-कोचिंग में ही पढ़ते है अच्छे से लेकर बिगड़ैल स्टूडेंट, बिगड़ैल स्टूडेंट़स की संगत में पड़कर बिगड़ जाते है शरीफ बच्चे

KANPUR: हर पेरेंट्स का सपना होता है कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस-पीसीएस या फिर किसी बड़ी कंपनी में बड़ा अधिकारी बने। जिसके लिए पेरेंट्स हर मुमकिन कोशिश करते है। वे उनका अच्छे स्कूल में तो एडमिशन कराते हैं। साथ ही उनको अच्छी पढ़ाई के लिए कोचिंग भी कराते हैं, ताकि उनको सही मार्गदर्शन मिले और उनके सपने को पूरा कर सके, लेकिन आपको शायद ये नहीं मालूम होगा कि स्टूडेंट के बेहतर भविष्य के लिए कोचिंग जितनी मददगार है। उतनी खतरनाक भी है। स्वराज इंडिया पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट अर्पित की मौत के बाद उसके पिता प्रवीण ने बताया था कि कोचिंग के स्टूडेंट्स की वजह से उसकी संगत गलत हुई है। अब आप सोच रहे होंगे कि वो कैसे? तो बताते है कि कोचिंग ही बच्चों के बिगड़ने का सबसे बड़ा अड्डा है और यहीं पर वे बुरी संगत में फंस कर बिगड़ जाते है।

अच्छे भी है और बिगड़ैल भी

शहर में गली-मोहल्ले की कोचिंग हो या फिर किसी फेमस टीचर की। वहां पर अच्छे से लेकर बिगड़ैल स्टूडेंट पढ़ते है। कोचिंग में अलग-अलग स्कूल के स्टूडेंट्स पढ़ते है। कोचिंग में ही स्टूडेंट की दूसरे स्कूल के स्टूडेंट से मुलाकात और फिर दोस्ती होती है। जिसमें उनकी कई बार बिगड़ैल स्टूडेंट से दोस्ती हो जाती है और वे उनकी संगत में पड़कर बिगड़ जाते है। वे धीरे-धीरे बिगड़ैल दोस्तों के कहने पर गलत काम करते जाते है।

कोचिंग गोल करने लगते हैं

बिगड़ैल स्टूडेंट स्कूल में उपस्थिति दर्ज होने से बंक करने से डरते है, लेकिन कोचिंग में ऐसा नहीं होता है। कोचिंग में स्टूडेंट की उपस्थिति दर्ज नहीं होती है। जिससे स्टूडेंट पर कोई प्रेशर नहीं रहता है। बिगड़ैल स्टूडेंट अक्सर पढ़ाई से बचने के लिए कोचिंग बंक कर देते है। वे कोचिंग के बजाय दूसरी जगहों पर दोस्तों के साथ अड्डेबाजी करते है। बिगड़ैल स्टूडेंट अन्य साथियों पर भी घूमने का दबाव बनाते है। वे दोस्ती का हवाला देकर साथियों को कोचिंग बंक करा देते है। जिसके बाद स्टूडेंट की आदत पड़ जाती है। वो छोटी-छोटी प्राब्लम में कोचिंग बंक कर देता है।

टीचर नहीं रख पाते है नजर

आपको मालूम है कि शहर में कोचिंग में एडमिशन लेने की मारामारी रहती है। कुछ टीचर्स की कोचिंग में तो बच्चों का एडमिशन लेने के लिए पेरेन्ट्स को जुगाड़ लगाना पड़ता है। इन कोचिंग्स में स्टूडेंट्स से एक बार में साल की फीस जमा करा ली जाती है। जिससे टीचर उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते है। इसके अलावा एक बैच में सौ से दो सौ स्टूडेंट पढ़ते है। कुछ टीचर का बैच में इतने स्टूडेंट होते हैं कि उन्हें स्टूडेंट को पढ़ाने के लिए माइक का इस्तेमाल करना पड़ता है। टीचर इतनी भीड़भाड़ में स्टूडेंट्स का ज्यादा ध्यान नहीं रख पाते है। उन्हें ये भी पता नहीं चलता कि कौन सा स्टूडेंट कोचिंग में पढ़ने के लिए आ रहा है या नहीं। कुछ कमजोर स्टूडेंट पढ़ाई से बचने के लिए कोचिंग बंक करने लगते है। जिनके बारे में टीचर को पता नहीं चलता और वे धीरे-धीरे बिगड़ैल हो जाते हैं।

कोचिंग के बाद अड्डेबाजी

काकादेव कोचिंग मण्डी हो या अन्य कहीं कोचिंग । वहां पर टी शॉप से लेकर शॉपिंग मॉल भी है। स्टूडेंट कोचिंग के बाद यहीं पर अड्डेबाजी करते है। कुछ स्टूडेंट मॉल में घूमते हैं तो कुछ चाय और पान की गुमटी में अड्डेबाजी करते है। जहां पर उनकी अन्य बिगड़ैल लड़कों से दोस्ती हो जाती है। जिसके बाद वे उनकी संगत में पान मसाला, सिगरेट समेत अन्य नशा करने लगते है।

Posted By: Inextlive