कामनवेल्थ व स्कूल नेशनल में कई प्लेयर हासिल कर चुके हैं मुकाम

संघ और सरकार की उपेक्षा के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे यहां के प्लेयर्स

ALLAHABAD: 'आंधियां ही करेंगी चरागों का फैसला, जिसमें जितना जोर होगा वही जलेगा' यह पंक्ति जिले के एथलीटों पर सटीक बैठती हैं। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में तरासे जा रहे खिलाडि़यों में यह क्षमता है कि मौका मिलते ही पूरी दुनिया को झुका दें। अदम्य साहस और कुव्वत के बूते एशियन कप और कामनवेल्थ जैसे गेम्स में यहां के एथलीट देश का नाम रोशन कर चुके हैं।

1965 से दे रहे प्रशिक्षण

एथलेटिक्स का प्रशिक्षण इलाहाबाद में जब से स्टेडियम की स्थाना हुई तभी से दिया जाता है। कोच बताते हैं जिले में दर्जन भर एथलीट ऐसे हैं जिन्होंने जिले के साथ देश का नाम नेशनल, एशियन कप और कामनवेल्थ में देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। कई ऐसे भी हैं जो मौका नहीं मिलने के कारण क्षमता के बावजूद आगे नहीं बढ़ पाए। खेल से जुड़े लोग बताते हैं कि यूपी एथलेटिक्स संघ की उपेक्षा और सरकार की ओर से पर्याप्त सपोर्ट न मिलने से मेधावी उपेक्षित हैं। हाल ये है कि यहां जरूरत के अनुपात में किट नहीं है। स्टेडियम में बारिश होते ही प्रशिक्षण रोकना पड़ जाता है, क्योंकि इनडोर प्रशिक्षण की व्यवस्था यहां नहीं है।

इन्होंने बढ़ाया जिले का नाम

कामनवेल्थ गेम्स में चंद्रोदय नारायण सिंह हैमर थ्रो में चैंपियन रहे

चेन्नई में हुए नेशनल एथलेटिक्स में प्रमोद व इस्तियाक बने चैंपियन

स्कूल गेम में रोहित कुमार ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता

रामचंद्र ने शार्टकट थ्रो के नेशनल गेम में चौथा स्थान पाया

तीन हजार मीटर दौड़ में श्याम कुमार सहित छह प्लेयर शामिल हुए

एथलेटिक्स प्रशिक्षण केंद्र

मदन मोहन मालवीय स्टेडियम

झूंसी में प्रशिक्षण प्राप्त कोच देते हैं प्रशिक्षण

मऊआईमा में भी है प्रशिक्षण केंद्र

वर्जन

एथलेटिक्स में डाइट काफी मायने रखती है। सरकार इस पर ध्यान दे तो यहां के प्लेयर्स ओलंपिक में भी देश का नाम रोशन कर सकते हैं। प्लेयरों के चयन में यहां कोई राजनीतिक दबाव नहीं है।

सत्येंद्र सिंह, कोच, एथलेटिक्स, मदनमोहन मालवीय स्टेडियम

Posted By: Inextlive