Gorakhpur: इंडियन गर्ल्स पर चाइनीज गेम का जुनून सिर चढ़ कर बोल रहा है. हॉकी क्रिकेट और फुटबाल से कोसों दूर ये गर्ल्स सिर्फ चाइनीज गेम्स की ट्रेनिंग ले रही है. गर्ल्स के साथ उनके पैरेंट्स भी इन गेम्स के प्रति अधिक क्रेजी है. क्योंकि इन गेम्स से न सिर्फ गर्ल्स फिट रहती है बल्कि सेल्फ डिफेंसिवनेस भी बनती है. सिटी में लगातार बढ़ रही इव-टीजिंग की घटनाओं के बाद गर्ल्स का यह क्रेज बढ़ा है. इन गेम्स की ट्रेनिंग के लिए सिटी के विभिन्न इलाके में कैंप भी बढ़े है.

 

गेम भी सेल्फ डिफेंस भी

सिटी में पांच साल पहले तक गर्ल्स बैडमिंटन, जिम्नास्टिक, हैडबाल और वॉलीबाल की रेगुलर प्रैक्टिस कर ट्रेनिंग करती थी। मगर यह ट्रेंड अब धीरे-धीरे बदल गया है। गर्ल्स इन गेम्स के बजाए चाइनीज गेम्स के प्रति अधिक क्रेजी है और रेगुलर प्रैक्टिस कर रही है। ये गेम्स अधिकांश गर्ल्स करियर बनाने के लिए नहीं बल्कि फिटनेस के साथ खुद को सेल्फ डिफेंस बनाने के लिए कर रही है। सिटी में चल रहे इन गेम्स के कैंप में पैरेंट्स खुद गर्ल्स को प्रैक्टिस के लिए लेकर जा रहे है। क्योंकि सिटी में बढ़ती इव-टीजिंग की घटनाओं के बाद ये गेम्स ही गर्ल्स की सेफ्टी का एक जरिया बन गया है। प्राइवेट के साथ स्कूल्स में भी इन गेम्स की गर्ल्स को ट्रेनिंग दी जा रही है. 

कुछ साल पहले तक जूडो सीखने काफी कम गर्ल्स आती थी। मगर अब ये संख्या अचानक कई गुना बढ़ गई है। अधिकांश गर्ल्स जूडो में मेडल जीतने नहीं आती बल्कि वे खुद को सेल्फ डिफेंसिव बनाने आती है. 

संदीप कुमार, जूडो कोच

लगातार बढ़ती इव-टीजिंग की घटनाओं के बाद मार्शल आर्ट के प्रति गर्ल्स का क्रेज बढ़ा है। पैरेंट्स अब खुद उन्हें लेकर कैंप तक जा रहे है। गवर्नमेंट ने भी स्कूल्स में इस गेम की ट्रेनिंग देना स्टार्ट कर दिया है. 

विजय कसेरा, मार्शल आर्ट कोच

इन गेम्स में बढ़ रहा गर्ल्स का क्रेज

-कराटे

-जूडो

-मार्शल आर्ट

-ताइक्वांडो

-नान चॉक

-स्ट्रीट फाइट

-एरोबिक्स

 

Report by- kumar.abhishek@inext.co.in

Posted By: Inextlive