हम कोई आने वाले समय की कोई साइंस फिक्शन वाली कहानी नहीं सुना रहे। बल्कि बिलकुल सच्ची बात बता रहे हैं। ये तस्वीर में आप जो बंगले जैसा घर देख रहे हैं। ये असल में 3D प्रिंटर से बनाया घर है जो 9.0 तक की ताकत के भूकंप का सामना कर सकता है। खास बात यह है कि इस घर के निर्माण में केवल तीन घंटे का समय लगा है क्योंकि इसे थ्री डी प्रिंटर तकनीक से बनाया गया है।

क्रेन से हुई घर की असेंबलिंग
अभी तक आप मशीनों और गाड़ियों की असेंबलिंग से वाकिफ होंगे पर चीन की कंस्ट्रक्शन कंपनी झोंडा ने इस घर की असेंबलिंग की है। चीन के शांक्सी प्रांत में तीन घंटे से भी कम अवधि में इस विला का निर्माण हुआ। एक क्रेन के जरिए लिविंग रूम, किचन, रेस्टरूम आदि जैसे छह मॉड्यूल असेंबल किए गए। इन सभी का वजन 100 किलो था और इन्हें बनाने में केवल 10 दिन का समय लगा।
पहले भी करते रहे हें ऐसे काम
3D प्रिंटेड विला के निर्माण और डिजाइन करने वाली कंपनी के के प्रमुख इंजीनियर ने बताया है कि परंपरागत निर्माण तरीके से एक विला के निर्माण में छह माह का समय लगता है, जबकि 3डी प्रिंट मॉडयूल का इस्तेमाल कर इस प्रक्रिया की अवधि को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस विला पर प्रति वर्ग मीटर करीब 400 से 480 डॉलर की लागत आई है। उन्होंने ये भी कहा कि इससे पहले भी 3डी प्रिंटर के जरिए छह मंजिला इमारत का निर्माण किया जा चुका है।

विला के र्निमाताओं ने बताया कि इस तरह के सभी मॉड्यूल अलग अलग होते हैं, इसलिए उनमें ज्यादा तीव्रता के भूकंप झेलने की क्षमता है। साथ ये घर स्टील फ्रेम पर बना है और हीट इंसूलेटिंग मटैरियल के कारण इन घरों में ठंडे मौसम से राहत मिलेगी।
क्या है 3D प्रिंटर तकनीक
विषेशज्ञों के अनुसार 3D प्रिंटिंग को थ्री डाइमेंशनल प्रिंटिंग या एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग भी कहते हैं। इस तकनीक के जरिए किसी भी आकार की ठोस चीज को प्रिंट किया जा सकता है फिर प्रिटिंग के जरिए तैयार की जाने वाली चीज की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, मोटाई, गहराई सब कुछ तय किया जाता है। इसको एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग भी कहते हैं क्योंकि इसमें प्रिंट किए जाने वाली चीज को तैयार करने के लिए प्रिंटिग मटीरियल की एक के ऊपर एक लेयर को रखा जाता है। यह सब कुछ कम्प्यूटर के जरिए होता है। इस तकनीक से कुछ भी तैयार करने से पहले उसका डिजिटल या वर्चुअल मॉडल तैयार किया जाता है जो कम्प्यूर ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार होता है। इसके बाद 3डी प्रिंटर के जरिए छपाई शुरू की जाती है। प्रिंटर के इंकजेट हेड्स के जरिए प्रिंटिंग मटीरियल को एक पाउडर बेड पर स्प्रे किया जाता है। फिर उसे अलग-अलग हिस्सों में प्रिंट करके असेंबल किया जाता है।

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Posted By: Molly Seth