- कोचिंग के पास तो कोई ऑप्शन नहीं

- आगे भी सोशल डिस्टेंसिंग होगी बड़ा चैलेंज

- अगर टीचर्स को आने की मिले छूट, तो बन जाएं कई काम

GORAKHPUR: कोरोना वायरस ने सबको परेशान कर रखा है। इसकी वजह से सभी घरों में कैद हैं। अब धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटने लगी थी, तो फिर बढ़ रहे केसेज ने लोगों को टेंशन में डाल दिया है। ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाला एजुकेशन सेक्टर अब बच्चों को पढ़ाने के तौर तरीके ढूंढने में लग गया है। स्कूल्स में जहां ऑनलाइन क्लास और लेक्चर के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है, वहीं यूनिवर्सिटी भी ऑनलाइन मोड में आ चुकी है। इन सबके बीच कोचिंग सेक्टर से जुड़े लोग परेशानी में हैं। ऑनलाइन क्लास तो उन्होंने भी शुरू कर दी है, लेकिन तैयारियां और व्यवस्थाएं न होने से वह परेशान हैं। स्टूडेंट्स को वर्बली तो काफी कुछ सिखाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन दिखाकर पढ़ाने के लिए टीचर्स के घरों में न तो व्हाइट बोर्ड हैं और न ही नोट्स टाइप कराने के लिए जरूरी इंतजाम। ऐसे में अब कोचिंग सेक्टर भी रियायत की उम्मीद लगाए बैठे हैं, जिससे कि उनके इंतजाम तो हो सकें ही, वहीं बच्चों को पढ़ाने में आ रही दुश्वारियों को कम किया जा सके।

ऑफिस खोलने की मिले परमिशन

कोचिंग सेक्टर से जुड़े लोगों की मानें तो कोचिंग भी एजुकेशन सेक्टर का अहम पार्ट है। इस पर भी बच्चे उतने ही डिपेंड हैं, जितना कि स्कूल और कॉलेज पर, इसलिए जरूरी है कोचिंग के जरिए उन्हें भी प्रॉपर गाइडेंस मिल सके। एजुकेशन सेक्टर में तो ऑफिसेज खोलने की परमिशन दे दी गई है, लेकिन कोचिंग में अब भी ऑफिस खोलने पर रिस्ट्रिक्शन है। ऐसे में स्टूडेंट्स के प्रॉपर नोट्स, गाइडेंस के साथ ही क्लास लेने में भी टीचर्स को मुश्किलें फेस करनी पड़ रही हैं। वहीं डिस्कशन के साथ प्रिपेयर किए जाने वाले पेपर्स भी वह तैयार नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से स्टूडेंट्स तक वह क्वालिटी मैटेरियल नहीं पहुंच पा रहा है, जो पहुंचना चाहिए। वहीं कुछ कॉम्प्टीटिव एग्जाम की डेट एक्सटेंड हुई है और स्टूडेंट्स को तैयारी का थोड़ा और मौका मिला है, अगर कोचिंग सेक्टर को ऑफिस खोलने की ही परमिशन दे दी जाए, तो टीचर्स ऑफिस पहुंचकर क्वालिटी मैटेरियल प्रिपेयर कर सकेंगे और इसका फायदा सीधा स्टूडेंट्स को होगा।

फीस की प्रॉब्लम भी होगी दूर

कोचिंग सेक्टर के जरिए ढेरों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। लॉकडाउन से कोचिंग बंद हैं और इनकी इनकम के सोर्स भी पूरी तरह से बंद हैं। ऐसे में ऑफिस खोलना और एडमिशन के लिए परमिशन मिलना भी जरूरी है। भले ही इसके लिए कोचिंग ऑप्शन रखें। पहले तो सभी स्टूडेंट्स को एक साथ क्लास के लिए न बुलाया जाए, जिन्हें बुलाया भी जाए, उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करने के लिए रिस्ट्रिक्ट किया जाए। क्लास में सभी को मास्क मेंडेटरी किया जाए। टाइम टू टाइम क्लास का सेनिटाइजेशन कराया जाए। वहीं कुछ दिन ऑनलाइन और कुछ दिन ऑफलाइन क्लास की व्यवस्था की जाए, जिससे कि स्टूडेंट्स को फिजिकल क्लास का भी मौका मिले और भीड़-भाड़ न होने से वह इंफेक्शन से भी बचे रहें। जब ऑफिस ओपन हो जाएंगे, तो स्टूडेंट्स का फ्लो बढ़ेगा, जिससे कोचिंग को टाइमली फीस मिल सकेगी और वह अपने स्टाफ का टाइमली पेमेंट कर सकेंगे। वहीं अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है, तो गवर्नमेंट एमएसएमई जैसे ही कोचिंग संस्थाओं के लिए भी लोन की व्यवस्था करें, जिससे कि वह भी दो-चार माह सर्वाइवल के साथ ही अपने स्टाफ की सैलरी और दूसरे खर्च की व्यवस्था कर सकें।

