पदाधिकारियों की बैठक में सीएम के सामने फूटा नेताओं का गुस्सा

-पीडीएफ सदस्यों को खासी तवज्जो दिए जाने को लेकर असंतोष

-पीसीसी अध्यक्ष ने तो यहां तक कहा, हमारी जरूरत नहीं तो हम चले

देहरादून, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे कांग्रेस में ज्वाला धधकनी शुरू हो गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं ने सीएम के सामने ही खुलकर अपना गुस्सा जताना शुरू कर दिया है। इस नाराजगी की सबसे बड़ी वजह सरकार में शामिल पीडीएफ सदस्यों को खासी तवज्जो मिलना है। असंतोष की आग रविवार को सीएम आवास पर करीब 6 घंटे की मैराथन की बैठक में देखने को मिली। सूत्रों की मानें तो आखिर में सीएम ने कह दिया कि 2017 में कांग्रेस की सरकार फिर से बननी तय है, चाहे कोई साथ दे या न दे।

पीडीएफ को नहीं पचा पा रहे

कांग्रेस पदाधिकारियों व प्रवक्ताओं के साथ सीधे संवाद कार्यक्रम में सीएम ने विपक्षी पार्टी के प्रवक्ताओं का उदाहरण दिया कि वे तैयारियों के साथ मीडिया डिबेट में पहुंचते थे। कांग्रेस के पदाधिकारी या प्रवक्ता भी काउंटर जवाब के लिए तैयारियों के साथ जाएं। उसके बाद पदाधिकारियों ने अपनी बातें रखनी शुरू कीं। पूर्व कैबिनेट मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण ने साफ कहा कि उन्हें बार-बार जिला बदर किया जा रहा है। उनका इशारा देवप्रयाग से पीडीएफ के सदस्य व सरकार में शामिल मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी को लेकर था। हाल में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान काबिना मंत्री दिनेश धनै व प्रीतम पंवार को अतिरिक्त भारी-भरकम प्रभार सौंपे हैं इसलिए भी पदाधिकारी नाराज हैं।

अधिकारी नहीं देते तवज्जो

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र शाह ने बैठक में कहा कि कार्यकर्ताओं को जिले से लेकर ब्लाक स्तर के अधिकारी तवज्जो नहीं देते हैं। पार्टी का जो कार्यकर्ता ईमानदारी से काम कर अपनी फरियाद को लेकर बीडीओ, सीडीओ और डीएम के पास पहुंचते हैं उन्हें अहमियत ही नहीं दी जाती है। महानगर महिला अध्यक्ष कमलेश रमन ने कहा महिला सशक्तिकरण के लिए दर्जनों योजनाएं शुरु की गई हैं, लेकिन कांग्रेस महिला पदाधिकारियों को उसका परफॉर्मा तक नहीं मुहैया कराया गया। आखिर वे सरकार की जनहितैषी नीतियों को कैसे जनता के बीच ले जाएंगी। एक के बाद एक पदाधिकारियों ने अपने सवाल सामने रखे तो बहस बढ़ती गई। एक महिला पदाधिकारी बोल पड़ी कि 40 सालों से वे पार्टी की सेवा कर रही हैं, बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला। बढ़ती बहस को देखते हुए आखिर में सीएम को कहना पड़ा कि कोई साथ दे या न दे, 2017 में कांग्रेस की सरकार फिर से बन रही है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वे कुछ पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपेंगे। लेकिन इस बीच पीसीसी चीफ भी बोल पड़े कि जब हमारी जरूरत ही नहीं तो, हमारा क्या काम है, हम चलते हैं।

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जिन लोगों ने पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा और पार्टी को नुकसान पहुंचाया उनको तवज्जो दी जा रही है। वे पार्टी के सदस्य तक नही हैं। निष्ठावान कार्यकर्ताओं को भी तवज्जो दी जानी चाहिए।

शूरवीर सजवाण, पूर्व कैबिनेट मंत्री।

सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए ब्लाक से लेकर एसडीएम, सीडीओ व डीएम ऑफिस तक कार्यकर्ता पहुंचते हैं तो अधिकारी उनको तरजीह नहीं देते। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई होती है।

राजेंद्र शाह, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता।

मेरा मानना है कि महिलाओं के लिए जो नीतियां शुरु की गई हैं, उसका परफॉर्मा भी महिला पदाधिकारियों को दिया जाना चाहिए। लेकिन कांग्रेस पदाधिकारियों को जानकारी नहीं है। कैसे वे जनता के बीच कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ले जाएंगे।

कमलेश रमन, महानगर महिला अध्यक्ष।

संवाद कार्यक्रम के दौरान पदाधिकारियों ने सीएम के सामने मजबूती से अपनी बात रखी। सबको अधिकार है। हर पार्टी के अंदर मतभेद आम बात हैं, लेकिन आखिर में सभी ने मिशन 2017 को जुट जाने का भी निर्णय लिया।

मथुरा दत्त जोशी, मुख्य प्रवक्ता, पीसीसी।

Posted By: Inextlive