- कोर्ट मैरिज में रहते हैं कई पेंच

- परिवार वाले न मानें तो करते हैं आर्य समाज से विवाह

- आर्य समाज मंदिर में शादी-80

कोर्ट मैरिज-20

कोर्ट मैरिज में रहते हैं कई पेंच

- परिवार वाले न मानें तो करते हैं आर्य समाज से विवाह

- आर्य समाज मंदिर में शादी-80

कोर्ट मैरिज-ख्0

ritesh.dwivedi@inext.co.in

LUCKNOW: ritesh.dwivedi@inext.co.in

LUCKNOW: कभी प्रेमी युगल में पापुलर रही कोर्ट मैरिज का ग्राफ लगातार गिरता चला जा रहा हैं एक तरफ इसका कारण कोर्ट की परेशानियां हैं, वहीं घरवालों की बदलती सोच ने भी कोर्ट मैरिजों को कम कर दिया हैं। इंटरकास्ट मैरिज अब आम बात हो गई है। शुरुआत में भले ही फैमिलीवाले ना-नुकर करें,लेकिन आखिरकार बच्चों की खुशी के सामने उन्हें झुकना ही पड़ता है। सहमति न मिली तो लवर्स आर्य समाज से शादी करना ज्यादा पसंद करते हैं। बीते दो साल में शहर में जहां औसतन ख्0 प्रतिशत लव मैरिज कोर्ट में हुई वहींआर्य समाज में यह आंकड़ा सालाना 80 प्रतिशत तक रहा।

- इंदिरानगर के अमित अवस्थी ने जब अपने घर में दीप्ति से लव मैरिज का प्रस्ताव रखा तो उनके घर वालों ने कोई ऐतराज नहीं जताया। दीप्ति कायस्थ थीं, जबकि अमित ब्राह्माण। इसके बावजूद दोनों फैमिली में किसी ने विरोध नहीं किया। अमित के पापा ओपी अवस्थी भी फौरन मान गए और बहुत खुश हुए। आज वो खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।

-राजाजीपुरम के कुलदीप श्रीवास्तव और श्रीलंका की प्रधाना जयतिलके रिलीजन और सरहद की दीवार तोड़कर शादी के बंधन में बंध चुके हैं। भातखंडे में क्लासिकल म्यूजिक सीखने के दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आए और उन्होंने लाइफलॉन्ग साथ रहने का फैसला किया। अब कुलदीप जॉब के सिलसिले में न्यूजीलैंड में हैं और प्रधाना भी सरहद पार जा चुकी हैं।

अब इंटरकास्ट मैरिज तो आम बात हो गई है। घर-परिवार वालों की सोच भी जमाने के साथ बदल चुकी है। शुरुआत में भले ही फैमिली ना-नुकर करें,लेकिन आखिरकार बच्चों की खुशी के सामने उन्हें झुकना ही पड़ता है। कुछ पेचीदे मामले होते हैं तो लवर्स आर्य समाज से शादी करना ज्यादा पसंद करते हैं। ज्यादातर मामलों में प्रेमी युगल कोर्ट मैरिज से बचना चाहते हैं।

कोर्ट मैरिज में हैं ब्रेकर

ज्यादातर लवर्स स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोर्ट मैरिज करने के बजाय आर्य समाज से शादी करने को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। दरअसल, कोर्ट कचहरी के चक्कर से निजात पाने के लिए वह ऐसा कर रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो साल में शहर में जहां औसतन ख्0 प्रतिशत लव मैरिज कोर्ट में हुई जबकि आर्य समाज में यह आंकड़ा सालाना 80 प्रतिशत तक है।

बदल गया है जमाना

विशेष विवाह अधिनियम के तहत जिला प्रशासन में जो आंकड़े दर्ज हैं, वे खुद ही गवाही देते हैं कि लव के आगे ना तो धर्म की दीवार आड़े आती है और न ही देशों की सरहदों की। कुछ साल पहले तक जब इंटर रिलीजन मैरिज होती थी तो फैमिली वाले और रिश्तेदार खूब विरोध करते थे। लेकिन हाल ही में सामने आए मामलों ने यह साबित कर दिया है कि अब जमाना बदल गया है।

नहीं कराते हैं लोग रजिस्ट्रेशन

शादियों के रजिस्ट्रेशन कराने में लोगों का ज्यादा इंट्रेस्ट नहीं रहता है। विशेष विवाह अधिनियम के सेक्शन भ् के तहत कोर्ट मैरिज के लिए पिछले साल केवल ख्7म् मामले आए इसमें क्म्फ् लोगों की शादियां हुई। जबकि सेक्शन क्भ् के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कुल 8फ् आवेदनों में फ्7 मामलों का रजिस्ट्रेशन कराया गया। वहीं इस साल क्फ्0 लोगों की ही कोर्ट मैरिज हुई हैं। इंटर कास्ट मैरिज के बारे में कोई रिकार्ड नहीं रहता क्योंकि आवेदन पत्र में ऐसा कोई कॉलम नहीं है जिससे कास्ट का पता चलता है।

