- सामाजिक संस्था हो या पेट्रोल पंप, हर जगह आगे हैं महिलाएं

- वर्दी पहनकर शोहदों को सिखा रही सबक, वकालत में भी कमा रहीं नाम

Meerut : शुक्रवार को लाखों लोगों ने रील लाइफ की मर्दानी को सिने थियेटरों में देखा, लेकिन असल जिंदगी में भी मर्दानी कम नहीं है। अगर देखेंगे तो तो हर कदम पर हम सभी को मर्दानी मिल जाएगी, जो समाज में मर्दो की तरह लड़ रही है और जीत भी रही है। आज हम अपने कुछ ऐसी ही मर्दानियों से आपका परिचय करा रहे हैं जो अपने संघर्ष से समाज में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं या जुटी हुई हैं

एक संकल्प लेकर उतरी हूं

मेरठ और आसपास के जिले में वेश्यावृत्ति और ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर लड़ रही अतुल शर्मा एक संकल्प लेकर मैदान में उतरी हैं। इसलिए उन्होंने अपनी इस संस्था का नाम भी संकल्प भी रखा है। इन्होंने क्7 सालों में ब्फ्0 महिलाओं/युवतियों को अपने दलदल से निकालकर उनके घर पहुंचाया। वह बताती हैं कि इस दौरान उन्हें दलालों के नेक्सेस काफी जूझना पड़ा। जान से मारने की कोशिश की गई। प्रशासन का भी उतना सहयोग नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए। आज जब मैं अपने अचीवमेंट्स को देखती हूं तो सबसे बड़ी बात यही लगती है मेरे तीनों बच्चे मेरे साथ और मेरे काम से संतुष्ट है। पूरी फैमिली का मुझे पूरा सहयोग मिलता है।

हमें भी पूरा अधिकार है

वकालत की दुनिया में हमेशा से पुरुषों का ही दबदबा रहा। फिर चाहे वो केस मिलने की बात हो या फिर बार में जगह मिलने की बात। इस बात एडवोकेट रजनीश कौर ने समझा और कूद पड़ी मैदान में। रजनीश कौर मेरठ बार एसोसिएशन में कार्यकारिणी सदस्य हैं। ख्0क्ख् से वकालत की दुनिया में आई रजनीश कौर का कहना मुझे इस लड़ाई में ज्यादा समय तो नहीं हुआ, लेकिन मैं सभी महिला एडवोकेट को एकत्रित कर रही हूं। उन्हें ये बात समझाने का प्रयास कर रही हूं कि क्या महिला एडवोकेट किसी पुरुष से कम हैं। उन्होंने भी वही कानून की किताबें पढ़ी हैं जो हम पढ़कर आएं हैं। नई लड़कियों को कचहरी लाने का प्रयास करती हूं। कुल फ्भ्00 वकीलों में 800 महिलाएं हैं। इनमें प्रैक्टिस के लिए फ्भ्0 ही आती हैं। इस संख्या को आगे बढ़ाना हैं।

कांपने लग जाते हैं शोहदे

खाकी वर्दी, रौबदार अंदाज तो हर पुलिस कर्मी का होता है, लेकिन मेरठ की महिला थाना प्रभारी अलका सिंह पंवार को देखकर खासतौर से शोहदे कांप उठते है। ख्000 बेच की अलका पंवार पिछले करीब सात साल से मेरठ में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। महिला पुलिस की बात जहां भी होती है तो उनका नाम सुर्खियों में आता है। उनकी खासियत है कि उन्हें देखकर सड़क पर घूमने वाले मनचले भी कांप जाते हैं। जब भी आरजी कॉलेज या किसी भी महिला कॉलेज के बाहर अलका पंवार खड़ी हो जाती है, तो वहां आसपास दूर-दूर तक कोई मनचला नहीं फटकता।

जिंदगी ऐसी जो चैलेंज बन जाए

बेगमबाग रहने वाली रीतू रुपस देढ़ साल से रजबन पेट्रोल पंप में जॉब कर रही है। आठ साल की उम्र में जब रीतू की मां चल बसी थी, तभी से वह अपनी बुआ के पास रहती थी। रीतू ने आठवीं क्लास करने के साथ ही खुद पर डिपेंड रहने का विचार कर लिया था। रीतू ने बताया कि वह आठवीं क्लास से ही जॉब करने लगीं। डेढ़ साल पहले जब उसने क्लीनिक की जॉब छोड़ पेट्रोल पम्प ज्वाइन किया तो उसे आसपास पड़ोस के लोगों के काफी ताने सुनने पड़े थे। इसके बावजूद रीतू अपने फैसले पर अटल रहीं और आज वह खुद पर गर्व करती है। रीतू का मानना है कि महिलाओं को को हर वो काम करना चाहिए जो दूसरों के लिए चैलेंज बन जाए।

महिला बस में भी है मर्दानी

मोदीपुरम में रहने वाली साहिबा ने शादी होने के बाद ही आरजी कॉलेज से एमए की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के साथ ही साथ वह एक चैलेंजिंग जॉब की तलाश में भी थी। 8 मार्च ख्0क्फ् को जब सिटी में महिला बस आई की शुरुआत हुई तो साहिबा का यह सपना भी पूरा हो गया। आज वो महिला बस में कंडेक्टर की जॉब कर खुद पर फर्क महसूस करती है। सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक वह भी पुरुषों की तरह बस में टिकट देने का काम करती हैं। साहिबा का मानना है कि जॉब केवल आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए ही नहीं, वह जिंदगी की मुश्किलों को चैलेंज देने के लिए जॉब कर रहीं है। साहिबा का कहना है कि चुनौतियों का सामना करके ही जीना असल जिंदगी है।

महिलाओं को सिखाया सेल्फ डिफेंस

पूनम विश्नोई ने खुद की सुरक्षा के लिए जूडो खेल को चुना। बचपन में इस हुनर को उन्होंने निखारा। धीरे-धीरे आगे बढ़ी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक नाम कमाया। इसके बाद पूनम विश्नोई ने एनआईएस करके बीड़ा उठाया जूडोका तैयार करने का। आज पूनम कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में जूडो कोच हैं। पूनम यहां भ्0 से अधिक लड़कियों को ट्रेनिंग दे रही हैं। पूनम विश्नोई ने निर्भया रेप केस के बाद शहर की हर लड़की और महिला को खुद की सुरक्षा के लिए जागरूक किया। पूनम स्कूलों में जाकर लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देती हैं। पूनम ने कॉलोनियों में जाकर भी सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी, जिससे शहर की हर लड़की और महिला खुद की सुरक्षा कर सके।

ग‌र्ल्स की हेल्प को हमेशा आगे

मीनल गौतम कैलाशपुरी में रहने वाली मीनल ने शुरुआत से ही अपनी सुरक्षा खुद करने का जज्बा दिखाया। कोई भी लड़का अगर छेड़खानी करता तो मीनल ने उसे करारा जवाब दिया। जब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया तो मीनल का लक्ष्य सिर्फ लड़कियों की सुरक्षा करना और उनकी मदद करना था। इस अभियान में आगे बढ़ने के लिए वह एबीवीवी से भी जुड़ीं और सीसीएसयू छात्रसंघ की महामंत्री चुनी गईं। इसके बाद मीनल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज जिस कॉलेज में लड़कियों को कोई परेशानी होती है, मीनल उनके लिए सबसे आगे खड़ी होती हैं।

Posted By: Inextlive