- मैनुअल फार्म-38 पर कार्रवाई होने से ईट भट्ठा मालिक परेशान

- ईट निर्माण का काम ठप होने से निर्माण कार्य पर भी पड़ रहा असर

BAREILLY:

कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट की दोहरी नीति से निर्माण कार्य महंगा हो गया है। घर, रोड व नालियां सहित अन्य निर्माण कार्य में लोगों को एक्स्ट्रा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। दरअसल मैनुअल फार्म-38 पर एक लाख से अधिक का कोयला मंगाने पर ईट भट्ठा मालिकों पर कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने कार्रवाई शुरू कर दी हैं। कार्रवाई का डंडा गिरने का असर ईट के दाम और उत्पादन पर पड़ रहा है। माल पकड़ जाने और पेनाल्टी लगने से ईट के उत्पादन ठप पड़ जा रहा है। ईट का उत्पादन प्रभावित होने ईट भट्ठा मालिक ईट को महंगे दाम में बेच रहे हैं, जिस वजह से निर्माण कार्य भी महंगा पड़ रहा है।

मैनुअल फार्म का फंस रहा पंगा

23 मार्च 2017 को कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट से एक सर्कुलर आया कि मैनुअल फार्म 38 भरने पर फर्म मालिक एक बार में एक लाख रुपए तक का ही माल मंगा सकते हैं। जबकि, ऑनलाइन लाइन फार्म भरने पर यह लिमिट नहीं है। फिलहाल यह दोनों ही व्यवस्थाएं लागू हैं। चूंकि, गांव-देहात में इंटरनेट, कम्प्यूटर वगैरह की व्यवस्था नहीं है, तो ईट भट्ठा मालिक मैनुअल फार्म भर कर ही कोयला मंगाने के लिए मजबूर हैं। फार्म-38 माल पर नहीं बल्कि कीमत पर पर होता है। ऐसे में, ईट भट्ठा मालिक फंस जा रहे हैं। क्योंकि, एक ट्रक कोयला मंगाने का ट्रांसपोर्ट खर्च ही 2 से 3 लाख होता है। ऊपर से कोयला की कीमत अलग से।

15 परसेंट के हिसाब से जुर्माना

ट्रांसपोर्ट खर्च अधिक होने की वजह से 4-5 फर्म मालिक एक साथ मिल कर कोयला अन्य राज्यों से मंगाते हैं। बरेली के ईट भट़्ठा मालिक कोयला गुजरात, असम, गुवाहाटी और झरिया से मंगाते हैं। ऐसे में, जब माल संबंधित एरिया में होता है, तो कोई डर नहीं होता जैसे ही दूसरे राज्य में माल आता है पकड़ लिया जाता है। क्योंकि, एक ट्रक में 1 लाख से अधिक का माल होता है। पिछले दिनों बरेली आ रहे कोयला लदा दो ट्रक कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट की टीम ने मुरादाबाद में पकड़ लिया। माल के दाम पर 15 परसेंट के हिसाब से जुर्माना लगाया गया था। एंट्री टैक्स देने के बाद भी बार-बार माल पकड़ लिये जाने से ईट भट्ठा मालिक काफी परेशान हैं। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस संबंध में डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मिल कर समस्या का हल निकालने की बात कही है।

उत्पादन ठप निर्माण कार्य महंगा

कोयला लदा ट्रक पकड़ लिए जाने की वजह से ईट का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जा रहा है। जबकि ईट पकाने का समय अप्रैल, मई और जून ईट भट्ठा मालिकों के हिसाब से सबसे अच्छा होता है। इस समय ईधन की कम खपत होती है, लेकिन नियमों के फेर में फंस कर उनका पूरा कारोबार चौपट हो जा रहा है। इसका असर कहीं न कही पब्लिक पर भी पड़ रहा है। निर्माण कार्य महंगा हो गया हैं। क्योंकि, ईट पकाने का काम नहीं हो पाने के कारण स्टॉक में पड़ा हुआ ईट महंगे दाम में बिक रहा है।

- 300 ईट भट्ठे जिले में हैं।

- 30-35 लाख ईट वर्ष में प्रति भट्ठा उत्पादन।

- 7 से 10 लाख रुपए मालिक को देना होता है टैक्स।

- यह टैक्स ईट की बिक्री, मिट्टी खनन और जिला पंचायत को विकास के रूप में देना पड़ता है।

- 4 से 5 हजार रुपए प्रति हजार ईट की बिक्री।

मैनुअल फार्म-38 भर कर एक लाख रुपए तक का ही माल ईट भट्ठा मालिक मंगा सकते हैं। इससे अधिक का माल होने पर कार्रवाई होती है। जबकि, ऑनलाइन फार्म भरने पर कोई लिमिट नहीं है। कार्रवाई होने पर ईट भट्ठा मालिकों ने मुलाकात की है। समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

एसएल दोहरे, ज्वॉइंट कमिश्नर, कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट

एक तरफ डिपार्टमेंट रसीद काट रहा है दूसरी तरफ कार्रवाई कर रहा है। चूंकि, एक ट्रक पर एक ही फार्म-38 कटता है, तो प्रॉब्लम्स आ रही है। एक बार में एक लाख से कम का कोयला मंगाने में हम लोगों का घाटा होगा। क्योंकि उसका ट्रांसपोर्ट खर्च ही 2 लाख होता है।

यूनिस खां, कार्यलय सचिव, ईट भट्ठा एसोसिएशन

Posted By: Inextlive