खतरे में बच्चों की जान, सब हैं अनजान
बच्चों को स्कूल भेजने में हद दर्जे की हो रही है लापरवाही
-वाहनों में ठूंसकर भरे जाते हैं बच्चे, बना रहता है हादसे का खतरा ALLAHABAD: हम बड़े शौक से अपने लाडले का एडमिशन शहर के बेस्ट स्कूल में करवाते हैं। लेकिन बात जब उसे स्कूल पहुंचाने की होती है तो हम हद से ज्यादा लापरवाह हो जाते हैं। हम ध्यान ही नहीं देते कि हमारा बच्चा किस तरह से स्कूल जा रहा है। नतीजा, कुशीनगर जैसे दिल दहलाने वाले हादसे के रूप में आता है। इसमें स्कूल भी बराबर के दोषी हैं। यह हैं तय मानक -खिड़की में लोहे के ग्रिल लगी हो। -फर्स्ट एड बाक्स होना जरूरी है। -स्कूल बस के आगे पीछे स्कूल बस और किराए के वाहन पर स्कूल ड्यूटी लिखा जाना जरूरी है। -बस में फायर इंस्टीग्यूशर होना जरूरी है। -स्कूल बस की अधिकतम गति 40 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए।-बस के पीछे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के टेलीफोन नंबर के अलावा स्कूल का कांटैक्ट नंबर भी लिखा होना चाहिए।
-साथ ही स्कूल का नाम लिखा जाना चाहिए। हकीकत ऐसी है -दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने देखा बच्चों को बेतरतीबी से वाहनों पर लादा जा रहा है।-स्कूल बसों के अलावा टैंपो-टैक्सी पर भी अवैध तरीके से बच्चों को खुलेआम ढोया जा रहा है।
-मनमाने ढंग से ऑटो में भरे बच्चों को देखकर भी पुलिस-प्रशासन मौन बना हुआ है। -स्कूल प्रशासन को भी इस बात की परवाह नहीं कि बच्चे किस तरह स्कूल पहुंच रहे हैं। -हद तो इस बात की है कि पैरेंट्स भी इस मामले में बेहद गैरजिम्मेदार बने हुए हैं। रजिस्ट्रेशन कर दिया, जांच कौन करेगा 1400 आरटीओ में रजिस्टर्ड स्कूली वाहन 700 स्कूली वाहन छह माह में हुए चेक 80 ही वाहनों का किया गया चालान 250 बिना फिटनेस प्रमाणपत्र चिन्हित मिलीभगत से फिटनेस प्रमाणपत्र नियमानुसार स्कूली वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने के लिए वाहनों का आरटीओ कैंपस में उपस्थित होना जरूरी होता है। लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है। कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से बिना भौतिक सत्यापन इन वाहनों की फिटनेस जारी कर दी जाती है। जिस वाहन से बच्चे जा रहे हैं उसकी फिटनेस देखना पैरेंट्स का भी कर्तव्य है। अगर स्कूल या प्रशासन इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं तो उनकी जगह हमें अवेयर होना होगा। -आरपी गुप्ता, पैरेंट्सअक्सर देखने में आता है कि जिस वाहन से बच्चे स्कूल जा रहे हैं उनकी स्थिति काफी नाजुक है। लेकिन, मजबूरी में पैरेंट्स भी समझौता कर लेते हैं। जो पूरी तरह गलत है।
-रोहित केसरवानी, पैरेंट्स पैरेंट्स को जागरुक हो जाना चाहिए। अगर स्कूली वाहन सही स्थिति में नहीं है तो इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए। इस तरह से नजरअंदाज करने से हादसे को दावत देना होगा। -डॉ। आनंद सिंह, पैरेंट्स कुशीनगर में जैसा हादसा हुआ है सभी बराबर जिम्मेदार हैं। हमलोग शुरुआत में ध्यान नहीं देते और बाद में घटना होने पर खुद को कोसते हैं। इसलिए पैरेंट्स को होशियारी बरतनी चाहिए। -डॉ। डीके मिश्रा, पैरेंट्स हमलोग समय-समय पर अभियान चलाकर स्कूली वाहनों की चेकिंग करते हैं। पिछले छह माह में 80 वाहनों का चालान किया गया है। जल्द ही हम फिर से ड्राइव चलाने जा रहे हैं। बिना भौतिक सत्यापन फिटनेस जारी नहीं किया जाता है। -रविकांत शुक्ला एआरटीओ, एनफोर्समेंट