- समाधिस्थल की नींव में छह इंच तक आ चुका है पानी

- संत के नाम पर बने मंदिर और मस्जिद की हालत भी जर्जर

व‌र्ल्ड हेरिटेज डे स्पेशल

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GORAKHPUR:

कबिरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर

ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर

संत कबीर का नाम हर धर्म के मानने वाले बड़े अदब-ओ-एहतराम के साथ लेते हैं। वाराणसी में पैदा हुए संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली संत कबीर नगर जिला स्थित मगहर में है। विडंबना ही कहेंगे कि जिंदगी भर लोगों की खैर मांगने वाले संत कबीर की खैर पूछने वाला आज कोई नहीं है। मगहर में बनी कबीर की समाधिस्थली, मजार, कुटिया और गुफा की हालत ऐसी हो चुकी है कि यह किसी भी पल जमींदोज हो सकते हैं। इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इनटेक) ने इसकी हालत ठीक कराने के लिए कई बार जिम्मेदारों को लेटर भी लिखा। लेकिन अब तक इसकी स्थिति जस की तस बनी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस हाल में अगर ठीक बगल से बह रही आमी में बाढ़ आई तो सांप्रदायिक सौहार्द के रखवाले इस संत की तमाम यादें लहरों में समा जाएंगी।

गिरने लगे हैं गुंबद से मलबे

संत कबीर स्थल की हालत बेहद नाजुक हो चली है। यहां कबीर की याद में बने मंदिर के ऊपरी हिस्से में दरारें आने लगी हैं। वहीं बगल में मौजूद मस्जिद की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। दोनों ही इमारतों की हालत बेहद जर्जर है। फर्श चिटक चुका है और मार्बल निकलने लगा है। देख-रेख के अभाव में प्लास्टर और उसमें लगे मैटेरियल्स टूटकर गिरने लगे हैं।

समाधिस्थली पर भी खतरा

संत कबीर के नाम पर बने मंदिर और मस्जिद से थोड़ी ही दूरी पर वह इमारत है जहां संत कबीर रहते थे। इस स्थान के नीचे एक गुफानुमा स्थान था। इसमें कबीर ध्यान किया करते थे। लेकिन रख-रखाव में बरती जा रही लापरवाही के चलते इस इमारत की नींव में छह इंच तक पानी पहुंच चुका है। ऐसे में अगर इसके लिए स्पेशल एफ‌र्ट्स नहीं किए गए तो यह नायाब विरासत खत्म हो जाएगी।

इनटेक कर चुका है पहल

इस इमारत को बचाने के लिए इनटेक ने 2014 में ही पहल की, लेकिन उनकी सारी कोशिशों का अब तक कोई रिजल्ट सामने नहीं आया है। जिला प्रशासन के अनुरोध पर इनटेक गोरखपुर चैप्टर के कन्वीनर एमपी कंडोई और को-कन्वीनर पीके लाहिड़ी ने आर्कियोलॉजिकल एक्सप‌र्ट्स बुलाकर जगह का सर्वे किया। उन्होंने अपनी प्राइमरी सर्वे रिपोर्ट तैयार की, जोकि जिला प्रशासन को फरवरी 2015 में सबमिट कर दी गई।

जिम्मेदार लिख चुके हैं लेटर

ऐसा नहीं है कि संत कबीरनगर जिला प्रशासन ने इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया, बल्कि अप्रैल 2015 में इनटेक के प्रस्ताव को जिला प्रशासन ने प्रमुख सचिव पर्यटन, प्रमुख सचिव संस्कृति, महानिदेशक पर्यटन और यूपी गवर्नमेंट को भी भेज दी गई। इसमें बताया गया था कि इनटेक इसका जीर्णोद्धार कराएगा, जिसमें अनुमानित लागत करीब 3.51 करोड़ रुपए आएगी। इसमें यह भी बताया गया कि व‌र्ल्ड टूरिज्म में इस जगह की काफी इंपॉर्टेस है और यहां देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। इसके साथ ही रीजनल टूरिज्म ऑफिसर ने भी एक लेटर भेजा था, जिसमें उन्होंने पैसे की डिमांड की थी।

बॉक्स

मंदिर भी, मस्जिद भी

संत कबीर 15वीं सदी के जाने-माने संत और रहस्यवादी विधा के कवि हैं। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था। कबीर का मानना था कि व्यक्ति को स्वर्ग या नर्क उसके कर्मो के आधार पर मिलता है। अपनी इसी मान्यता के तहत वो अंत समय में मगहर चले आए, क्योंकि लोगों का मानना था कि काशी पर मरने पर स्वर्ग मिलता है और मगहर में मरने पर नर्क। बताते हैं कि संत कबीर की मृत्यु के बाद उनके हिंदू और मुस्लिम अनुयायियों में अंतिम संस्कार को लेकर मतभेद था। हिंदू अपने ढंग से उन्हें जलाना चाहते थे, जबकि मुसलमान उन्हें दफनाना चाहते थे। जब लाश से कफन हटाया गया तो वहां दो फूल थे। एक को हिंदुओं ने ले लिया और दूसरा मुसलमानों ने। हिंदुओं ने वहां मंदिर बनवाया और मुसलमानों ने मस्जिद। उस दौर से बनी यह इमारतें आज भी मौजूद हैं।

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Posted By: Inextlive