- लॉकडाउन से पहले मंगवाए गए थे स्टॉक

- लॉकडाउन में ही निकल गया बिक्री का सीजन

GORAKHPUR: लॉकडाउन की परेशानी और कोरोना महामारी ने नारियल कारोबारियों को ऐसा धक्का दिया कि वे उठने के लायक नहीं बचे है। लॉकडाउन में बंद हुए सिटी के मंदिर शिवालयों में नारियल की खपत भी बंद होने से कारोबारियों को करोड़ो की चपत लगी है। मार्च से पहले आया नारियल गोदाम में रखे-रखे खराब हो गया है, जो बचा है वो भी अब किसी लायक नहीं है। कारोबारियों की माने तो गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के अलावा कई प्रसिद्घ मंदिर है यहां हर शुभ काम के साथ मंदिरो में नारियल का चढ़ावा चढ़ता है। इसलिए इसका स्टॉक भी भरपूर होता है। मगर कोरोना ने पूरे स्टॉक को खराब कर दिया है। यह फल के साथ कच्चा कारोबार की श्रेणी में आता है। इसलिए इसे कुछ समय के बाद बचाया भी नहीं जा सकता। नारियल पूरी तरह से खराब होने के बाद अब कारोबारी बीमा कंपनियों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन कंपनियां भी वैश्विक महामारी का हवाला देकर पल्ला झाड़ ले रहे है।

कोशिश के बाद भी नहीं काम आया जतन

कारोबारियों की माने तो ज्यादातर व्यापारियों ने लॉकडाउन से 5 दिन पहले नवरात्र के लिए नौ से दस ट्रक मॉल मंगाया गया था। इसमें करीब 25 से 30 लाख का पानी नारियल गोदाम में फंस गया है। पानी नारियल को अब सूखने से बचाने के लिए व्यवसायी जद्दोजहद कर रहे है। एक के बाद एक लॉकडाउन का फेज बढ़ने से इतने जतन के बाद भी व्यवसायों को राहत नहीं मिली। अब उन्हें बड़ा घाटा होने की चिंता सताने लगी है। व्यवसायी का कहना है कि लॉकडाउन में नारियल की खपत न होने से गोदाम में रखे-रखे खराब हो गया।

कोरोना ने चौपट कर दिया कारोबार

गोरखपुर में नारियल का कारोबार करने वाले आधा दर्जन कारोबारी है। जिनके पास भरपूर मात्रा में पानी नारियल का स्टॉक रहता है। कारोबारियों ने बताया कि उनके पास पहले ही पानी नारियल का स्टॉक था, लेकिन नारियल की बड़ी खेप 25 मार्च से वासंतिक नवरात्र में बड़ी मात्रा में खपत होने के अनुमान पर हर कारोबारी ने केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा से एक कारोबारी ने दस ट्रक और मंगाया गया था। इस बीच माल उतारने के बाद चंद दिन ही बीते थे कि वैश्विक महामारी में कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने की दिशा में लॉकडाउन का आदेश आ गया। जिससे गोरखनाथ मंदिर, लेहड़ा देवी मंदिर, तरकुलहा देवी मंदिर, मदनपुर मंदिर, देवीपाटन मंदिर, समेत अन्यसभी मंदिर भी एहतियातन बंद करा दिये गए। ऐसे में भक्तों व श्रद्धालुओं के आवाजाही पर ब्रेक लग गया। जिससे वे बाजार में न नारियल बेच पाए और न ही भक्त मंदिरो में नारियल चढ़ा पाए।

व्यवसायियों के माथे पर चिंता

लॉकडाउन में पानी नारियल फंस जाने ( बिक्री नहीं हो सकने)0 से व्यवसायियों के माथे पर चिंता साफ दिख रही है। दूकानदार नारियल की सप्लाई करते हैं, लेकिन इसी बीच व्यवसायी द्वारा मंगाया गया पानी नारियल की खेप लॉकडाउन में मंदिर व धार्मिक स्थल बंद हो जाने से फंस गया। व्यवसायियों ने बताया है कि वे कर्नाटक, तमिलनाडु से 450 बोरी, रायपुर की माल 600 बोरी पानी नारियल तीन वेरायटी होती है एक चंडूल खुज्जा, मीडियम साइज मंगाए थे। जिसमें 2 हजार से 24 सौ रुपए सैकड़ा की दर से बिकने वाले नारियल की खेप हैं।

कोट

लॉकडाउन के कारण नारियल के थोक विक्रेताओं पर काफी असर पड़ा है। बनारस के बाजार में करीब आठ करोड़ से ज्यादा नारियल जमा हैं, जो कि मार्केट में नहीं जाने से गोदाम में रखे-रखे खराब हो गया है। जब इसकी छटाई होगी तो 70 परसेंट से ज्यादा खराब ही मिलेंगे।

अविनाश कुमार गुप्ता, नारियल कारोबारी

लॉकडाउन में व्यापारियों का काफी नुकसान हो चुका है। सरकार को इनके नुकसान के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। नारियल कारोबारियों को व्यापार करना बड़ा मुश्किल होगा। क्योंकि बाहर की पार्टियों को पेमेंट न हो पाने के कारण मॉल आना मुश्किल होगा।

संजय शुक्ला, अध्यक्ष पूर्र्वाचल

सब्जी-फल थोक विक्रेता कल्याण समिति

-भूसी वाले नारियल अधिकतम एक सप्ताह तक ही रह पाते हैं।

-सामान्य नारियल एक माह तक ही ठीक रहते है।

-एक माह बाद पानी सुख जाने से खराब हो जाता है नारियल

-केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आता है नारियल

Posted By: Inextlive