एक अदद हाई एंड लाइब्रेरी तक उपलब्ध नहीं शहर में रिसर्च स्कॉलर्स को

पीएचडी करने वालों को किताबों की खोज में दूसरे राज्यों की लगानी पड़ती है दौड़

यूनिवर्सिटी ने भी इस इश्यू पर अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं की है, शोध छात्रों की समस्याएं जारी

KANPUR : शहर के सैकड़ों रिसर्च स्कॉलर्स को जरूरत होती है लाइब्रेरी की जहां पर अच्छे इंटरनेशनल जर्नल्स के साथ स्टैंडर्ड टेक्स्ट बुक मिल सकें। लेकिन सिटी में ऐसी स्तरीय किताबों के लिए एक भी लाइब्रेरी नहीं होने से निराशा हाथ लगती है। रिफरेंस मैटीरियल के लिए मेधावियों को दिल्ली, हैदराबाद और कोलकाता की सेन्ट्रल लाइब्रेरी तक की सैर करनी पड़ती है। इंजीनियरिंग में पीएचडी के लिए आईआईटी में शानदार इन्फ्रास्ट्रक्चर है और एचबीटीआई में रिसर्च की सुविधाएं स्टूडेंट्स को मिलती हैं। सीएसजेएमयू का कैंपस बहुत शानदार है लेकिन रिसर्च स्कॉलर्स के लिए कोई सुविधा नहीं होना इस विश्वविद्यालय को पीछे धकेल रहा है।

सीएसजेएमयू के पूर्व वाइस चांसलर पद्म श्री एसएस कटियार ने यूनिवर्सिटी को बहुत खूबसूरत बनाया लेकिन लैब व लाइब्रेरी में स्तरीय रिपुरेंस मैटीरियल और बुक्स पर आज तक कोई विचार ही नहीं किया गया। आईआईटी में प्रोफेसर रह चुके एकस वीसी प्रो। कटियार के अलावा आईआईटी दिल्ली के प्रो। एचके सहगल ने भी इस दिशा में कोई खास काम नहीं करवा पाया।

सीएसजेएमयू में इंग्लिश, हिन्दी , संस्कृत, आर्कियोलॉजी, जैसे सब्जेक्ट में रिसर्च करने वाले स्टूडेंट्स को बुक्स या इंटरनेशनल जर्नल्स पढ़ने के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ती है। इन स्टूडेंट्स को दूसरे स्टेट के शहरों की खाक छाननी पड़ती है। इंग्लिश में पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स को इंडो अमेरिकन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्टडी हैदराबाद और इंग्लिश इन फॉरन स्टडी हैदराबाद जाते हैं। संस्कृत के स्टूडेंट्स को संस्कृत यूनिवर्सिटी उत्तराखंड, वाराणसी और उज्जैन मध्य प्रदेश की सैर करनी पड़ती है। बहुत से स्टूडेंट्स को सेंट्रल लाइब्रेरी कोलकाता जाना पड़ता है। इन लाइब्रेरी में जाने के लिए गाइड के साथ साथ एचओडी का परमीशन लेटर लेकर जाना पड़ता है।

यूनिवर्सिटी का इन्फ्रास्ट्रक्चर भले ही दुरुस्त करने की कवायद की जा रही हो लेकिन हकीकत यह है कि इस यूनिवर्सिटी से रिसर्च करना स्टूडेंट्स के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया यह चिंतन का विषय है। अभी भी इस दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है। हालांकि बीते म् साल से यूनिवर्सिटी में रिसर्च पूरी तरह से ठप पड़ा है। स्टेट लेवल का एंट्रेस करा लिया गया लेकिन यूनिवर्सिटी में रिसर्च वर्क शुरू नहीं हो सका ।

वर्जन

यूनिवर्सिटी हो या फिर सिटी का कोई कॉलेज वहां की लाइब्रेरी में टेक्स्टबुक या फिर इंटरनेशनल जर्नल्स की कोई व्यवस्था नहीं है। हमे इंडो अमेरिकन स्टडी सेंटर हैदराबाद जाना पड़ा था।

डॉ। स्मिता त्रिपाठी

यह तो अच्छा था कि हमारे गाइड सर को पूरी जानकारी थी जिसकी वजह से हमें हैदराबाद की दौड़ लगानी पड़ी लेकिन वहां पर मैटीरियल मिल गया था।

डॉ। प्रशांत यादव

लाइब्रेरी साइंस में रिसर्च वर्क कर रहा हूं। यूनिवर्सिटी में एमलिब व बीलिब के कोर्स चल रहे हैं लेकिन स्टडी मैटीरियल नहीं है। इसके लिए दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ रही है।

डीके सक्सेना

संस्कृत में रिसर्च करने के लिए कमर कसी लेकिन जब मैटीरियल नहीं मिला तो समस्या खड़ी हो गयी। हमें इसके लिए उत्तराखंड, उज्जैन और वाराणसी के चक्कर लगाने पड़े।

डॉ। संदीप गुप्त

'पैसा दो पीएचडी करो.'

पद्मश्री साहित्यकार गिरिराज किशोर कहते हैं कि सीएसजेएमयू में रिसर्च स्कॉलर के लिए रिसोर्सेज नहीं हैं। यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरी तो है लेकिन वहां पर स्टैंडर्ड टेक्स्ट बुक का अभाव है। यहां तक कि इंटरनेशनल जर्नल्स भी नहीं उपलब्ध हैं। सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के कुछ टीचर तो पीएचडी ठेके पर करवा रहे हैं। पैसा दो पीएचडी करो की रणनीति धंधेबाजों ने बना ली है जो कि एजूकेशन को भारी नुकसान पहुंचा रही है। ये महौल शिक्षा के लिए घातक है। उन्होंने बताया कि लखनऊ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी यहां से बहुत अच्छी है। यहीं नहीं आचार्य नरेन्द्र देव लाइब्रेरी मोती महल लखनऊ की हालत अच्छी है। रिसर्च वर्क में नकल की जो टेंडेंसी आ गयी है वो खतरनाक हो गयी है। जिन्हें कुछ आता नहीं वो शिक्षक बनकर राष्ट्र का क्या विकास करेंगे

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यूनिवर्सिटी में रिसर्च की कंडीशन ठीक नहीं है। रही बात जहां तक लाइब्रेरी की जल्द ही वहां की विजिट कर उसके बारे में जानकारी हासिल करूंगा। अगर रिसर्च वर्क के लिए टेक्स्ट बुक्स या फिर इंटरनेशनल जर्नल्स का अभाव है तो फिर इसकी व्यवस्था करायी जाएगी। यहां काफी टाइम से रिसर्च वर्क ठप पड़ा हुआ है।

-प्रो। जयंत विनायक वैशम्पायन, एक्टिंग वाइस चांसलर

Posted By: Inextlive