- क्षेत्रीय सचिव ने प्रतिपूर्ति मामले में प्रमुख सचिव को लिखा लेटर

- खुद और अपने साथियों को इस मामले से दूर रखने की मांग की

Meerut: कॉलेजों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति मामले में क्षेत्रीय सचिव ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र लिखकर खुद को इस मामले से अलग रखने की मांग की। साथ ही अपने लेटर में समाज कल्याण विभाग द्वारा गलत धनराशि स्टूडेंट्स को देने का आरोप भी लगाया। जिसमें इनके द्वारा समाज कल्याण अधिकारी से मांगी गई जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराए जाने की शिकायत की। पूरे मामले में समाज कल्याण विभाग और इसके अधिकारियों पर आरोप लगाए गए।

यह है मामला

मेरठ और सहारनपुर मंडल के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा सचिव जेएस नेगी और इनके कार्यालय के कर्मचारियों व अधिकारियों की ओर से कल्पना अवस्थी प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को एक पत्र लिखा गया। जिसमें इनका कहना है कि समाज कल्याण विभाग मास्टर डाटा को आधार मानकर खुद के द्वारा की गई अनियमितताओं के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराकर दंडात्मक कार्यवाही कर रहा है। इनसे शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने का कष्ट करें। इससे पहले भी समाज कल्याण विभाग के द्वारा किए गए कृत्यों से अवगत कराया जा चुका है।

हो रहा गलत भुगतान

कहा गया कि नियमावली में दी गई व्यवस्था के अनुसार आरजीपीजी कॉलेज की बीएड की परीक्षा सेशन ख्0क्क्-क्ख्, ख्0क्ख्-क्फ् एवं ख्0क्फ्-क्ब् के लिए फ्भ् हजार रुपए निर्धारित की गई थी। संस्था द्वारा फ्8 हजार क्8भ् रुपए की शुल्क प्रतिपूर्ति की मांग जिला समाज कल्याण कार्यालय से की गई, लेकिन जिला समाज कल्याण कार्यालय द्वारा भ्क् हजार ख्भ्0 रुपए की दर से स्टूडेंट्स के खातों में शुल्क प्रतिपूर्ति भेजी गई। इस संबंध में कॉलेज के विरुद्ध शिकायत हुई। इस मामले में कॉलेज द्वारा भी यही बताया गया कि समाज कल्याण विभाग द्वारा भ्क् हजार ख्भ्0 रुपए दिए गए।

समाज कल्याण में जबरस्त भ्रष्टाचार

इस मामले में डीएम द्वारा दिए गए आदेशों के अनुपालन में जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय से समस्त साक्ष्यों सहित आख्या उपलब्ध कराने को लिखा गया था, लेकिन समाज कल्याण अधिकारी द्वारा इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया। क्षेत्रीय सचिव के लेटर में लिखा गया है कि समाज कल्याण विभाग ने जवाब में कहा है कि मौजूद मास्टर डाटा में कोई बदलाव नहीं किया गया। आरजी पीजी कॉलेज द्वारा मांगी गई प्रतिपूर्ति फ्8 हजार क्8भ् रुपए की मांग निराधार है। इनको शुल्क प्रतिपूर्ति भ्क्,ख्भ्0 क्यों निर्गत की गई। जबकि मास्टर डाटा में परिवर्तन के बिना यह संभव नहीं है।

यहां भी की गड़बड़ी

इसके साथ ही सेशन ख्0क्ब्-क्भ् में शुल्क प्रतिपूर्ति के आवेदन पत्र संस्थाओं द्वारा भेजे गए। उनमें लगभग सात हजार स्टूडेंट्स को छात्रवृत्ति डाटा में जंक डाटा के रूप में दर्शाया गया है। नियमावली के अनुसार जंक डाटा को शुद्ध करने का उत्तरदायित्व जिला समाज कल्याण अधिकारी का है। इस कार्यालय द्वारा शुल्क प्रतिपूर्ति के आवेदन पत्रों को अग्रसारित या निरस्त करने की कार्यवाही की जा सकती है। लेकिन इस काम से बचने के लिए समाज कल्याण अधिकारी द्वारा अपने उत्तरदायित्वों से बचने के लिए जंक डाटा को शुद्ध करने के लिए क्षेत्रीय सचिव कार्यालय को लिखा जा रहा है। जिससे इस कार्यालय का कोई संबंध नहीं है।

कार्यालय को अलग करने की मांग

साथ ही संस्थाओं द्वारा अधूरे प्रपत्र बिना समाज कल्याण अधिकारियों द्वारा सत्यापित कार्यालय को भेज गए। साथ ही समाज कल्याण विभाग की गलती के कारण बीटेक, एमबीए और पीजीडीएम में प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स शुल्क प्रतिपूर्ति प्राप्त कर संस्था को छोड़ गए। जिसके चलते शासन के करोड़ों रुपए की धनराशि का अनगिनत भुगतान किया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ऐसी व्यवस्था में भागीदार बने नहीं रहना चाहते जहां हर स्तर पर अनियमितता की जा रही हैं। प्रदेश में समाज कल्याण विभाग आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। क्षेत्रीय सचिव और इनके कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारियों ने मांग की है कि कार्यालय को शुल्क प्रतिपूर्ति आवेदन व पत्र अग्रसारणक के कार्य से मुक्त कर दिया जाए। ताकि समाज कल्याण विभाग के कृत्यों का भागीदारी ना बनें।

Posted By: Inextlive