।

नई दिल्ली/बीजिंग (एएनआई/पीटीआई)। दोनों देशों के बीच बातचीत से पहले भरोसा कायम करने के लिए दोनों ओर से कदम उठाए जाने की जरूरत है। बुधवार से मेजर जनरल स्तर पर सैन्य कमांडरों की वार्ता होनी है। 6 जून को सैन्य कमांडरों की बैठक हो चुकी है। इसके बाद दोनों ओर से भारतीय और चीनी सैनिक गलवान घाटी क्षेत्र के तीन इलाकों पेट्रोलिंग प्वाइंट 14, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और पेट्रोलिंग प्वाइंट 17 से 2-2.5 किमी पीछे अपने-अपने क्षेत्र में चले गए हैं।

कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से बातचीत के सार्थक नतीजे

नई दिल्ली की ओर से एलएसी पर तीन स्थानों से भारत और चीनी सेना के पीछे हटने संबंधी बयान के एक दिन बाद चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से बयान आया है। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से हुई बातचीत में चीन और चीन के बीच सार्थक संवाद हुआ है। सीमा पर तनाव खत्म करने में दोनों देशों की ओर से सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। 5 मई से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। सेनाएं पांगोंग झील के पास फिंगर एरिया में हैं।

हो चुकी है सैन्य कमांडरों की बैठक, निकला सार्थक नतीजा

भारतीय सेना के लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह अपने चीनी समकक्ष मेजर जनरल ल्यू लिन के साथ बैठक कर चुके हैं। मेजर जनरल लिन चीन के पिपुल्स लिबरेशन आर्मी के दक्षिण शिनजियांग क्षेत्र के कमांडर चीन की ओर से बैठक में शामिल हुए थे। दोनों कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की ओर से भारी सैन्य तैनाती तथा विवाद को लेकर बातचीत की थी। जिसके सार्थक नतीजे सामने आए और पूर्वी लद्दाख में तीन स्थानों पर दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh