1.5 करोड़ का बजट है अन्नक्षेत्र के भंडारों का

1500 लोग औसतन हर रोज करते हैं एक अन्नक्षेत्र में भोजन

4500 लोग करते हैं अवधेशानंद गिरी के आश्रम में भोजन

-कुंभ मेला के अन्नक्षेत्रों में अत्याधुनिक मशीनों से होता है भोजन का निर्माण, क्वॉलिटी कंट्रोल का खास ख्याल

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akhil.dixit@inext.co.in

ऐतिहासिक कुंभ मेले के शिविरों की रोचकता व्यापक है। बेहतर मैनेजमेंट और क्वॉलिटी कंट्रोल के साथ कुंभ के शिविरों में श्रद्धालुओं के लिए तैयार हो रहे भोजन की रेसिपी भी कम्प्यूटराइज्ड तैयार हो रही है। जानकारी के मुताबिक कुंभ के दौरान एक शिविर में एक से डेढ़ करोड़ तक अन्नक्षेत्रों पर खर्च किया जा रहा है। अत्याधुनिक मशीनों से भोजन तैयार किया जा रहा है। वहीं क्वॉलिटी कंट्रोल के लिए एक टीम भी बनाई गई है।

वर्षभर होती है प्लानिंग

हर शिविर में मौजूद अन्नक्षेत्रों का संचालन मैनेजमेंट का एक बड़ा उदाहरण है। विशालता का आलम यह है कि एक-एक अन्नक्षेत्र में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दोनों वक्त भोजन कर रहे हैं। हर किसी की पसंद का स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन बन रहा है। 150-200 वालंटियर और कर्मचारी सब्जी और राशन की खरीददारी से लेकर भोजन बनाने और उन्हें परोसने तक मुस्तैद रहते हैं। अत्याधुनिक मशीनों से भोजन पका रहे इस्कॉन मंदिर के अन्नक्षेत्र में भोजन पकने के बाद उसे अन्नक्षेत्र तक ले जाने के लिए एक पटरी तक बिछा दी गई है। शिविर के व्यवस्था प्रमुख और वृंद्वावन इस्कॉन के वाइस प्रेसीडेंट सनत सनातन के निर्देशन में कुंभ मेले के दौरान अन्नक्षेत्र का संचालन हो रहा है।

कंम्यूटराइज्ड मेन्यू

इस्कॉन शिविर में अन्नक्षेत्र के सुपरवाइजर दीन गोपालदास ने इस बारे में विभिन्न जानकारियां दीं

-रेसिपी और मेन्यू को मेले के आयोजन के पहले की फाइनल कर लिया गया था।

-किस सब्जी में कितना मसाला, नमक और पानी रखना है, कम्प्यूटराइज्ड प्रक्रिया से तय हो रहा है।

-रुचिकर भोजन (प्रसादम) के साथ-साथ हर प्रांत और क्षेत्र के श्रद्धालुओं के मुताबिक अलग-अलग दिनों का मेन्यू है।

-सीजन की सब्जियों के अलावा चपाती और चावल भी।

12 से अधिक वैरायटी की तुअर दाल। जैसे, गुजराती दाल, पंजाबी दाल, सिंधी दाल, राजस्थानी दाल आदि।

-सब्जियों में सीजनल सब्जियों को वरीयता दी जा रही।

-मशीन से सब्जी काटी जा रही और मशीन से चपाती बन रही है।

मैनेजमेंट का बेहतरीन एग्जांपल

जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के शिविर में रोजाना 4-5 हजार श्रद्धालु भोजन कर रहे हैं। मार्केट से राशन लेकर आने, भोजन पकाने और परोसने तक के लिए टीमों का गठन किया गया है। हर टीम कस नेतृत्व एक प्रमुख कर रहे हैं। प्रमुख की जिम्मेदारी अन्नक्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं और गेस्ट को रुचिकर भोजन कराने की है। भोजन की सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। देशी घी से निर्मित भोजन में पौष्टिकता का विशेष ख्याल रखा जाता है। रतलाम के रहने वाले हरीश सुरोलिया पत्नी सरिता के साथ कुंभ के दौरान अन्नक्षेत्र में व्यवस्था देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले श्रद्धालुओं की रुचि का ख्याल रखते हुए हर दिन अलग-अलग मेन्यू में रखा जाता है।

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अनुयायी करते हैं फंडिंग

एक अन्नक्षेत्र में एक से डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हो रहा है। राशन और फल-सब्जी आदि केलिए फंड इकट्ठा होता है। धर्माचायरें के निर्देशन में प्रमुख इस जिम्मेदारी को निभाते हैं। जबकि ज्यादातर शिविरों में अनुयायी दिनवार अन्नक्षेत्र का निर्धारण कर लेते हैं। एक दिन का सामान्य अन्नक्षेत्र का खर्च 2-3 लाख रुपए तक है। ओम नम। शिवाय, चरखी दादरी आश्रम हिसार आदि संस्थाएं भी रुचिकर भोजन की व्यवस्था करती हैं।

Posted By: Inextlive