आगरा। दीपावली के अवसर पर बाजार में उपलब्ध चायनीज, प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य तत्वों से बनीं लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों की पूजा करना लाभकारी नहीं होता। धर्माचार्यो की मानें तो ऐसी मूर्तियों की पूजा करने से शुभ फल भी नहीं मिलता। पूजा बेकार जाती है।

चायनीज मूर्तियों की डिमांड अधिक

इन दिनों बाजारों में चायनीज के साथ देशी मूर्तियों की भरमार है। इन्हें बनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पैरिस, कागज और मिट्टी आदि का प्रयोग किया जा रहा है। दुकानदारों की मानें तो चायनीज मूर्तियों की डिमांड में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। इन मूर्तियों की फिनिशिंग इतनी अच्छी से की गई होती है, कि लोग इनकी सुंदरता देखकर मोहित हो जाते हैं।

चायनीज मूर्ति पूजा के योग्य नहीं

पंडितों की मानें तो चायनीज मूर्तियों को सिर्फ मार्केट परपज से बनाया जाता है। भले ही इनकी फिनिशिंग अच्छी हो, पर इन मूर्तियों को देखकर लोगों में श्रद्धा का भाव नहीं उमड़ता। यह मूर्तियां पूजा के लिए शुभ भी नहीं मानी जाती हैं।

मिट्टी की मूर्तियां खरीदें

पंडितों की मानें तो जहां तक हो सके कुम्हार द्वारा तैयार की गई पीली मिट्टी की मूर्तियों की ही पूजा करें। दीपावली पर इन्हीं की पूजा शुभ मानी जाती है।

नहीं मिले मिट्टी की मूर्ति

अगर किसी कारण आपके पास मिट्टी की मूर्ति नहीं है तो सुपारी को गणेश जी और हल्दी की गांठ को मां लक्ष्मी मानकर पूजा कर सकते हैं। यह बहुत ही शुभ होता है। किसी कारण सुपारी भी उपलब्ध न हो सके तो हल्दी की गांठ को गणेश जी और कमलगट्टे को मां लक्ष्मी मानकर पूजन कर सकते हैं, यह और भी शुभकारी हो सकता है। कमलगट्टे की माला को मां लक्ष्मी को अर्पणकर ही महालक्ष्मी के मंत्रों का जप किया जाता है।

पंडित दिनेश गुरु कहते हैं कि पीली मिट्टी की मूर्तियों की पूजा करना ही सबसे ज्यादा लाभकारी होता है। इसके अलावा अगर हम चाहे तो गणेश जी की चांदी की मूर्ति और सोने की लक्ष्मी जी की मूर्ति की पूजा कर सकते हैं। चांदी के गणेश जी पर भी हल्दी लगाना आवश्यक होगा।

Posted By: Inextlive