-उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के बीच बनी सहमति

-प्रकरणों के निस्तारण को होगी मुख्य सचिव स्तर पर बैठक

-दोनों राज्यों के बीच मतभेद होने पर केंद्र का फैसला दोनों राज्यों को होगा मान्य

>DEHRADUN: उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर सालों से लंबित मामलों के सुलझने के आसार नजर आ रहे हैं। सोमवार सुबह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व यूपी के चीफ मिनिस्टर आदित्यनाथ योगी के बीच करीब दो घंटे तक चली बहुप्रतिक्षित बैठक में परिसंपत्तियों के निस्तारण पर मंथन हुआ। आखिर में दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी कि एक समय सीमा के भीतर लंबित मामले सुलझाए जाएंगे। सभी मसलों पर दोनों राज्यों के पक्ष के साथ कंप्लीट नोट तैयार होगा। जल्द ही दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी स्तर की अगले तीन माह के भीतर बैठक संपन्न होगी।

नहीं रहेगा मसला लंबित

सोमवार को सबकी निगाहें दोनों राज्यों की तरफ थी। भला हो भी क्यों न। उत्तराखंड गठन के क्म् सालों बाद भी अब तक उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं हो पाया। इसके लिए पूर्ववर्ती सरकारों की तरफ से प्रयास भी किए गए, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पायी। अब दोनों राज्यों के अलावा केंद्र में भाजपानीत सरकार है तो सभी को भरोसा था कि यूपी व उत्तराखंड के बीच अनसुझले मामलों पर तेजी आ पाएगी। इस बावत सोमवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत वे यूपी के चीफ मिनिस्टर आदित्यनाथ योगी के बीच बैठक हुई। अपने सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को भरोसा दिया कि अब यह मसला लंबित नहीं रहेगा। यूपी के सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के गठन की लंबी अवधि के बावजूद मामलों का निपटारा न होना दोनों राज्यों के हित में नहीं है। कहा, प्राथमिकता के आधार पर दोनों राज्यों के मामलों का निस्तारण होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट, एसीएस ओम प्रकाश भी शामिल थे।

तो मिलेगी ब्ख्00 करोड़ की संपत्ति

-यूपी के सीएम ने विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव को दिए निर्देश।

-कहा, विभागीय प्रकरण में शासन की टिप्पणी हर हाल में क्0 मई ख्0क्7 से पहले उत्तराखंड सरकार को भेजना सुनिश्चित करें।

-बैठक में यूपी के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह समेत संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

-सहमति बनी तो उत्तराखंड को मिलेगी ब्ख्00 करोड़ की संपत्ति।

-सिंचाई, ऊर्जा, परिवहन, वित्त, आवास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, सूचना एवं जनसंपर्क, माध्यमिक शिक्षा, सहकारिता व उत्तराखंड राज्य भंडारगार निगम के प्रकरण भी लंबित।

-वन, ग्राम्य विकास, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, माध्यमिक शिक्षा, औद्योगिक विकास भी शामिल हैं।

-मुख्य सचिव स्तर की बैठक के बाद विभागीय मंत्रियों के स्तर से सहमति बनेगी।

-मामलों के निस्तारित न हो पाने पर मुख्यमंत्री स्तर पर निर्णय होगा।

-इसके बाद भी मामले के न सुलझ पाने पर केंद्र सरकार के स्तर से होगा निर्णय।

-केंद्र सरकार का फैसला आखिरी फैसला ही माना जाएगा।

बंटवारे के कुछ प्रमुख बिंदु

सिंचाई विभाग

- उप्र के कब्जे में ख्म्म् आवास, दो अतिथि गृह, फ्म् नहरें और ख्क्ब् हेक्टेयर भूमि।

-फ्म् नहरों से सिंचाई उत्तराखंड में होती है, लेकिन स्वामित्व उप्र सरकार के पास।

-पिछली सरकार में ख्8 नहरों को उत्तराखंड को सौंपने की सहमति तो बनी, लेकिन मूर्तरूप नहीं मिल सका।

ग्राम्य विकास: उप्र आवास विकास परिषद पर उत्तराखंड सरकार की ओर से निर्बल आवास योजना के अंतर्गत ऋण समाधान और ऋण देनदारी।

पंचायती राज : उप्र रिवाल्विंग फंड में उत्तराखंड के क्फ् जिलों की जिला पंचायतों की जमा धनराशि पर अर्जित ब्याज।

औद्योगिक विकास : उप्र पर अनुबंध के मुताबिक बकाया ब्याज की क्भ् करोड़ से अधिक धनराशि।

गृह विभाग : पिथौरागढ़ में क्ब्0 नाली भूमि।

तराई बीज एवं तराई विकास परिषद : करीब नौ करोड़ की धनराशि।

परिवहन निगम: लखनऊ जिला मुख्यालय और दिल्ली स्थित राज्य अतिथि गृह की परिसंपत्ति का बंटवारा। परिवहन निगम की कार्यशालाओं का भी मसला।

बांध परियोजना:-टिहरी बांध परियोजना, जमरानी बांध पर भी हुई चर्चा।

पेंशन:-पेंशन पूर्ति के दायित्व पर भी बैठक में हुआ मंथन।

परिसंपत्तियों को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से सकारात्मक वार्ता हुई है। उन्होंने इस मामले में रुचि दिखाई है। जल्द ही इस मामले में मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों की बैठक होगी। इस मामले पर नजर रखने के लिए किसी मंत्री को भी जिम्मेदारी दी जाएगी।

-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

Posted By: Inextlive