बहू बाजार स्थित सेंट पॉल्स कथेड्रल चर्च सिटी की शान है। इसकी शुरुआत 145 साल पहले 8 मार्च 1873 को हुआ था। तब से लेकर आज तक लाखों की संख्या में मसीही विश्वासियों ने आराधना और स्तुतिगान किया है। कथेड्रल शब्द कथेड्रा से बना है, जिसका अर्थ होता है 'बिशप का सिंहासन'। जिस उपासनालय में बिशप का सिंहासन हो, उसे ही कथेड्रा कहा जाता है।

बिशप मिलमल ने की थी पहल

सेंट पॉल्स कथेड्रल चर्च की स्थापना की कहानी काफी पुरानी है। फरवरी 1870 में कलकत्ता डायसिस के बिशप एवं मेट्रोपोलिटन महा मान्यवर जॉर्ज एडवर्ड मिलमल ने अपनी तीसरी रांची यात्रा के क्रम में स्थानीय अगुवों की एक विशप सभा छोटानागपुर के तत्कालीन कमिश्नर जलटेन साहब के यहां बुलाई थी। इसी सभा में उन्होंने इस चर्च की स्थापना का प्रस्ताव रखा था। उसी सभा में एक इंजीनियर जनरल रॉलेट भी मौजूद थे। वे रांची के ज्यूडिशियल कमिश्नर भी थे। उन्होंने ही इस चर्च का नक्शा तैयार किया। इसके बाद एक कुशल कारिगर आर्थर हेजार्ग की निगरानी में इस चर्च की निर्माण शुरू हुआ।

कथेड्रल में मौजूद कुछ यादगार चीजें

1. बपतिस्मा कुंड

2. उकाबी स्तंभ

3. पीतल का रैल

4. प्रभु भोज का कटोरा

5. लोहे का क्रूस

कब-कब कौन बने बिशप

1. रेव्ह जेसी विटले - 23 मार्च 1890

2. रेव्ह एलेक्सवुड - 6 दिसंबर 1919

3. रेव्ह के केनेडी - 12 दिसंबर 1926

4. रेव्ह नोएल हॉल - 30 नवंबर 1936

5. रेव्ह एसडीबी बीडी हंस - 13 अक्टूबर 1957

6. रेव्ह जेड जे तेरोम - 25 मई 1986

7. रेव्ह बीबी बास्के - 28 अक्टूबर 2007

Posted By: Inextlive