जीएसटी लगने के बाद माल ढुलाई में टैक्‍स चोरी जारी है। इसे पकड़ने के लिए सरकार ने ई-वे बिल सिस्‍टम शुरु कर दिया है। इसमें चोरी करने पर रजिस्‍ट्रेशन तक कैंसिल हो सकता है।


ई-वे बिल का सिस्टम शुरुallahabad@inext.co.in ALLAHABAD:सेल- परचेज हुए माल की ढुलाई में टैक्स की चोरी न हो, इसकी जांच के लिए गवर्नमेंट ने ई- वे बिल का सिस्टम शुरू कर दिया है। लेकिन कुछ व्यापारी ई- वे बिल जेनरेट किए बगैर ही माल सप्लाई कर रहे हैं। इस पर रोक लगाने और टैक्स चोरी पर अंकुश के लिए सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट ने चेकिंग करने वाले अधिकारियों का अधिकार बढ़ा दिया है। यानी ई- वे बिल में चोरी पकड़े जाने पर अब संबंधित व्यापारी का जीएसटी नंबर लॉक करने के साथ ही कैंसिल भी हो सकता है। माल ढुलाई में हो रही कर चोरी
जीएसटी लागू होने के बाद 50,000 रुपये से ज्यादा मूल्य वाले माल की ढुलाई के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। प्रांत के बाहर माल सप्लाई के लिए 01, प्रांत के अंदर 02 और ई- कॉमर्स के लिए 03 फार्म को जेनरेट करने का आदेश दिया गया है। लेकिन कुछ व्यापारी या तो ई- वे बिल जेनरेट किए बगैर माल की ढुलाई करा रहे हैं या एक ई- वे बिल पर कई माल भेज रहे हैं। गलत ई- वे बिल दिखा कर माल सेल- परचेज करना अब व्यापारियों को महंगा पड़ सकता है। क्योंकि अगर ई- वे बिल के जरिये टैक्स चोरी पाई गई तो व्यापारी का जीएसटीएन नंबर लॉक कर दिया जाएगा। अभी तक जांच करने वाले अधिकारियों को ये अधिकार नहीं था। लेकिन अब अधिकारी गड़बड़ी पर जीएसटी नंबर को लॉक कर सकते हैं। अब होगी कार्रवाईजीएसटी लागू होने के बाद टैक्स की चोरी पर पूरी तरह से अंकुश लग सके, इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। ई- वे बिल जेनरेट करने में व्यापारियों को दिक्कत हो रही है तो उनकी पूरी मदद की जा रही है। लेकिन अगर व्यापारी टैक्स चोरी करेगा तो उसका परिणाम भुगतना होगा। राम प्रसाद असिस्टेंट कमिश्नर सेल्स टैक्स ग्रेड- 2 टैक्स डिपार्टमेंट के सारे नियम और कानून केवल पंजीकृत व्यापारियों के लिए हैं। ट्रांसपोर्ट के जरिये और रेलवे से जो व्यापारी नंबर दो का माल मंगा रहे हैं, उसमें ओपेन तौर पर टैक्स चोरी कर रहे हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जानकारी के अभाव में गलती करने वाले व्यापारियों को परेशान करना अनुचित है। संतोष पनामा संयोजक उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति

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