-02 लोगों की मंडे को चाइनीज मांझे से कटी थी गर्दन

-06 साल भारत में आया था चाइनीज मांझा

-200 से ज्यादा शहर में हुआ करती थी मांझे की दुकानें

-30 से 35 दुकानें अभी चाइनीज मांझे की चल रही शहर में

-बैन होने के बावजूद शहर में बिक रहा चाइनीज मांझा

- छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई कर प्रशासन झाड़ रहा पल्ला

बरेली : चाइनीज मांझा बरेलियंस के लिए जान की मुसीबत बना हुआ है। कई वर्षो से लगातार शहरवासी इस कातिल मांझे का शिकार हो रहे हैं। लेकिन इस रोकथाम के लिए जिम्मेदार जिला प्रशासन सिर्फ कागजों में ही अभियान चलाकर ही खानापूर्ति कर रहा है। छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई कर प्रशासनिक अमला शासन को रिपोर्ट भेजकर अपना पल्ला झाड़ रहा है। प्रशासन की इस अनदेखी का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

कहां से आता है चाइनीज मांझा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश भर में चाइनीज मांझे के निर्माण पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया है। बावजूद इसके यह मांझा दिल्ली से प्रदेश भर में सप्लाई किया जा रहा है। डीलर्स के माध्यम से बरेली में छोटे दुकानदार इसकी खरीद कर लोगों को धड़ल्ले से बेच रहे हैं।

चोरी छिपे हो रहा कारोबार

पुराने मांझा कारीगरों की माने तो यहां कभी भी चाइनीज मांझा नहीं बनाया जाता था, लेकिन पिछले पांच वर्षो में इसकी डिमांड बढ़ी तो कुछ कारीगर अपने घरों में चोरी-छिपके मांझा बनाकर दुकानदारों को बेच रहे हैं।

देशी मार्का मांझा बरेली की पहचान

35 वर्षो से मांझे कारोबार कर रहे सीबीगंज निवासी जसीम खान ने बताया कि यहां देशी मार्का मांझा बनाया जाता है जिसमें किसी भी प्रकार की ऐसी चीजें प्रयुक्त नहीं की जाती है जो लोगों के लिए जानलेवा साबित हों। साथ ही बताया कि देशी मांझा काटन के धागे पर पत्थर की दो परती पॉलिश से तैयार किया जाता है। हल्का पानी पड़ने पर ही यह पिघल कर खराब हो जाता है।

सस्ता होने पर बढ़ रहा कारोबार

कारोबारियों की माने तो देशी मार्का की छह रील की चरखी जिसमें 3600 मी। मांझा होता है उसकी कीमत बाजार में 500 से 800 रुपये तक है वहीं चाईनीज मांझे की चरखी 300 से 400 में उपलब्ध है वहीं देशी की तुलना में चाईनीज मांझा न ज्यादा टूटता है और न ही बारिश में खराब होता है इस कारण यह लोगों की पहली पसंद बना हुआ है।

यह चुके शिकार

मंडे को बदायूं रोड निवासी कलक्ट्रेट कर्मी सुनील ड्यूटी पर जाते वक्त चौपुला पुल पर चाइनीज मांझे से घायल हो गए। वहीं, मंडे को ही मढ़ीनाथ निवासी अक्षय सक्सेना पांच वर्षीय बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए बाइक से निकले थे। किला पुल से गुजरते समय मांझा उनकी बेटी के गर्दन में उलझ गया जिससे उसकी गर्दन पर गहरा घाव हो गया। पिछले वर्ष किला पुल से गुजरते समय पुलिस लाइंस में तैनात रेडियो ऑपरेटर प्रीति चौधरी चाइनीज मांझे की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गई थी।

वर्जन

अभियान चलाया जा रहा है। कुछ दुकानें सील भी की गई हैं। मांझा निर्माण पर रोक लगाने के भी प्रयास किए जाएंगे।

संजय कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट।

Posted By: Inextlive