Ranchi: वेडनसडे को श्रीनगर में हुए आतंकी हमले में झारखंड का सपूत सुभाष बारला 21 शहीद हो गया. शहीद जवान हजारीबाग डिस्ट्रिक्ट के हुड़हुड़ू मोहल्ले का रहनेवाला था. जाबांज सुभाष के शहीद होने की इंफॉर्मेशन उसकी मां पूनम बारला को दे दी गई है. गौरतलब है कि सीआरपीएफ कैंप पर आतंकियों द्वारा किए गए हमले में पांच जवान शहीद हो गए.


रांची में रहते हैं अंकल-आंटीसीआरपीएफ के जवान सुभाष बारला को जब भी छुट्टी मिलती थी, वह रांची जरूर आता था. उसके अंकल एमेन बारला और आंटी इफ्रासिया बारला सिटी के कांटाटोली एरिया में रहते हैं। इनसे मिलने के लिए सुभाष रांची आता रहता था। इसके अलावे सुभाष ने धुर्वा स्थित सीआरपीएफ कैंप में ही ट्रेनिंग ली थी।

देश सेवा था मकसद
सुभाष बारला ने हजारीबाग स्थित सेंट कोलंबस कॉलेज से पढ़ाई की थी और वह यूथ कैथोलिकों का लीडर भी था। देश सेवा और सोशल सर्विस का जज्बा उसमें कूट-कूट कर भरा हुआ था। इसलिए उसने स्टूडेंट पीरियड में ही आर्मी में जाने का फैसला कर लिया था। यही वजह थी कि उसने किसी अदर सेक्टर में जॉब पाने के लिए कभी कोशिश नहीं की। यूथ में अवेयरनेस लाने के लिए वह हजारीबाग और बाहर भी प्रवचन दिया करता था. इस बीच उसका सेलेक्शन सीआरपीएफ के लिए हो गया। आज से डेढ़ साल पहले उसकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हुई। सीआरपीएफ में परफॉर्मेंस और काबिलियत को देखते हुए सुभाष को को कुछ ही दिनों में  कमांडिंग ऑफिसर के पोस्ट पर प्रमोशन होने वाला था, लेकिन इससे पहले ही आतंकी हमले में वह देश की खातिर शहीद हो गया। इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट से रिटायर्ड पतरस बारला और कैथोलिक चर्च में काम करने वाली पूनम बारला का सुभाष इकलौता बेटा था। उसकी छोटी बहन मनीदीपा अहमदाबाद में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही है।  आंटी बताओ क्या लाऊंगापिछली बार छुट्टियों में जब सुभाष रांची आया था तो वह अपनी आंटी से पूछा था कि अगली बार आऊंगा तो आपके लिए क्या लाऊंगा। इस पर आंटी ने कहा था-  तुम खुद चले आओ। यही सबसे बड़ा उपहार है। वह बताती हैं कि सुभाष शांत और मिलनसार नेचर का था। सोशल सर्विस में उसका खूब मन लगता था। हमेशा दूसरों की मदद किया करता था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के बाद भी वह फैमिली मेंबर्स का उत्साह और मनोबल बढ़ाता रहता था।

Posted By: Inextlive