-एक्स सीएस राकेश शर्मा की प्लानिंग पर फेर दिया पानी

-नजदीकी सीट सितारगंज में बहुगुणा को डैमेज करने की मंशा

-किच्छा और हरिद्वार में भगतदा और निशंक के लिए पेश की चुनौती

DEHRADUN: सीएम हरीश रावत का किच्छा से चुनाव लड़ने का फैसला भले ही लोगों को अप्रत्याशित फैसला लग रहा हो, लेकिन हकीकत ये है कि अपने विरोधियों से हिसाब चुकता करने के लिए हरदा ने बहुत दूर की सोची है। पार्टी संगठन को फायदा पहुंचाने के लिहाज से तो ये फैसला अहम है ही, क्योंकि ऊधमसिंहनगर में म् सीटें हैं, लेकिन कई बातें हरदा के संबंध में पर्सनल भी हैं, जिनका हिसाब-किताब किच्छा में ही संभव हो सकता है। तराई की सियासत में जमने की कोशिश कर रहे एक्स सीएस राकेश शर्मा की प्लानिंग पर हरदा ने पानी फेर दिया है। अब डर एक्स सीएम विजय बहुगुणा के लिए भी है, क्योंकि किच्छा में हैवीवेट हरदा के उतरने के बाद इसका असर नजदीकी सीट सितारगंज तक भी जा सकता है जहां से उनका बेटा सौरभ बीजेपी प्रत्याशी है।

हरदा के मन में शर्मा को लेकर टीस

पिछले साल मार्च में सियासी संग्राम के दौरान सत्ता गंवाने वाले हरदा ने कई बार परोक्ष रूप से राकेश शर्मा से पहुंची तकलीफ का जिक्र किया है। अपनी सरकार गिराने में इस नौकरशाह की भूमिका का भी जिक्र किया है। ये भी बताने से वे नहीं चूके हैं कि पुराने बहुगुणा-हरक जैसे सहयोगियों के दबाव के कारण शर्मा को मुख्य प्रधान सचिव बनाना पड़ा था। किच्छा में अब हरदा सारी बातों का हिसाब लेने निकले हैं।

भगतदा-बहुगुणा पर बढे़गा दबाव

किच्छा सीट से हरदा की दावेदारी के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा पर तराई में पार्टी की परफॉरमेंस को लेकर दबाव बढे़गा। भगतदा नैनीताल से सांसद हैं, जिसके अंतर्गत किच्छा सीट आती है। वहीं, सितारगंज के पूर्व विधायक होने के नाते बहुगुणा पर भी जिम्मेदारी आन पड़ी है कि वह तराई में बीजेपी का खेल बिगड़ने न दें। भगतदा-बहुगुणा ही राकेश शर्मा को बीजेपी में लाने के लिए प्रयासरत थे। मगर ऐसा नहीं हो पाया। अब शर्मा न तो बीजेपी प्रत्याशी राजेश शुक्ला के साथ खडे़ हो सकते और न ही हरदा के। निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी उनकी अब संभावना नहीं है।

हरिद्वार में निशंक का होगा इम्तिहान

हरिद्वार की सियासत में हरीश रावत का बीजेपी के किसी नेता से यदि सबसे बड़ा बैर है तो वह निशंक से है। निशंक ने हरिद्वार सांसद की कुर्सी हरीश रावत से ही छीनी है। सीएम बनने के बाद हरीश रावत अपनी पत्नी रेणुका रावत को इस पर आसीन कराना चाहते थे, लेकिन निशंक ने बाजी मार ली। इसके बाद, हरिद्वार से जुडे़ छोटे-बडे़ हर मामले में हरदा-निशंक की भिड़ंत होती है। हरिद्वार ग्रामीण सीट पर हरदा की दावेदारी के बाद अब निशंक पर पूरा दारोमदार होगा कि वह पार्टी प्रत्याशी सिटिंग एमएलए यतीश्वरानंद को एक भी पल कमजोर न पड़ने दें।

Posted By: Inextlive