होजरी इंडस्ट्री में बूम से बढ़ा इंप्लॉएमेंट
- नए बाजार मिलने से 10 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ
-कैजुअल वियर की डिमॉड पूरी कर रही होजरी इंडस्ट्री - नई यूनिटें खुलने से हर साल एक हजार नए जॉब्स क्रिएट हो रहे -350 करोड़ में से 15 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट KANPUR : सिटी की होजरी इंडस्ट्री को नया बाजार मिलने से इस सेक्टर में बूम आ गया है। इस बार उछाल इतना है कि बीते क्0 सालों में सबसे ज्यादा ग्रोथ इसी सेक्टर में दर्ज हुई है। इसकी वजह बदलता फैशन ही है। कैजुअल वेयर कपड़ों के नए ट्रेंड ने इस इंडस्ट्री को नया बूम दिया है। नए ट्रेंड में बड़े कारोबारी बाजार में कैजुअल वेयर की अलग-अलग रेंज लेकर बाजार में आ रहे हैं,गर्मियां शुरु होते ही इसकी बंपर बिक्री होने की उम्मीद है। सालाना क्भ् फीसदी तक ग्रोथनादर्न इंडिया होजरी मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के मनोज बांका बताते हैं अकेले कानपुर में यह इंडस्ट्री सालाना क्0 से क्भ् फीसदी की ग्रोथ कर रही है। आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आएगी। अभी तक निटिंग यार्न से सिर्फ अंडरगारमेंट ही बनते थे, लेकिन मौजूदा दौर में बरमूडा, लोवर, टीशर्ट में भी इस कपड़े का इस्तेमाल हो रहा है। देश में तो यह कैजुवल वेयर ख्0 फीसदी लोग ही यूज करते हैं लेकिन विदेशों में इसकी संख्या 80 फीसदी तक है। इसलिए अंडरगारमेंट्स बनाने वाले होजरी कारोबारी इस बाजार में भी आ रहे हैं। इसके लिए नई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिटें भी लगाई जा रही हैं। रुमा स्थित टेक्सटाइल पार्क क्98 में से लगभग पूरे प्लॉट बिक चुके हैं और उसमें नई यूनिटें लगाने का काम जोरों पर है। वहीं जेट निटवेयर में बलराम नरूला बताते हैं इस सेक्टर में आने वाले दो से तीन सालों में ख्0 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ होने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश होजरी उद्योग व्यापार मंडल के बद्री नारायण ने बताया कि होजरी उद्योग में ग्रोथ होने से नई यूनिटें खुल रही हैं जिससे इंप्लॉएमेंट भी बढ़ा है।
सिटी में होजरी सेक्टर कॉटन होजरी क्लस्टर रजिस्टर्ड यूनिटें - ब्म्7 कलस्टर का टर्नओवर- फ्भ्0 करोड़ एक्सपोर्ट किये जाने वाले प्रोडक्ट्स की वेल्यू- क्भ् करोड़ लगभग कुल एंप्लॉईमेंट - क्ख्,000 लगभग निटिंग की यूनिटें- क्क्0 स्टिचिंग की यूनिटें- भ्ख्भ् प्रोसेसिंग की यूनिटें- ब्0 गली गली में होजरी यूनिटेंहोजरी उत्पाद बनाने वाली यूनिटें सिर्फ रुमा के टेक्सटाइल कलस्टर में ही नहीं है बल्कि की उससे ज्यादा यूनिटें तो सिटी के गलियों में चल रही है। चमनगंज, कर्नलगंज, आरके नगर कई ऐसे इलाके हैं जहां होजरी के सैकड़ों छोटी छोटी यूनिटें चल रही है। कुछ का तो करोबार करोड़ों में है। एमएसएमई के पास इन यूनिटों का कोई आंकड़ा ही नहीं है।
मशीनें सस्ती होने से भी हो रही आसानी होजरी उत्पाद बनाने के लिए लॉक स्टिचिंग, इंटर लॉक, ओवर लॉक और फ्लेट लॉक जैसी मशीनें यूज की जाती हैं। मैनुअल मशीने क्0 हजार तक वहीं आटोमेटिक मशीने भ्0 हजार से फ्.भ् लाख तक में मौजूद हैं। वहीं बाहर से भी मशीनरी खरीदने पर टैक्स में छूट मिल रही है जो व्यापारियों को इससे भी काफी फायदा हो रहा है। होजरी कारोबार शुरु करने में इनवेस्टमेंटएमएसएमई के निदेशक संजीव चावला बताते हैं कि होजरी सेक्टर अनआर्गनाइज्ड है। जिसमें मुख्यत अंडर गारमेंट्स ही बनाए जाते हैं। इसके भी कई पार्ट है। पहला निटिंग, दूसरा स्टिचिंग और तीसरा प्रोसेसिंग। तीनों में अलग अलग तरह की मशीनें यूज होती है। सबसे ज्यादा मंहगी इंटर लॉक,ओवर लॉक और फ्लेट लॉक मशीनें आती है। इसके अलावा निटिंग कपड़े का यूज होता है.इस बिजनेस में कामगार भी आसानी से मिल जाते हैं। जगह की उपलब्धता इस बात पर निर्भर करती है कि कितने बड़े स्तर पर कारोबार शुरु किया जाएगा। अन्यथा तो यह यूनिट तो एक कमरे में भी लगाई जा सकती है। एक यूनिट शुरु करने में मिनिमम फ्.भ् लाख तक का खर्चा आता है।