- मदरसों में तैनात आधुनिक टीचर्स को नियुक्ति के बाद कुछ माह तक ही मिला मानदेय

-ढाई साल से नहीं मिल रहा मानदेय, भुखमरी के कगार पर पहुंचे कई मदरसा शिक्षक

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डिस्ट्रिक्ट के मदरसों में तैनात आधुनिक टीचर्स को ढाई साल पहले तक मानदेय मिलता रहा लेकिन उसके बाद से उन्हें मानदेय नहीं मिल रहा है। इससे तमाम शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। इनमें कोई कोचिंग में पढ़ाकर खर्च निकाल रहा है तो कोई अन्य काम करके गुजर-बसर कर रहा है। मानदेय को लेकर मदरसा शिक्षकों ने कई बार शासन-प्रशासन के सामने आवाज भी बुलंद की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। वहीं, विभागीय अफसर बजट का अभाव बताकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं।

तीन सब्जेक्ट पढ़ाते हैं टीचर्स

दरअसल, सपा सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण की योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत मदरसों में स्टूडेंट्स को इंग्लिश, मैथ और साइंस पढ़ाने के लिए संविदा पर आधुनिक टीचर्स तैनात किए गए हैं। शासन का मकसद स्टूडेंट्स को निर्धारित विषयों के अलावा तीन सब्जेक्ट्स का नॉलेज देकर उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना था। प्रत्येक मदरसे में ऐसे शिक्षकों की संख्या दो से तीन है।

आंदोलन पर भी नहीं बनी बात

मदरसों के आधुनिक टीचर्स को नियुक्ति के बाद काफी समय तक हर महीने निर्धारित मानदेय मिलता रहा, लेकिन करीब ढाई साल से उनका मानदेय अटक गया है। इसको लेकर मदरसा शिक्षक संघ ने कई बार आंदोलन भी किया, लेकिन बात नहीं बनी। मानदेय नहीं मिलने से आधुनिक टीचर्स अपने परिजनों का जीविकोपार्जन करने में असमर्थ हैं। कुछ शिक्षकों ने बताया कि वे कोचिंग, ट्यूशन आदि पढ़ाकर किसी तरह से खर्च निकाल रहे हैं। वहीं तमाम टीचर अन्य काम कर परिजनों का सहारा बने हुए हैं।

क्यों आई मानदेय की दिक्कत?

आधुनिक शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय में केन्द्र सरकार 70 फीसदी और राज्य सरकार 30 फीसदी धन देती है। विभागीय अफसरों के मुताबिक केन्द्र सरकार ने ढाई साल और राज्य सरकार ने करीब नौ महीने से धनराशि नहीं दी है। केन्द्र के धन रोकने के बाद राज्य सरकार ने जो पैसा दिया भी तो वह मानदेय के मद में नाकाफी साबित हुआ। इससे टीचर्स के सामने परेशानी बढ़ गई।

एक नजर

85

आधुनिक मदरसे हैं डिस्ट्रिक्ट में

250

से ज्यादा आधुनिक टीचरों की है तैनाती

10 से 15

हजार तक मिलता है मानदेय

30

महीने से अटका है आधुनिक टीचर्स का मानदेय

मदरसों में तैनात आधुनिक टीचर्स का मानदेय का मामला शासन में लम्बित है। बजट का अभाव होने से मानदेय नहीं दिया जा सका है। शासन स्तर से ही इसका समाधान हो सकता है।

विजय प्रताप यादव, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी

Posted By: Inextlive