Lucknow: दो अलग अलग मजहब के लोग एक तीसरे मजहब के व्यक्ति की मजार पर चढ़ावा चढ़ा रहे हैं. चढ़ावा भी कोई फूल या चादर का नहीं बल्कि सिगरेट का. इस मजार का नाम ही पड़ गया है सिगरेट वाले बाबा की मजार. जी हां यह सुनकर आपको भले ही आश्चर्य हो लेकिन यह सच है. लखनऊ में रिंगरोड से आधा किलोमीटर अंदर बरी के जंगल में बनी इस मजार के चर्चे दूर दूर तक हैं. आइये बताते हैं आपका इस मजार के बारे में.


मोसियो मार्टिन ने बनवायाहरदोई रोड के किनारे हवेली नुमा मूसाबाग का निर्माण नवाब आसिफउद्दौला के लिए मोसियो मार्टिन ने बनवाया था. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में यह हवेली अंग्रेजों और भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के बीच हुई गोलीबारी में ध्वस्त हो गयी. इस हवेली के पीछे के ओर एक क्रिश्चियन की कब्र है. कब्र पर लगे पत्थर पर लिखे शब्दों पर यकीन करें तो पता चलता है कि यह कब्र कैप्टन फ्रेडरिक वेल की है. जो एक लड़ाई के दौरान 21 मार्च 1858 को मारे गये थे. यहां हर गुरूवार को भीड़ लगती है. लोग सिगरेट लेकर आते हैं और सिगरेट जला कर मजार पर चढ़ाते हैं और दुआएं मांगते हैं.

यहां हर मन्नत पूरी होती है


बरी कला के अशोक की शादी एक दिन पहले हुई है. वह इस मजार पर अपनी वाइफ को लेकर आये थे. अशोक का कहना था कि यहां की हर मन्नतें पूरी होती हैं इस लिए वह यहां आये हैं. उनके खानदान में जो भी शादियां हुई हैं सभी पहले यहीं आते हैं. काकोरी की रहने वाली खुशनुमा को यहां आकर खुशी मिलती है. इसी लिए वह हर थर्सडे को यहां आती हैं. खुशनुमा का कहना है कि उनके हसबैंड आर्मी में हैं और खुशनुमा एक समाज सेविका हैं जो पुलिस से पडऩे वालों कामों में लोगों की मदद करती हैं.कब से शुरू हो गयी कैप्टन की पूजाइस बारे में कोई भी नहीं जानता कि एक अंग्रेज की कब्र पर पूजा कब और कैसे शुरु हो गई. इस बारे में यहां आने वाले लोगों से बात की गयी तो बताया गया कि उनके पूर्वज यहां आते थे इस लिए वह भी यहां आते हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह मजार कैप्टन एफ वेल की है. क्योंकि एक सिगरेट ब्रांड का नाम भी कैप्टन है. तो हो सकता है कि यह उसी वजह से यहां सिगरेट का चढ़ावा चढ़ाया जाने लगा हो. किसी को दी रोटी और किसी को मकानसिगरेट बाबा पर आस्था रखने वाले बरीकला के हनुमान का कहना है कि यहां सभी की मन्नतें पूरी होती हैं. मैं यहां बचपन से आ रहा हूं. पहले घर में खाने के लाले पड़े होते थे अब काफी बेहतर है. यहीं से मुझे रोटी मिली और मकान मिला. यहां आये सिद्धार्थ का कहना है कि उनकी प्रॉपर्टी नहीं बिक रही थी उसी की अर्जी लगाने सिगरेट बाबा के दरबार में आया हूं.

लखनऊ से कैमरामैन आशीष पांडेय के साथ यासिर रजा inextlive के लिए.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari