एक मस्तिष्क आघात ने ब्रिटेन के क्रिस बिर्श की न सिर्फ जिंदगी बल्कि उसे जीने का अंदाज भी पूरी तरह बदल दिया.

वो कहते हैं कि मस्तिष्क आघात ने उन्हें समलैंगिक बना दिया और अब वो खुद को ही तलाश रहे हैं कि आखिर वो कौन हैं और उनकी जिंदगी में यह बदलाव क्यों आया।

27 साल के बिर्श अपनी पुरानी तस्वीरों को देखते हैं तो खुद को पहचानने और अपनी पुरानी शख्सियत को याद करने की कोशिश करते हैं। वेल्स घाटी का एक ऐसा नौजवान जो बीयर और पार्टियों का दीवाना था। वो एक बैंक में काम करते थे और खेल और मोटरबाइक उन्हें बहुत पसंद थे।

वो बताते हैं कि 2007 में एक हादसे ने उनकी जिंदगी को बदल दिया। उनका मानना है कि इसी वजह से वह एक सामान्य युवा से समलैंगिक बन गए।

बदल गई जिंदगी

बिर्श ने बताया, "मैं एक दिन जा रहा था कि मेरे दिमाग में रक्त की आपूर्ति बंद हो गई जिससे मुझे मस्तिष्क का आघात हुआ। उसी के इलाज के दौरान मैंने महसूस किया कि मैं बदल गया हूं। जिस क्रिस को मैं जानता था, वो चला गया है और उसी के साथ एक नया क्रिस आ गया है। मैंने अनुभव किया कि उस मस्तिष्क आघात ने मुझे समलैंगिंक बना दिया."

मस्तिष्क आघात उस समय होता है जब दिमाग में खून और उसकी वजह से ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है। ऑक्सीजन के बिना दिमाग का कोई भी हिस्सा नष्ट हो सकता है क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती हैं और वो हादसे से पहले ही बहुत सी बातों को याद नहीं रख पाता है। बिर्श ने अपनी शरीर में दूसरे बदलाव भी महसूस किए हैं। मिसाल के तौर पर जब वो थक जाते हैं तो उनकी बाईं आंख झुकने लग जाती है।

पैदाइशी समलैंगिक तो नहींपिछले साल जब बिर्श की कहानी सुर्खियों में आई तो यह बड़ी जल्दी सब जगह फैल गई। कुछ मीडिया संस्थानों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या कोई आघात किसी व्यक्ति के यौन रुझान को बदल सकता है। इस तरह के बहुत ही कम मामले प्रकाश में आए हैं कि किसी आघात के कारण कोई व्यक्ति सामान्य से समलैंगिक बन गया।

इस तरह के मामलों में शख्सियत बदलने के मामले भी विरले ही दिखते हैं। यहां तक कि बिर्श के मंगेतर जैक पॉवेल का मानना है कि शायद क्रिस हमेशा से ही समलैंगिक रहे हो।

पॉवेल का कहना है, "मेरा अब भी यही मानना है कि हमेशा से ऐसा रहा होगा। लोग बड़े हो जाते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता कि वह समलैंगिक हैं और उनका अपना परिवार भी हो जाता है और फिर उन्हें असहास होता है कि वे तो समलैंगिक हैं, लेकिन यह महसूस करने के लिए उन्हें मस्तिष्क आघात नहीं होता."

बिर्श जैसे कुछ और भी मामले देखे गए हैं जब लंबी बीमारी के बाद लोगों के शौक और रुझान बदल गए। बिर्श भी हादसे के बाद हेयर ड्रेसर बन गए जबकि वह पहले बैंकिंग के पेशे में थे।

मुश्किल दौरलेकिन बिर्श को इन बातों पर अब भी विश्वास नहीं है। वह मानते हैं कि मस्तिष्क आघात ने ही उन्हें समलैंगिक बना दिया। जब उन्हें पुरूषों के प्रति अपने आकर्षण के बारे में पता चला तो वह उनकी जिंदगी का बहुत मुश्किल दौर था।

बिर्श बताते हैं, "एक तरह से अकेलापन था। वो ऐसा वक्त था जब मैं किसी को यह बताने से डरता था क्योंकि मैं ऐसा नहीं था जैसा कभी हुआ करता था। इसलिए मुझे वो नहीं होना चाहिए जो मैं नहीं हूं। आप लोगों को बताने से डरते हैं। इस बारे में बात करने से डरते हैं कि आप में किसी तरह का बदलाव हुआ है और मैं समझता हूं कि मैंने अपने पारिवारिक घर को छोड़ कर इस समस्या का हल किया और मैंने मान लिया कि जो मैं कभी था, अब वो सब खत्म हो चुका है."

वैज्ञानिक पहेलीकिसी व्यक्ति में मस्तिष्क के आघात से लैंगिक रुझान बदल जाने पर वैज्ञानिक बिरादरी बंटी हुई है। लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय में यौन रुझान के विशेषज्ञ डॉ। काजी रहमान का कहना है कि समलैंगिक पुरूषों के मस्तिष्क को एक सामान्य व्यक्ति के मस्तिष्क की तरह व्यवस्थित किया जा सकता है। उन्होंने बिर्श को भी अपने क्लीनिक में बुलाया और यह परखने की कोशिश की क्या वह जन्म से समलैंगिक हैं या बाद में बने।

परीक्षण के आधे नतीजों में उन्होंने पैदाइशी समलैंगिक जैसे लक्षण प्रदर्शित किए जबकि आधे नतीजों में उन्हें सामान्य व्यक्ति पाया गया। हालांकि विज्ञान के लिए बिर्श जैसे लोगों की पहेली को सुलझाना हमेशा मुश्किल होगा, लेकिन वह अपनी नई जिंदगी और नई पहचान को तलाशने में जुटे हैं। उन्होंने अपनी पुरानी तस्वीरों को भी हटा दिया है। वो बस अब यादों का हिस्सा हैं। लेकिन वह कहते हैं कि वह खुश हैं और इसीलिए कोई बदलाव नहीं चाहते हैं।

Posted By: Inextlive