एक्सक्लूसिव

- फिर अटका शताब्दीनगर योजना का अतिरिक्त मुआवजे का मुद्दा

- एमडीए ने शासन के पाले में डाली गेंद, किसानों में निराशा

Meerut। पिछले ढाई साल से मुआवजे के लिए हो-हल्ला करते आ रहे शताब्दीनगर योजना के किसानों का विवाद एक बार फिर शासन में जा फंसा है। एमडीए ने इसे शासन संदर्भित मामला बताते हुए मुआवजा भुगतान संबंधी कोई भी निर्णय शासन की ओर से लिया जाना बताया है। एमडीए द्वारा मुआवजा प्रक्रिया पर की गई टिप्पणी से किसानों में आक्रोश का माहौल है।

ये है शताब्दीनगर योजना

शताब्दीनगर आवासीय योजना के लिए एमडीए ने 1989 में रिठानी व जैनपुर व कंपनपुर घोपला गांव के किसानों से 1608 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण के बाद एमडीए ने यहां की 1000 एकड़ भूमि पर एमडीए कब्जा ले लिया था। जबकि 600 एकड़ भूमि पर अब भी किसानों का कब्जा है।

ये है किसानों की मांग

एमडीए से तीन बार मुआवजा उठा चुके योजना के किसान अब नई भू-अधिनियम नीति के अनुसार मुआवजा भुगतान की मांग कर रहे हैं। आज की तारीख में यह मुआवजा राशि लगभग 5800 रुपए बनती है। ऐसे में एमडीए बड़ी रकम बतौर मुआवजा किसानों को देनी होगी।

जमीन वापसी के लिए प्रत्यावेदन

यही नहीं अतिरिक्त मुआवजा न मिलने पर योजना के 374 किसानों ने शासन में पत्र भेजा था। पत्र में उन्होंने एमडीए से प्रतिकरण की धनराशि या उसके बदले अपनी जमीन वापसी की मांग रखी है। यही नहीं किसानों की इस मांग पर एमडीए अपनी स्वीकृति भी दे चुका है।

शासन में अटका प्रस्ताव

अतिरिक्त मुआवजे को लेकर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले योजना के किसानों ने एमडीए में हंगामा किया था। इस दौरान एमडीए ने किसानों की मांग जल्द मांगे जाने का आश्वासन दिया था। अब प्राधिकरण ने योजना का विवाद शासन के पाले में डाल दिया है। एमडीए अफसरों का मत है कि इस संबंध में शासन से कोई आदेश आने के बाद ही कोई अग्रिम फैसला लिया जाएगा। उधर, किसानों का आरोप है कि एमडीए जानबूझकर मामले को अटकाता आ रहा है। उन्होंने एमडीए के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।

बॉक्स

फिगर स्पीक --

गांव -- 7 (जमीन)

किसानों की संख्या -- 2369

कुल अर्जित भूमि - 1620 एकड़

कब्जे में भूमि - 608 एकड़

विकास में खर्च राशि - 500 करोड़

किसानों को दी राशि - 200 करोड़

प्रतिकर के रूप में दी राशि- 337 करोड़

शताब्दीनगर योजना विवाद पर कोई भी फैसला शासन स्तर से लिया जाना है। इसमें एमडीए कोई अहम रोल नहीं है। शासन से कोई निर्णय आने के बाद ही कोई रास्ता निकलेगा।

-बैजनाथ, अपर सचिव एमडीए

Posted By: Inextlive