कोट्स

बच्चों के कंटेंट और क्वेश्चन पेपर हम अपने सेंटर्स में डेवलप कर स्टूडेंट्स को देते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। परमिशन मिल जाए, तो ऑफिस में स्टाफ आएंगे और वह ऑफिस में अवेलबल फैसिलिटी को अवेल करते हुए स्टूडेंट्स के लिए मैटेरियल तैयार कर सकेंगे। साथ ही टीचर्स और स्टाफ के आ जाने से पेंडिंग दूसरे काम भी कंप्लीट हो सकेंगे।

- डॉ। राहुल राय, डायरेक्टर, स्टार पीएमटी ट्यूटोरियल

ऑफिस खुलने के लिए परमिशन नहीं मिल पा रही है। ऐसे में अगर हमें ऑनलाइन क्लास भी लेनी है, तो क्लासरूम, बोर्ड, कैमरा चाहिए। यह सभी के पास अवेलबल नहीं हैं। वहीं पेरेंट्स कोई क्वेरी करना चाहते हैं, तो वह भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। सिर्फ टीचर्स को परमिशन मिल जाए, तो वह सोशल डिस्टेंसिंग और जरूरी गाइडलाइन को फॉलो करते हुए स्टूडेंट्स को बेहतर कंटेट प्रोवाइड करा सकें।

- अरविंद अग्रवाल, डायरेक्टर, मोमेंटम

हम फोन से कनवर्सेशन तो कर रहे हैं, ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं, तो हमें अगर बच्चों को क्वेश्चन की प्रैक्टिस करानी है, तो कहां तक और कितना समय दे सकेंगे। वहीं अगर स्टाफ की परमिशन मिल जाएगी, तो स्टाफ हमारे क्वेश्चन को सॉल्व कर उसका पीडीएफ बना देगा, जिसे हम बच्चों के बीच आसानी से सर्कुलेट कर सकेंगे। गार्जियंस फेस टू फेस बात करते हैं, तो उन्हें ज्यादा सैटिस्फैक्शन मिलता है, फोन पर प्रॉपर बात नहीं हो पाती है।

- सुरेंद्र प्रताप चौधरी-सुरी सर, डायरेक्टर, गुरुकुल पाठशाला

स्टूडेंट्स का फ्लो होता है, तो इससे थोड़ी बहुत फी भी जनरेट होती रहती है। मगर लॉकडाउन की वजह से यह बिल्कुल बंद हो चुका है। ऐसे में कम से कम हमें कोचिंग खोलने और लोगों को आने की परमिशन मिलनी चाहिए, जिससे दोनों का काम चल सके। हां, फ्यूचर में कोचिंग में बच्चों के आने के लिए अल्टरनेट व्यवस्थाएं की जाएं, कुछ दिन ऑनलाइन और कुछ दिन ऑफलाइन क्लासेस हों।

- ईं। राजीव मिश्र, डायरेक्टर, डायमेंशंस कोचिंग

कोचिंग सेक्टर में लोग काफी परेशान हैं। सभी जगह ऑनलाइन क्लासेज के इंतजाम नहीं थे, जिसकी वजह से सब जगह टेंप्रेरी क्लास चल रही है। अगर यह तैयारियों के साथ होती तो स्टूडेंट्स को बेहतर कंटेंट मिलता। इसके लिए जरूरी है कि कम से कम कोचिंग में ऑफिस स्टाफ और टीचर्स को आने की परमिशन मिले, जिससे क्वालिटी कंटेंट पर काम हो सके।

- प्रवीण पांडेय, डायरेक्टर, सिंक्रो क्लासेज

Posted By: Inextlive