- यूजी काउंसलिंग के दौरान फॉर्म में मिल रहीं खामियां, सबकी कैटेगरी जनरल

- यूनिवर्सिटी के कंप्लेन सेल के पास ढेरों शिकायतें, कैंडिडेट्स बोले- साइबर कैफे वाले ने भर दी गलत कैटेगरी

GORAKHPUR:

डीडीयूजीयू में चल रही यूजी काउंसलिंग में ओबीसी, एससी-एसटी कैटेगरी के स्टूडेंट्स रोज प्राब्ल्म्स फेस कर रहे हैं। साइबर कैफे या खुद से ऑनलाइन भरे फॉर्म में स्टूडेंट्स ने कैटेगरी में जनरल भर दिया है। इस कारण उन्हें कैटेगरी का लाभ नहीं मिल पा रहा। काउंसलिंग में यह बात सामने आने के बाद स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी के कंप्लेन सेल में अपनी कंप्लेन कर रहे हैं। इस तरह इस संबंध में सेल के पास कई कंप्लेंस आ चुके हैं। सेल के जिम्मेदार भी प्राब्ल्म्स के लिए साइबर कैफे और स्टूडेंट्स को ही दोषी ठहरा रहे हैं। हालांकि शिकायतों का ढेर देखते हुए इसपर यूनिवर्सिटी प्रशासन विचार कर सकता है।

16 जून से हो रही काउंसलिंग

डीडीयूजीयू में 16 जून से बीए, बीएससी और बीकॉम के कैंडिडेट्स की काउंसलिंग चल रही है। कैंडिडेट्स को कोई परेशानी न हो इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से एडी बिल्िडग में कंप्लेन सेल बनाया गया है। इसमें लगातार शिकायतें आ रही हैं। सबसे अधिक शिकायत इस बात की आ रही है कि ओबीसी, एससी और एसटी कैंडिडेट्स के अप्लिकेशन फकॅर्म में कैटेगरी के कॉलम में जनरल भरा हुआ है। इस कारण उन्हें कैटेगरी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

अपना दे दिया नंबर

जिन कैंडिडेट्स ने साइबर कैफे वालों से फॉर्म भरवाया है, उनमें से अधिक के फॉर्म में मोबाइल नंबर वाले कॉलम में साइबर कैफे वाले का मोबाइल नंबर है। इस कारण यूनिवर्सिटी की तरफ से भेजे जाने वाले इंफॉर्मेशन भी सही कैंडिडेट्स तक नहीं पहुंच पाया है। काउंसलिंग के दौरान कैंडिडेट्स के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान में लगे प्रो। अजेय गुप्ता ने बताया कि कोई ऐसा दिन नहीं है कि 15-20 कैंडिडेट्स अपनी कैटेगरी की समस्या लेकर नहीं आएं।

सही भरा होता फॉर्म तो मिलता वेटेज

ऑन लाइन अप्लीकेशन फार्म भरने में गलतियों के कारण काउंसलिंग के दौरान ओबीसी, एससी एंड एसटी कैटेगरी के कैंडिडेट्स को वेटेज की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। ज्यादातर कैंडिडेट्स के अप्लीकेशन फार्म में तो मेल की जगह फीमेल और फीमेल की जगह मेल भरा हुआ है। कई फार्म में तो डेट ऑफ बर्थ तक गलत भरे गए हैं। कैंडिडेट्स और उनके पैरेंट्स अगर फार्म भरते वक्त क्रास चेकिंग कर लिए होते तो शायद कैंडिडेट्स को आज यह दिक्कतें फेस नहीं करनी पड़ती।

पैसे के लिए किया खेल

ज्यादातर स्टूडेंट्स खुद ही अप्लीकेशन फॉर्म भरने के बजाय साइबर कैफे वालों से फार्म फिलअप कराते हैं, ऐसे में साइबर कैफे संचालक भी एक साथ सैकड़ों फॉर्म इकट्ठा कर लेते हैं और रात के वक्त फॉर्म भरते हैं। प्रत्येक अप्लिकेंट्स से रुपए कमाने के चक्कर में वह यह नहीं देखते कि अप्लीकेट्स के फ्यूचर के साथ खिलवाड़ हो रहा है। ऐसे में अप्लीकेंट्स को भी फार्म चेक करके ही ओके करना चाहिए।

केस वन

खोराबार की रहने वाली प्रियंका यादव बताती हैं कि वे ओबीसी कैटेगरी से आती हैं, वे बीएससी फ‌र्स्ट इयर में काउंसलिंग के लिए 18 जून को दीक्षा भवन गई थी। लेकिन उनके फॉर्म में जनरल कैटेगरी लिखकर आने से वह अपनी कैटेगरी का लाभ नहीं ले सकीं। फिर वह 20 जून को ओबीसी वेटिंग लिस्ट में पहुंचीं तो सीट फुल हो चुकी थी। इसकी शिकायत करने पहुंची तो शिकायत प्रकोष्ठ में यह कहा गया कि फॉर्म में कैटेगरी वाले कॉलम में जनरल भरे जाने से वह कैटेगरी के लाभ से वंचित हुई हैं।

केस टू

पीपीगंज के रहने वाले कमलेश कुमार बताते हैं कि बीकॉम में प्रवेश के लिए वह 18 और 19 जून को दीक्षा भवन काउंसलिंग सेंटर पर गए थे। चूंकि एससी कैटेगरी वालों को इसी दिन काउंसलिंग के लिए बुलाया गया था। लेकिन अप्लीकेशन फॉर्म जनरल कैटेगरी होने के चलते एडमिशन नहीं हो सका। इसकी शिकायत भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। जबकि कास्ट सर्टिफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट भी बनवाकर ले गए थे।

अप्लीकेंट्स को फार्म भरते वक्त इस बात जरूर ध्यान रखना चाहिए वह क्या भर रहे हैं। क्योंकि जो वह भरेंगे उसी के हिसाब से उनको उसका लाभ मिलेगा। हो सके तो खुद ही अप्लीकेशन फॉर्म भरें।

- प्रो। अशोक कुमार, वीसी, डीडीयूजीयू

Posted By: Inextlive