मेयर और नगर आयुक्त ने किया घंटाघर ने नई घड़ी का निरीक्षण

पुरानी मैकेनिकल क्लॉक को रखा जाएगा म्यूजियम में

देहरादून।

घंटाघर की नई इलेक्ट्रॉनिक क्लॉक्स ने सैटरडे से टिक-टिक करना शुरू कर दिया। यहां घड़ी वर्ष 2008 से बंद थी। घंटाघर में साढ़े नौ लाख रुपये की लागत से लगी नई क्लॉक्स का सैटरडे को मेयर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने संयुक्त निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि हर एक घंटे में लाउडस्पीकर के माध्यम से आसपास के लोगों को क्लॉक्स की आवाज सुनाई देंगी। साथ ही पुरानी क्लॉक्स को नगर निगम परिसर में म्यूजियम बना वहां रखा जाएगा।

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चेन्नई की क्लॉक लगाई

घंटाघर की पुरानी पैंडूलम बेस्ड मैकेनिकल क्लॉक्स हटाकर चेन्नई से मंगाई गई इलेक्ट्रॉनिक क्लॉक इंस्टॉल कर दी गई थी। ब्रिडकुल की ओर से घंटाघर के रेट्रोफिकेशन वर्क के तहत क्लॉक इन्टॉलेशन का काम शुरू किया गया था। इसके बाद यहां 4 पुरानी क्लॉक निकाली गई। उसकी जगह पर नई इलेक्ट्रॉनिक क्लॉक्स लगाई गई।

पूरी हो गई थी मियाद

घंटाघर पर पहले मैकेनिकल क्लॉक लगी थीं। बताया जाता है कि ये क्लॉक स्विटजरलैंड से मंगाई गई थीं। इन क्लॉक्स की मियाद पूरी हो चुकी थी, तीन साल से ये काम नहीं कर रही थीं। इसके बाद नगर निगम की ओर से घंटाघर के रेट्रोफिकेशन और ब्यूटीफिकेशन की कवायद शुरू की गई। ब्रिडकुल की ओर से रेट्रोफिकेशन का काम किया गया। इसी के अंतिम चरण में अब नई क्लॉक इंस्टॉल की गई। दून का घंटाघर षट्कोणीय है, पहले की तरह इसके हर कोण पर एक क्लॉक इन्स्टॉल की गई।

पुरानी घडि़यां उतारने में छूटे पसीने

ब्रिडकुल की ओर से पुरानी क्लॉक हटाने के लिए लगाए गये श्रमिकों के इन्हें अनइंस्टॉल करने में पसीने छूट गए थे। पुरानी क्लॉक मैकेनिकल थी। इसके भारी-भारी पुर्जो में जंग लग चुका था। ऐसे में इन्हें अनइंस्टॉल करना आसान नहीं था। 4 दिन में सिर्फ 4 क्लॉक ही अनइंस्टॉल हो पाई थी। इनमें से एक टूट भी गई थी।

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स्वदेशी डिजिटल क्लॉक

घंटाघर पर स्विटजरलैंड की मैकेनिकल क्लॉक की जगह अब चेन्नई की स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक क्लॉक इंस्टॉल की गई। ये इलेक्ट्रिक पावर से चल रही हैं, जबकि मैकेनिकल क्लॉक्स पेंडुलम बेस थीं। चेन्नई से इन क्लॉक्स को साढ़े 9 लाख रुपए में खरीदकर दून लाया गया है।

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Posted By: Inextlive