-बनारस-लखनऊ इंटरसिटी व पैसेंजर ट्रेन के कोचेज में लगेगा सोलर पैनल

-प्रत्येक कोच से 12 यूनिट तक बिजली का होगा उत्पादन, प्रॉपर होगी सप्लाई

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

ट्रेंस के धीमी गति से चलने के कारण बैट्री चार्ज नहीं होने पर पैसेंजर्स पंखे नहीं चलने और लाइट का प्रकाश कम होने की शिकायत करते हैं। रात में कई बार कोच में अंधेरा रहता है। इस समस्या को दूर करने के लिए रेलवे इंटरसिटी, डीएमयू व पैसेंजर ट्रेंन में सोलर पैनल लगाने की तैयारी में है। इसी कड़ी में रेलवे बोर्ड बनारस से लखनऊ के बीच चलने वाली इंटरसिटी की छत पर फ्लेक्सिबल सोलर पीवी पैनल लगाएगा। इससे कोच के पंखे, लाइटें और मोबाइल चार्जिग प्वाइंट आसानी से चलाए जाएंगे। जिसमें प्रॉपर वोल्टेज मिलेगा।

20 यूनिट तक वोल्टेज

कोच में सोलर एनर्जी से 15 से 20 यूनिट बिजली मिलेगी। इंडियन रेलवे ऑर्गेनाइजेशन फॉर अल्टरनेट फ्यूल्स (आइआरओएएफ) ने सोलर पैनल डेवलप किया है। लास्ट ईयर रेवाड़ी-सीतापुर डीएमयू में सोलर पैनल लगाए गए थे। इसमें ट्रायल सफल होने के बाद अन्य डीएमयू, इंटरसिटी व पैसेंजर ट्रेंस में इसे लगाने का प्लान है। जल्द ही लखनऊ-वाराणसी पैसेंजर (54255/54256), लखनऊ-वाराणसी पैसेंजर (54334/54333) और वाराणसी-लखनऊ इंटरसिटी (14203/04) में भी सोलर पैनल लग जाएंगे। इससे प्रत्येक कोच से रेलवे को 25 साल में तीन करोड़ रुपये का डीजल बचेगा। यही नहीं 1350 टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन भी रुकेगा।

कोचेज में लगेंगे मल्टीपल सेंसर

कोचेज में लगे फ्लैक्सिबल सोलर पीवी पैनल कम भार और आसानी से इनबिल्ड होने वाले हैं। कोचेज की छत पर लगाए गए सोलर पैनलों का कुल भार लगभग 120 किलोग्राम है। इनसे एक दिन में 15 से 20 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। खास बात यह कि सोलर एनर्जी प्रोडक्शन के साथ-साथ यह कोचेज सेंसर से भी युक्त हैं, जो पैनलों पर सौर विकिरण, उनसे उत्पन्न होने वाले कम्पन, सोलर वोल्टेज और करंट, कोच/रैक द्वारा सोलर एनर्जी उत्पादन, टेंप्रेचर, ट्रेन और हवा की गति, जीपीएस, डेट और टाइम भी अपडेट करेगा।

बनारस से लखनऊ के बीच संचालित पैसेंजर व इंटरसिटी के कोचेज में सोलर पैनल लगने के बाद पैसेंजर्स को सुविधा के साथ ही रेलवे को भी फायदा होगा।

विक्रम सिंह, पीआरओ

लखनऊ डिवीजन, नॉर्दन रेलवे

Posted By: Inextlive