- फाइनेंस कंपनी ने दो सौ से अधिक एजेंट््स के जरिए हजारों को बनाया शिकार

- आईजी से मिलकर पीडि़तों ने लगाई कार्रवाई की गुहार

GORAKHPUR:

जिले में फाइनेंस कंपनी खोलकर चूना लगाने और फिर चंपत हो जाने की एक और घटना हो गई। गोलघर, खोवामंडी गली में पांच साल पहले खुली एक चिट फंड कंपनी इन्वेस्टर्स के करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गई है। कंपनी के संचालकों के लापता होने से परेशान एजेंट्स उनकी तलाश में लगे हैं। कोलकाता से आए कंपनी संचालकों के लापता होने से परेशान एजेंट््स ने आईजी जोन मोहित अग्रवाल को अप्लीकेशन देकर कार्रवाई की मांग की। आईजी ने मामले की जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। एजेंट््स का कहना है कि एफडी और आरडी के चक्कर में वह लोग भारी मुसीबत में फंस गए।

15 नवंबर से ताला बंद

वर्ष 2011 में खोवामंडी गली में एक फाइनेंस कंपनी की ब्रांच खोलकर संचालकों ने जिलेभर के कई इलाकों में एजेंट््स बनाए। कंपनी ने एजेंट्स को फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट पर 10 प्रतिशत से अधिक का लाभ देने का आश्वासन दिया। धीरे-धीरे कंपनी से पांच सौ से अधिक एजेंट्स जुड़ गए। कंपनी की एक स्पेशल ब्रांच भटहट बाजार में भी खुली। इसलिए गुलरिहा, पिपराइच, पनियरा सहित आसपास के इलाकों के एजेंट्स का भी जुड़ाव हुआ। एजेंट्स ने हजारों निवेशकों का करोड़ों रुपया जमा करा दिया। कुछ दिनों तक कंपनी ने ग्राहकों का भुगतान किया। लेकिन नवंबर 2015 से भुगतान की प्रक्रिया रोक दी गई। अचानक ही कंपनी के संचालक फरार हो गए। उनकी तलाश में एजेंट्स बंगाल तक गए। संचालक की तलाश में नाकाम होने पर एजेंट्स मंगलवार को आईजी से मिलने पहुंचे।

नेटवर्क मार्केटिंग से फैलाया जाल

कंपनी के अधिकारियों ने एजेंट्स को नेटवर्क मार्केटिंग करने की बात बताई। इसके तहत कुछ प्रोडक्ट्स बेचने को दिए गए। सामान बिकने पर एजेंट्स को लाभ मिलने लगा। कुछ दिनों के बाद कंपनी के अधिकारियों ने तीन अन्य कंपनियों में इन्वेस्ट करने पर बैंकिंग की तरह फायदा देने का झांसा दिया। यह भी बताया कि बैंक में रुपए का इन्वेस्टमेंट करने के बजाय इस कंपनी में ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेगा। कंपनी अधिकारियों के झांसे में आकर दो सौ से अधिक एजेंट्स ने अपने-अपने एरिया में ग्राहकों को सेट किया। उनसे लाखों रुपए का इन्वेस्टमेंट करा दिया। शुरुआती एक से दो साल के भीतर कंपनी अधिकारियों ने सभी का नियमित भुगतान भी किया।

बजट न आने का बनाया बहाना

एजेंट्स के मुताबिक एक साल तक की जमा अवधि का भुगतान समय से होने पर उनका काम-काज बढ़ा दिया। लेकिन तीन साल की अवधि में मैच्योरिटी होने पर भुगतान नहीं हो सका। बजट का अभाव बताकर कंपनी अधिकारी ने भुगतान की फाइलें अटका दीं। पब्लिक का प्रेशर बढ़ने पर एजेंट््स ने अधिकारियों से सभी का भुगतान करने को कहा। कुछ दिन टालमटोल करने के बाद अचानक ताला बंद करके कंपनी के अधिकारी लापता हो गए। ताला बंद होने पर एजेंट्स ने कंपनी के अधिकारियों की तलाश शुरू की। उनके ठिकाने की आस में पश्चिम बंगाल तक भी गए। लेकिन निराश लौटना पड़ा। कोई ऑप्शन न होने पर आईजी से शिकायत का मन बनाया।

इन लोगों ने दर्ज कराई शिकायत

पिपराइच के बलराम, सोनू, करमहा के गोपाल चंद, राकेश मद्धेशिया, खुटहन खास के विकास चंद विश्वास, अजीमुल्लाह, प्रियंका, सन्नू, अमरेश, सुशीला देवी, अमर सिंह, सुग्रीव, पन्नेलाल, मोहम्मद शफीक, जितेंद्र कुमार सहित करीब 50 लोग मंगलवार को आईजी ऑफिस पहुंचे। उन लोगों ने बताया कि कंपनी के अधिकारियों का मोबाइल बंद चल रहा है। ग्राहकों का भुगतान न होने से उनकी परेशानी बढ़ गई है। रुपए का इनवेस्टमेंट करने वालों के तगादों से उन लोगों का जीना मुहाल हो गया है। एजेंट्स ने बताया कि हर एजेंट ने कम से कम पांच लाख रुपए का इनवेस्टमेंट कराया है। भुगतान न होने पर वह लोग ग्राहकों का पैसा कहां से दे पाएंगे।

वर्जन

कंपनी के एजेंट्स ने मामले की शिकायत दर्ज कराई है। इस प्रकरण की जांच पड़ताल करके पुलिस कार्रवाई करेगी। इसके अलावा इस तरह के अन्य मामलों में भी पुलिस गंभीरता से कार्रवाई करेगी।

मोहित अग्रवाल, आईजी जोन

Posted By: Inextlive