- पैथोलॉजी टेस्ट में दवा से अधिक कमीशन लेते हैं डॉक्टर

- जेनरल फाइडिंग भर कर भी निपट लेते हैं अपने काम से लैब

PATNA: पेशेंट को कहां चेकअप कराना है, कौन सा टेस्ट कराना है और आगे क्या टेस्ट लिखा जाए। ये तमाम बातें पेशेंट की बीमारी से कहीं अधिक डॉक्टर्स की कमीशनखोरी के तरीके पर डिपेंड करता है। ऐसा कोई कहे या नहीं-पेशेंट हर दिन इसी बात से पीडि़त रहता है। नर्सिग एक्ट के वजूद में नहीं होने के कारण तमाम प्रकार के मेडिकल टेस्ट आदि के नाम पर पेशेंट की जमकर जेब काटी जा रही है। हद तो यह है कि गवर्नमेंट हॉस्पीटल के डॉक्टर भी अब यही कर रहे हैं। पेशेंट को 'नोबेल' सर्विस देने के नाम पर इन्हें लूट का एक जरिया समझ लिया है। अभी एक महीने पहले ही पीएमसीएच के एक डेंटल के डॉक्टर के पास से बड़ी संख्या में डायग्नोस्टिक लैब या पैथोलॉजी लैब की रिफरेंस या कान्टेक्ट लिस्ट मिली। वह डिजीज क्योर करने की बजाय पेशेंट रेफर करने में दिलचस्पी लेते थे। शोषण से तंग आकर पेशेंट ने कंप्लेन की, जिसके बाद ही हेल्थ डिपार्टमेंट हरकत में आया और डॉक्टर साहब धरा गए

लैब के नाम पर पेशेंट से खिलवाड़

लैब टेस्ट किसी भी पेशेंट का मेडिकल स्टेटस को जानने का सबसे सरल, पर जरूरी तरीका है। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। पटना के एक बड़े लैब के एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि चूंकि डॉक्टर हर टेस्ट पर कमीशन लेते हैं, तो टेस्ट रिपोर्ट की क्वालिटी पर कैसे बात की जा सकती है। कमीशन क्0 से भ्0 पर्सेट तक हो सकती है। यह टेस्ट के टाइप पर डिपेंड करता है। ऐसे में टेस्ट की क्वालिटी कमजोर बनाई जाती है, ताकि वह फिर से कम से कम एक और टेस्ट कराए, जिससे कमीशन के बाद लैब उसे मैनेज कर सके।

मखनिया कुंआ एरिया में लैब का कारोबार

यह जानकर भले ही आपको हैरानी हो कि पीएमसीएच के पास मखनिया कुंआ एरिया के अधिकांश लैब में टेस्ट के नाम पर जेनरल फाइंडिंग भर दी जाती है। ऐसा दावा करते हुए एक कर्मचारी ने बताया कि लैब में बिना टेस्ट किए भी रिपोर्ट शीट बनाकर भर दी जाती है। ऐसे में समझा जा सकता है कि रिपोर्ट कितनी रिलाइबल होगी। सब कमीशन खाने के नाम पर। यहां अधिकांश पेशेंट पीएमसीएच से आते हैं, जिससे समझा जा सकता है कि यह पेशेंट की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं तो क्या है।

दवा से ज्यादा मोटी कमीशन

डॉक्टरों को दवा से कहीं अधिक टेस्ट से कमाई होती है। बस रिफरेंस लिखकर देना होता है। सूत्रों का कहना है कि दवा में जहां करीब क्0 परसेंट कमीशन मिलता है, वहीं जांच में यह क्0 से भ्0 पसेंट तक होता है। जैसे हर्ट की बीमारी कार्डियक प्रोफाइल के ब्लड टेस्ट में लैपोप्रोटीन ए और बी, सीआरपी और ऑल लिपिड प्रोफाइल के टेस्ट में ढाई से तीन हजार तक कॉस्ट पड़ता है। इसमें कम से कम ख्0 से फ्0 परसेंट तक कमीशन ली जाती है। अगर यूरीनरी ट्रैक में इनफेक्शन के कारण यूरिन कल्चर कराना हो, तो क्भ्0 रुपया खर्च होता है। अगर लैब नया है, तो लैब को काम शुरू करने के लिए भ्0 परसेंट तक कमीशन देना पड़ता है। इसी प्रकार थाइराइड टेस्ट में म्भ्0 में भी तीस परसेंट तक कमीशन हो सकती है। ज्यादातर डॉक्टर इस कमीशनखोरी के खेल में शामिल हैं।

अगर कमीशन लेते हैं तो निंदा की बात

आईएमए बिहार ब्रांच के प्रेसिडेंट डॉ आर आर प्रसाद का कहना है कि डॉक्टर आला और इल्म से इलाज करते हैं। आज का समय एविडेंस बेस्ट ट्रीटमेंट का है, इसलिए डॉक्टर जांच के लिए लिखते हैं। अगर डॉक्टर अनावाश्यक जांच के लिए लिखते हैं, तो कमीशन कमाने के लिए तो इसकी निंदा की जानी चाहिए।

Posted By: Inextlive