आईआईटी-जेईई के एग्जाम में पहली रैंक पाने वाले चित्रांग और 21वीं रैंक हासिल करने वाले सृजन ने ना सिर्फ आईआईटी में एडिमिशन पाया है बल्कि उन्होंने वो सपना भी पूरा किया है जो कि उनके सबसे करीब था. आईए जरा करीब से जानतें हैं चित्रांग और सृजन के सपने को...


सपना पूरा कियादेश में आईआईटी में एडमिशन लेने को क्रेजी चित्रांग और सृजन आईआईटी-जेईई में शानदार मार्क्स हासिल कर अपनी मंजिल के और करीब पहुंच गए हैं. 10वीं क्लास से ही आईआईटी में एडमिशन का जुनून अपने सर चढ़ाए उदयपुर के रहने वाले चित्रांग मुर्डिया  रोजाना तकरीबन 200 सवाल हल करने की प्रैक्टिस और डेली12-14 घंटे पढ़ाई करते थे. चित्रांग ने सिर्फ अपना सपना पूरा किया बल्कि आईआईटी-जेईई में पहली रैंक भी हासिल की. थर्सडे को आए रिजल्ट में चित्रांग को 360 में से 334 मार्क्स मिले.पिता की तरह आईएएस नहीं बनना चाहते
वहीं दूसरे टॉपर स्टूडेंट सृजन ने भी शानदार मार्क्स हासिल किए. जेईई-एडवांस की परीक्षा में 21वीं रैंक हासिल करने वाले दिल्ली के टॉपर सृजन गर्ग ने आईआईटी-जेईई के एग्जाम में 360 में से 303 अंक हासिल किए. सृजन ने दिल्ली के आरके पुरम स्थित लाल बहादुर शास्त्री स्कूल से 12वीं पास की है. सृजन अपने पिता की तरह आईएएस नहीं बल्कि कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहते हैं. सृजन का कहना है कि यदि कड़ी मेहनत, लगातार स्टडी और सबजेक्टों की बेहतर समझ हो तो कोई भी स्टूडेंट इस एग्जाम में सफलता प्राप्त कर सकता है. गिटार बजाने और वीडियो गेम खेलने के शौकीन सृजन कहते हैं कि, एक बेहतर इंजीनियर बनकर देश में सेवा करने के बाद मैं विदेश में अपना करियर बनाना चाहता हूं.  करियर चुनने का दबाव नहींसृजन के पिता संदीप गर्ग दिल्ली में इनकम टैक्स कमिश्नर हैं. पिता की नौकरी में ट्रांस्फर के कारण उनकी 11वीं से पहले की पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल, सूरत में हुई है. वो माता-पिता की अकेली संतान हैं. वो अपनी सफलता का श्रेय परिवार और टीचर्स को देते हैं. सृजन कहते हैं कि मैं हर दिन कोचिंग के अलावा छह घंटे की अतिरिक्त पढ़ाई करता था. सोशल मीडिया पर मेरा अकाउंट होने के बाद भी मैं उसके लिए ज्यादा टाइम नहीं निकाल पाता हूं. सृजन की मां होम्योपैथी की डॉक्टर हैं. वो कहते हैं कि परिवार वालों ने कभी मेरे ऊपर करियर चुनने के लिए दबाव नहीं बनाया.

Posted By: Subhesh Sharma