- कहा, नगर निगम बस शेल्टर कांट्रैक्ट की कर रहे हैं अवहेलना

- 14 बस शेल्टर की कीमत के साथ 24 फीसदी एनुअल इंट्रेस्ट रेट की भी मांग

Meerut : सिटी में बस शेल्टर बनाने वाली कंपनी और नगर निगम के बीच एडवरटीजमेंट टैक्स को लेकर विवाद पैदा हो गया है। जहां एक ओर नगर निगम की ओर से करीब 8 लाख रुपए का नोटिस दिया है। वहीं कंपनी ने 24 फीसदी ब्याज के साथ सभी शेल्टर के कंस्ट्रक्शन कॉस्ट की डिमांड कर दी है। न देने पर कंपनी की ओर से नगर निगम के अधिकारियों को कोर्ट में घसीटने की धमकी भी दी है।

नगर निगम ने तोड़ा कांटै्रक्ट

आगरा की एडवरटीजमेंट कंपनी के ऑनर संजय रावत ने नगर निगम के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने दोनों के बीच हुए कांट्रैक्ट का उल्लंघन किया है। डीएम को दिए लेटर में आरोप लगाया कि नगर निगम द्वारा टर्म और कंडीशन को पूरा न करने पर कंपनी बस शेल्टर का रेंट और एडवरटीजमेंट टैक्स देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। बस शेल्टर का ये प्रोजेक्ट बीओटी (बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर) बेस पर था। जिसमें सिटी के 7 स्थानों पर 14 बस शेल्टर बनाए गए थे।

6 महीने से नहीं मिला कोई क्लाइंट

एड कंपनी मालिक संजय रावत ने बताया कि वर्ष 2013 में नगर निगम के साथ 28 अलग-अलग जगहों पर 56 बस शेल्टर्स तैयार करने थे। जिनमें से 7 जगहों पर 14 शेल्टर्स तैयार कर दिए गए थे। उसके बाद नगर निगम अधिकारियों ने अभी तक बाकी के लोकेशन की कोई जानकारी नहीं दी है कि बाकी शेल्टर कहां बनने हैं। एक शेल्टर की कीमत 7.5 लाख है। उनमें आने वाले बिजली का बिल 6000 रुपए प्रति माह है। वहीं पिछले छह महीने से शेल्टर पर एड लगाने के लिए एक भी सिंगल क्लाइंट नहीं मिला है। वहीं कंपनी को एक शेल्टर के लिए एनुअल रेंट 40,000 और एडवरटीजमेंट टैक्स 28,000 रुपए नगर निगम को पे करने पड़ते हैं।

15 मीटर के दायरे में दूसरा होर्डिग नहीं

कंपनी मालिक की मानें तो नगर निगम के साथ हुए कांट्रैक्ट के अनुसार नगर निगम बस शेल्टर के 15 मीटर के दायरे में कोई दूसरा होर्डिग नहीं परमिट कर सकता है। जबकि सभी शेल्टर के आसपास नगर निगम की ओर से होर्डिग और एडवरटीजमेंट परमिट किए हुए हैं। जोकि कांटै्रक्ट के हिसाब से पूरी तरह से गलत है। इसको लेकर कंपनी के द्वारा 4 अक्टूबर 14 को पहली बार लेटर लिखा था। तब से अब तक कंपनी की ओर से 10 रिमाइंडर्स भेजे जा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। अगर नगर निगम कांटै्रक्ट की शर्तो का पालन नहीं करता है तो 24 फीसदी ब्याज के साथ बस शेल्टर पर खर्च होने वाली राशि अदा कर दें। वरना कंपनी को कोर्ट में जाने को मजबूर होना पड़ेगा।

इस बारे में दोनों पक्षों को बुलाकर बात की जाएगी। दोनों के मसलों को समझा जाएगा। दोनों के बीच किस तरह का कांटै्रक्ट हुआ था इसे भी देखा जाएगा।

- पंकज यादव, डीएम

हमारे साथ कई कंपनियों के साथ टाइअप है। किसी भी कंपनी को किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं है। 15 मीटर के दायरे में होर्डिग लगे हुए है, जिनकी वजह से शेल्टर के डिस्प्ले में कोई प्रॉब्लम नहीं हो रही है। जबकि क्लॉज में बस शेल्टर की मेंटेनेंस के तहत कोई भी शेल्टर बेहतर स्थिति में नहीं है।

- राजेश सिंह, एडवरटीजमेंट ऑफिसर, नगर निगम

Posted By: Inextlive