यह राह नहीं है आसान

कोर्ट मैरिज का रास्ता कम लोग ही अपना रहे हैं। समाज में होने वाली शादियां विभिन्न धर्मो और रीति-रिवाज के अन्तर्गत होती है। इसलिए लव मैरिज करने वाले आमतौर पर कोर्ट की राह पकड़ते हैं। लेकिन यह राह भी इतनी आसान नहीं है। प्रेमियों के सामने कानूनी दिक्कतें भी कम नहीं है। यदि प्रेमी जोड़े कलेक्ट्रेट में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करना चाहें तो यह एक्ट उनकी शादी की राह को और भी ज्यादा मुश्किल बना देता है। इसलिए अधिकांश प्रेमी जोड़े कोर्ट मैरिज से बचते हैं। कलेक्ट्रेट में शादी के लिए बहुत ही कम आवेदन आते हैं। स्पेशल मैरिज एक्ट के जरिए कोर्ट मैरिज करना शासकीय दृष्टिकोण से सरल है लेकिन प्रेमी युगल के लिए यह आसान नहीं है। कोर्ट में शादी करने के लिए आवेदन देने पर उसकी जानकारी संबंधित युगल के परिवार को दे दी जाती है। परिवारवालों के विरोध के बाद कोर्ट में शादी करना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए प्रेमी युगल आर्य समाज को प्रायर्टी दे रहे हैं।

आर्य समाज हैं बेहतर

प्यार करने वालों के लिए कोर्ट मैरिज के बजाय आर्य समाज ज्यादा बेहतर है। आर्यसमाज में होने वाले कुल विवाह में म्0 प्रतिशत लव मैरिज हैं। समाज के पदाधिकारियों की कोशिश रहती है कि शादी में किसी एक पक्ष के घरवाले शामिल रहें। कई मंदिरों ने तो यह अनिवार्य भी कर दिया है।

है वैधानिक मान्यता

आर्य समाज के आर्य विवाह विधि मान्यकरण अधिनियम क्9फ्7 के तहत विवाह कराने की वैधानिक मान्यता प्राप्त है। आर्य समाज धर्म परिवर्तन नहीं करा सकता है। शादी के बाद समाज द्वारा विवाह प्रमाण पत्र दिए जाते हैं।

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया

विवाह से तीन महीने पहले धारा पांच के अन्तर्गत कलेक्ट्रेट में नोटिस दिया जाता है

नोटिस के साथ आयु व निवास प्रमाण पत्र, क्भ् रुपए का चालान और दो शपथ पत्र भरे जाते हैं। शपथ पत्र में लड़का और लड़की की रजामंदी और उनकी योग्यता का विवरण होता है। इसमें स्पष्ट किया जाता है। उनके बीच कोई प्रतिबंधात्मक रिश्तेदारी नहीं है

इसके बाद विवाह अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी की छानबीन की जाती है।

शादी के लिए दिए गए नोटिस की कॉपी को कलेक्ट्रेट या कोर्ट परिसर में चस्पा किया जाता है।

लड़का-लड़की के माता पिता को उनकी शादी की जानकारी संबंधित सूचना भेजी जाती है।

जानकारी सही पाए जाने पर किसी की आपत्ति न आने पर शादी होती है।

इंटर रिलीजन मैरिज की सिचुएशन

- मुस्लिम वर और हिन्दू वधू के कुल ख्9 मामले शादी के आए, इसमें आठ शादियां हुई।

- हिन्दू वर और मुस्लिम वधू की शादी के सात मामलों में दो शादियां हुई।

- हिन्दू वर और क्रिश्चियन वधू के तीन मामलों में दो शादियों का रजिस्ट्रेशन किया गया।

- क्रिश्चियन वर और हिन्दू वधू के दो में एक शादी हुई।

ग्लोबलाइजेशन का है असर

समाजशास्त्री डीके त्रिपाठी कहते हैं कि ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में अब इंटरकास्ट मैरिज के स्थान पर इंटर रिलीजन मैरिज का चलन बढ़ गया है। अब लड़का या लड़की अपने पैरों पर खड़े होते ही अपनी पसंद की शादी करना चाहते हैं। इसमें न तो वह धर्म की दूरियों को मानते हैं और न ही जाति के बंधनों को।

Posted By: Inextlive